फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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फ़ैज़ अह्मद फ़ैज़ (فیض احمد فیض), (१९११ - १९८४) भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे, जिन्हें अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंक़लाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है। सेना, जेल तथा निर्वासन में जीवन व्यतीत करने वाले फ़ैज़ ने कई नज़्में और ग़ज़लें लिखी तथा उर्दू शायरी में आधुनिक प्रगतिवादी (तरक्कीपसंद) दौर की रचनाओं को सबल किया। उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया गया था। फ़ैज़ पर कई बार कम्यूनिस्ट (साम्यवादी) होने और इस्लाम से इतर रहने के आरोप लगे थे पर उनकी रचनाओं में ग़ैर-इस्लामी रंग नहीं मिलते। जेल के दौरान लिखी गई उनकी कविता 'ज़िन्दान-नामा' को बहुत पसंद किया गया था। उनके द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ अब भारत-पाकिस्तान की आम-भाषा का हिस्सा बन चुकी हैं, जैसे कि 'और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा'।
सामान्य तथ्य फ़ैज़ अह्मद फ़ैज़ فیض احمد فیض , जन्म ...
फ़ैज़ अह्मद फ़ैज़ فیض احمد فیض | |
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जन्म | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 13 फ़रवरी 1911 काला कादर, सियालकोट शहर, ब्रिटिश भारत |
मौत | 20 नवम्बर 1984(1984-11-20) (उम्र 73) लाहौर, पंजाब सूबा, पाकिस्तान |
पेशा | कवि और पत्रकार |
राष्ट्रीयता | पहिले हिन्दुस्तानी, बाद में पाकिस्तानी |
शिक्षा | अरबी साहित्य B.A. (Hons), M.A. अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर ऑफ आर्ट्स |
उच्च शिक्षा | मरे कॉलेज, सियालकोट गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी पंजाब विश्वविद्यालय |
विधा | गज़ल, नज़्म |
आंदोलन | प्रगतिवादी लेखक अन्दोलन पाकिस्तान की कमिऊनिसट पार्टी |
उल्लेखनीय कामs | नक्श-ए-फरयादी "दस्त-ए-सबा " ज़िन्दान नामा |
खिताब | एम बी इ (1946) निगार पुरस्कार (1953 हिन्दी लेनिन शांति पुरस्कार (1963) एचआरसी शांति पुरस्कार निशान-ए-इम्तियाज (1990) Avicenna Prize (2006) |
जीवनसाथी | एलिस फ़ैज़ |
बच्चे | सलीमा (b. 1942) मोनीज़ा (b. 1945) |
हस्ताक्षर |
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