लाहौर
पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की राजधानी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
लाहौर (उर्दू: لاہَور, अंग्रेज़ी: Lahore) पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की राजधानी है एवं कराची के बाद पाकिस्तान में दूसरा सबसे बडा शहर है। इसे पाकिस्तान का दिल नाम से भी संबोधित किया जाता है क्योंकि इस शहर का पाकिस्तानी इतिहास, संस्कृति एवं शिक्षा में अत्यंत विशिष्ट योगदान रहा है। इसे अक्सर पाकिस्तान बागों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। लाहौर शहर रावी एवं वाघा नदी के तट पर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित है।
लाहौर
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महानगर | |||
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उपनाम: पाकिस्तान का दिल,[1] | |||
निर्देशांक: 31°32′59″N 74°20′37″E | |||
देश | पाकिस्तान | ||
प्रांत | पंजाब | ||
डिवीजन | लाहौर | ||
ज़िला | लाहौर | ||
स्थापना | पहली और 7वीं शताब्दी के बीच | ||
शहर के रूप में स्थापना | 1040 | ||
मुग़ल साम्राज्य के अधीन | 27 मई 1586 | ||
महानगर के रूप में स्थापना | 3 फ़रवरी 1890 | ||
सीट | लाहौर टाउन हॉल | ||
ज़ोन | 10 | ||
शासन | |||
• प्रणाली | महानगर निगम | ||
• सभा | लाहौर महानगर निगम | ||
• महापौर | कोई नहीं[2] | ||
• उपमहापौर | 9 | ||
• उपायुक्त | सैयद मूसा रज़ा[3] | ||
• पुलिस अधिकारी | बिलाल सिद्दीक़ कामयाना | ||
• पंजाब सभा | 30 सदस्यों | ||
क्षेत्रफल[4] | |||
• महानगर | 1772 किमी2 (684 वर्गमील) | ||
क्षेत्र पद | प्रथम (पंजाब) द्वितीय (पाकिस्तान) | ||
अधिकतम उच्चता[a] | 231 मी (758 फीट) | ||
निम्नतम उच्चता[5] | 196 मी (643 फीट) | ||
जनसंख्या (2023)[6] | |||
• महानगर | 1,30,04,135 | ||
• पद | प्रथम (पंजाब) द्वितीय (पाकिस्तान) 26वीं (विश्व) | ||
• महानगरीय घनत्व | 7339 किमी2 (19,010 वर्गमील) | ||
• भाषाएँ | |||
• उपभाषा | माझी | ||
वासीनाम | लाहौरी | ||
धर्म (2017) | |||
• धर्म | |||
समय मण्डल | PKT (यूटीसी+5) | ||
डाक कोड | 53XXX – 55XXX | ||
दूरभाष कोड | 042[7] | ||
वाहन पंजीकरण | सूची
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GDP (PPP) | $84 अरब (2019)[8][9] | ||
अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र | अल्लामा इक़बाल अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र | ||
त्वरित परिवहन | लाहौर मेट्रोबस | ||
पुलिस | राजधानी लाहौरी पुलिस | ||
विकास प्राधिकरण | लाहौर विकास प्राधिकरण | ||
HDI (2018) | 0.877[10] (very high) · 3rd | ||
वृद्धि | 8.06% | ||
साक्षरता (2017) | 81% | ||
राष्ट्रीय सभा के सदस्यों | 14 / 336
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लिंगानुपात (2017) | 912 ♀/1000 ♂ | ||
जलवायु | BSh | ||
संक्षेपाक्षर | LHR | ||
संरक्षक संत | दाता गंज बख़्श[11][12] | ||
वेबसाइट | lahore |
लाहौर का ज्यादातर स्थापत्य मुगल कालीन एवं औपनिवेशिक ब्रिटिश काल का है जिसका अधिकांश आज भी सुरक्षित है। आज भी बादशाही मस्जिद, अली हुजविरी शालीमार बाग एवं नूरजहां तथा जहांगीर के मकबरे मुगलकालीन स्थापत्य की उपस्थिती एवं उसकी महत्ता का आभास करवाता है। महत्वपूर्ण ब्रिटिश कालीन भवनों में लाहौर उच्च न्यायलय जनरल पोस्ट ऑफिस, इत्यादि मुगल एवं ब्रिटिश स्थापत्य का मिश्रित नमूना बनकर लाहौर में उपस्थित है एवं ये सभी महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में लोकप्रिय हैं।
मुख्य तौर पर लाहौर में पंजाबी को मातृ भाषा के तौर पर इस्तेमाल की जाती है हलाकि उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा भी यहां प्रचलन में है एवं नौजवानों में लोकप्रिय है। यहाँ मुख्य रूप से कालरा सम्प्रदाय के लोग निवास करते थे। आज़ादी के बाद कालरा सम्प्रदाय लाहौर से भागकर दिल्ली आ गए। वरुण कालरा भी मुख्य रूप से लाहौर का निवासी है। ये दिल्ली के रोहिणी इलाके में बसे हैं। लाहौर की पंजाबी शैली को लाहौरी पंजाबी के नाम से भी जाना जाता है जिसमे पंजाबी एवं उर्दू का सुंदर मिश्रण होता है। १९९८ की जनगणना के अनुसार शहर की जनगणना लगभग ७ लाख आंकी गयी थी जिसके जून २००६ में १० लाख होने की गणना गयी थी।[13] इस अनुमान के अनुसार लाहौर् दक्षिण एशिया में पांचवी सबसे बडी जनसंख्या वाला एवं दुनिया में २३वीं सबसे बडी आबादी वाला शहर है।
इतिहास
ऐसा माना जाता है कि लाहौर की स्थापना भगवान राम के पुत्र भगवान लव ने की थी। आज भी कुछ ऐसे अंश मिलते हैं जिन से भगवान राम के दिनो की याद ताज़ा हो जाती हे इन अंश में लव का मंदिर भी है। लव का उच्चारण लह भी किया जाता है, जिससे कि लाहौर शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है।[14][15]
पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर लाहौर यहां की सांस्कृतिक राजधानी के रूप विख्यात है। यह शहर पिछली कई शताब्दियों से बुद्धिजीवियों और सांस्कृतिक गतिविधियों का गढ़ रहा है। रावी नदी के किनारे स्थित यह शहर पंजाब प्रांत की वाणिज्यिक गतिविविधों का केन्द्र है। पर्यटकों के देखने के लिए यहां लोकप्रिय और चर्चित पर्यटन स्थलों की भरमार है। लाहौर फोर्ट, बादशाही मस्जिद, अकबरी गेट, कश्मीरी गेट, चिड़ियाघर, शालीमार गार्डन, वजीर खान मस्जिद आदि चर्चित स्थल हैं।
उल्लेखनीय घटनाएं
ग़ैर मुस्लिमों के पवित्र स्थल
मंदिर
कन्हैयालाल लिखते हैं कि पुराने स्थापत्य और कला के मंदिर, हिंदूओं के प्रार्थना स्थल बहुत हैं जिन का उल्लेख नहीं हो सकता। छोटे छोटे शिवाले-ओ-ठाकुरद्वारे-ओ-देवी द्वारे अगणित हैं। इन में से-ओ-जदीद दोनों किस्म के हैं। मगर सखी अह्द में पुरानी इमारात के मंदिर भी अज सर-ए-नौ नबाए गए थे जिन की इमारात ताज़ा नज़र आती हैं। बाअज़ मंदिर जो उन से नामी गिरामी हैं और ख़ास-ओ-आम वहां जा कर पूजा करते हैं इस क़िस्म में लिखे जाते हैं। (1) मगर याद रहे कि ये कन्हैयालाल ने 1882ई. में अपने पुस्तक तारीख़ लाहौर में लिखा था। और आज बहुत से स्थापत्य का विनाश हो चुका हैं।
- शिवाला बावा ठाकुर गिर
- शिवाला राजा दीनानाथ राजा कलानौर
- शिवाला बख़्शी भगत राम
- मकान धर्म साला बाबा ख़ुदा सिंह
- ठाकुर द्वारा राजा तेजा सिंह
- शिवाले गुलाब राए जमादार
वो मंदिर जिस में अब भी पूजा होती है
सिखों के प्रार्थना स्थल
- समाध महाराजा रणजीत सिंह
- गुरुद्वारा डेरा साख़ब
- गुरुद्वारा काना काछ
- गुरुद्वारा शहीद गंज
- जन्मस्थान गुरु राम दास
लाहौर के मंदिर
- वाल्मीकि जी का मंदिर
- कृष्ण जी मंदिर रवि रोड लाहौर
लाहोर के प्रख्यात स्थापत्य
- इस्लामी शिखर सम्मेलन
- गवालमंडी फूड स्ट्रीट
- शालीमार गार्डन
- तीर्थ अल्लामा इकबाल
- आजम पुस्तकालय
- ाल्फ़र्ड वोलनर साँचा
प्रमुख आकर्षण
सारांश
परिप्रेक्ष्य

वजीर खान मस्जिद
पुराने शहर की यह मस्जिद अपनी टाइल की कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है। बहुत बार इसे लाहौर के गाल के जासूस के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह मस्जिद 1634-35 ई. में मुगल सम्राट शाहजहां के काल में बननी शुरू हुई थी और इससे बनने में सात वर्ष का समय लगा था। मस्जिद को चिनिओट के शेख इलमुद्दीन अंसानी ने बनवाया था। बाद में उसे लाहौर का गवर्नर अर्थात वजीर बना दिया गया था। मस्जिद में फारसी भाषा में अनेक प्रकार के अभिलेख मुद्रित हैं।
चिड़ियाघर
1872 में स्थापित लाहौर का यह चिड़ियाघर विश्व के सबसे प्राचीन चिड़ियाघरों में एक है। इस चिड़ियाघर को विकसित करने का श्रेय श्री लाल महुन्द्रा राम को जाता है। इस चिड़ियाघर में 136 प्रजातियों के 1381 जीवों, 49 सरीसृपों, 336 स्तनपायी 996 प्रकार की चिड़ियों को देखा जा सकता है। 1872 से 1923 तक यह चिड़ियाघर लाहौर नगर निगम के अधीन रहा था। चिड़ियाघर वनस्पति उद्यान में पेड़-पौधों की विविध किस्मों को भी देखा जा सकता है।आज भी यह अपने सौन्दर्य हेतु विख्यात है।
बादशाही मस्जिद
इस मस्जिद को 1673 ई. में मुगल सम्राट औरंगजेब ने बनवाया था। यह मस्जिद मुगल काल की सौंदर्य और भव्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। पाकिस्तान की इस दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद में एक साथ 55000 हजार लोग नमाज अदा कर सकते हैं। बादशाही मस्जिद का डिजाइन दिल्ली की जामा मस्जिद से काफी मिलता-जुलता है । मस्जिद लाहौर किले के नजदीक स्थित है। हाल में मस्जिद परिसर में एक छोटा संग्रहालय भी जोड़ा गया है।
किम्स गन
किम्स गन या भंगियावाला तोप लाहौर संग्रहालय में रखी एक विशाल तोप है। यह गन 14 फीट या 4.38 मीटर लंबी है। गन का औसत व्यास 9.5 इंच है। यह गन लाहौर में 1757 ई. में शाहवाली खान के निर्देश पर शाह नजीर द्वारा लाई गई थी। यह ऐतिहासिक गन एशिया महाद्वीप की सबसे विशाल गनों में एक है। माना जाता है कि इस गन को तांबे और पीतल से बनाया गया है। 1761 में पानीपत के युद्ध में अहमदशाह अब्दाली ने इस गन का इस्तेमाल किया था।
लाहौर किला
लाहौर के उत्तर-पश्चिम किनारे में स्थित यह किला यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। किले के भीतर शीश महल, आलमगीर गेट, नौलखा पेवेलियन और मोती मस्जिद देखी जा सकती है। यह किला 1400 फीट लंबा और 1115 फीट चौड़ा है। यूनेस्को ने 1981 में इसे विश्वदाय धरोहरों सूची में शामिल किया है। माना जाता है कि इस किले को 1560 ई. में अकबर ने बनवाया था। आलमगीर दरवाजे से किले में प्रवेश किया जाता है जिसे 1618 में जहांगीर ने बनवाया था। दीवाने आम और दीवाने खास किले के मुख्य आकर्षण हैं।
लाहौर म्युजियम
यह म्युजियम 1894 में स्थापित किया गया था। ओल्ड यूनिवर्सिटी हॉल के निकट स्थित इस म्युजियम को दक्षिण एशिया के सबसे विशाल म्युजियमों में एक माना जाता है। म्युजियम में मुगलों, सिक्खों और ब्रिटिश काल की अनेक बहुमूल्य और दुर्लभ कलाकृतियों को देखा जा सकता है। यहां वाद्ययंत्रों, प्राचीन आभूषणों, कपड़ों, मिट्टी के बर्तनों और हथियारों का विस्तृत संग्रह देखा जा सकता है। दौड़ते हुए बुद्ध की मूर्ति म्युजियम की एक अमूल्य एवं दुर्लभ निधि है।
शालीमार गार्डन

इस गार्डन को मुगल सम्राट शाहजहां ने 1641 ई. में बनवाया था। चारों ओर से ऊंची दीवारों से घिरा यह गार्डन अपने जटिल फ्रेमवर्क के लिए प्रसिद्ध है। 1981 में यूनेस्को ने इसे लाहौर किले के साथ विश्वदाय धरोहरों में शामिल किया था। फराह बख्स, फैज बख्स और हयात बख्स नामक चबूतरे गार्डन की सुंदरता में वृद्धि करते हैं।
जहांगीर का मकबरा
शाहदरा नगर के निकट स्थित जहांगीर मकबरा मुगल सम्राट जहांगीर को समर्पित है। इसे जहांगीर की मृत्यु के 10 साल बाद उनके पुत्र शाहजहां ने बनवाया था। एक बगीचे के अंदर स्थित मकबरे की मीनारें 30 मीटर ऊंची हैं। मकबरे के भीतरी हिस्से में भित्तिचित्रों की सुंदर सजावट है।
हजूरी बाग
लाहौर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में यह खूबसूरत बाग शामिल है। इसके पूर्व में लाहौर किला, उत्तर में रणजीत सिंह की समाधि, पश्चिम में बादशाही मस्जिद और दक्षिण में रोशनई दरवाजा स्थित है। इस बाग का निमार्ण 1813 ई. में पंजाब के महान शासक महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था। इस बाग को कोहिनूर हीर को अफगान के शासक शाह शुजा से पुन: भारत लाए जाने के उपलक्ष्य में बनवाया गया था।
आवागमन
- वायु मार्ग
लाहौर का अल्लामा इकबाल अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र दिल्ली के इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र से वायुमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। दिल्ली और लाहौर के बीच नियमित फ्लाइटें हैं।
- सड़क मार्ग
दिल्ली और लाहौर के बीच चलने वाली बस के माध्यम से सड़क मार्ग द्वारा लाहौर पहुंचा जा सकता है।
खेल
लाहौर के मस़हूर खेलों मैं क्रिकेट, हाकी, और फ़ुटबाल स़ामिल हैं। लाहौर स्थित गद्दाफी स्टेडियम पाकिस्तान का एक प्रमुख क्रिकेट का मैदान है।
चित्र दीर्घा
भगिनी शहर
लाहौर के सात भगिनी शहर है:
शैक्षिक संस्थान
== साहित्य =यहां बहुत जुल्म हुआ हिंदू सिख के ऊपर मुस्लिम बलात्कारियों द्वारा
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