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श्यामजी कृष्ण वर्मा
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श्यामजी कृष्ण वर्मा (जन्म: 4 अक्टूबर 1857 - मृत्यु: 31 मार्च 1930) क्रान्तिकारी गतिविधियों के माध्यम से भारत की आजादी के संकल्प को गतिशील करने वाले अध्यवसायी एवं कई क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत थे। वे पहले भारतीय थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड से एम॰ए॰ और बार-ऐट-ला की उपाधियाँ मिलीं थीं। पुणे में दिये गये उनके संस्कृत के भाषण से प्रभावित होकर मोनियर विलियम्स ने वर्माजी को ऑक्सफोर्ड में संस्कृत का सहायक प्रोफेसर बना दिया था।श्यामजी कृष्ण वर्मा भी अन्य सभी क्रान्तिकारियों कि तरह आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती और आर्य समाज से अत्यधिक प्रभावित थे।काले पानी कि सजा पाने वाले क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर भी वर्माजी से प्रेरित होकर क्रांतिकारी कार्यो में सम्मिलित हुए।लन्दन में इण्डिया हाउस की स्थापना की जो इंग्लैण्ड जाकर पढ़ने वाले छात्रों के परस्पर मिलन एवं विविध विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्द्र था।
श्यामजी कृष्ण वर्मा | |
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![]() श्यामजी कृष्ण वर्मा | |
जन्म |
04 अक्टूबर 1857 मांडवी, कच्छ जिला, गुजरात |
मौत |
30 मार्च 1930 जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड |
जाति | भारतीय |
शिक्षा की जगह | विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड |
पेशा | भाषाशास्त्री, पत्रकार |
जीवनसाथी | भानुमती (वि॰ 1875) |
माता-पिता | करशन भानुशाली, गोमती बाई |
ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ | |
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