हिंदी की विभिन्न बोलियाँ और उनका साहित्य
हिंदी पट्टी / From Wikipedia, the free encyclopedia
हिंदी पट्टी के रूप में भी जाना जाता है, उत्तरी, मध्य, पूर्वी और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों को शामिल करने वाला एक भाषाई क्षेत्र है जहां विभिन्न केंद्रीय हिन्द-आर्य भाषाओं को 'हिंदी' शब्द के तहत सम्मिलित किया जाता है (उदाहरण के लिए, भारतीय जनगणना द्वारा) बोली जाने।[1][2][3][4][5] हिंदी बेल्ट का उपयोग कभी-कभी नौ भारतीय राज्यों को संदर्भित करने के लिए भी किया जाता है, जिनकी आधिकारिक भाषा हिंदी है, अर्थात् बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का क्षेत्र।[6][7][8][9]
हिन्दी की अनेक बोलियाँ का (उपभाषाएँ) है जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, हड़ौती,खड़ी बोली, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुमाउँनी, मगही, मेवाती,फ़ीजी हिन्दी आदि प्रमुख हैं। इनमें से कुछ में अत्यन्त उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है। ऐसी बोलियों में ब्रजभाषा और अवधी प्रमुख हैं। यह बोलियाँ हिन्दी की विविधता हैं और उसकी शक्ति भी। वे हिन्दी की जड़ों को गहरा बनाती हैं। हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परंपरा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं वरन स्वतंत्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के खिलाफ भी उसका रचना संसार सचेत है।[10]
मोटे तौर पर हिन्द (भारत) की किसी भाषा को 'हिन्दी' कहा जा सकता है। भारत में अंग्रेजी शासन के पूर्व इसका प्रयोग इसी अर्थ में किया जाता था। पर वर्तमानकाल में सामान्यतः इसका व्यवहार उस विस्तृत भूखंड की भाषा के लिए होता है जो पश्चिम में जैसलमेर, उत्तर पश्चिम में अंबाला, उत्तर में शिमला, पूर्व में नवाडा, दक्षिण पूर्व में रायपुर तथा दक्षिण-पश्चिम में खंडवा तक फैली हुई है। हिन्दी के मुख्य दो भेद हैं - पश्चिमी हिंदी तथा पूर्वी हिंदी।