सुदर्शन झील
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सुदर्शन झील, सौराष्ट्र में गिरिनगर (गिरनार) के पास स्थित एक कृत्रिम प्राचीन झील है।शकक्षत्रप रुद्रदामन ने जूनागढ़ अभिलेख में अपने से लगभग 400 वर्षों से भी अधिक पूर्व के मौर्य सम्राट् चन्द्रगुप्त तथा सम्राट अशोक के साथ उनके अधिकारियों-पुष्यगुप्त एवं तुषाष्फ के कार्यों का उल्लेख किया है। गिरनार के जूनागढ़ अभिलेख में इस सन्दर्भ में कहा गया है-
पंक्ति ९ : "..[]र्दर्शनमासीत्...स्य अर्थे मौर्यस्य राज्ञः चन्द्रगुप्तस्य राष्ट्रियेण वैश्येन पुष्यगुप्तेन कारितम् अशोकस्य मौर्यस्य कृते यवनराजेन तुषास्फेन अधिष्ठाय प्रणालिभिः अलङ्कृतं। तत् कारितया च राजा अनुरूप-कृतविधानया तस्मिन् भेदे दृष्ट्या प्रणाड्या विस्तृतसेतु"
अनुवाद: यह (झील) जनपद के लिए मौर्यवंशी राजा चन्द्रगुप्त के प्रांतीय (सामंत) वैश्य पुष्यगुप्त के द्वारा बनवाया गया, मौर्यवंशी अशोक के प्रांतीय सामंत यवनराज तुषास्फ के द्वारा जल निकास की नहरों से अलंडक़ृत किया गया और उसी के द्वारा बनवाई हुई राजोचित व्यवस्था वाली, उस दरार में देखी गई प्रणाली से विस्तृत बांध.......का निर्माण किया गया था।[1][2][3]
रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख (150 ईस्वी ) से हमें ज्ञात होता है कि, सुदर्शन झील का निर्माण चन्र्दगुप्त मौर्य के सामंत पुष्यगुप्त ने कराया था। अशोक के राज्यपाल तुशाष्प ने बाद में उसमें से नहर निकाली ।[4]
७२ वें वर्ष (शक १५० ई० ) में रुद्रदामन ने तूफान से नष्ट उसकी सीमाओं का जीर्णोद्धार कराया।[5]
रूद्रामन के समय में अतिवृष्टि से झील का बांध टूट गया था।रुद्रदमन ने सुदर्शन झील (गुजरात) का मरम्मत किया। प्रजा पर कोई अतिरिक्त कर नहीं लगाया।
स्कन्दगुप्त के जूनागढ़ अभिलेख (456ईस्वी ) से अत्यधिक वर्षा से झील का बांध टूट गया। सौराष्ट्र के प्रान्तीय शासक पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालित ने झील की मरम्मत कराई।