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नेल्सन स्मारक या नेल्सन्स् माॅन्युमेन्ट(अंग्रेज़ी: Nelson's Monument) एडिनबर्ग के नज़दीक काॅल्टन पहाड़ी पर स्थित एक टावर है जिसे एक ब्रिटिश नौसेना अधिकारी वाइस ऐडमिरल होराशियो नेल्सन की यादगार के तौर पर वर्ष १८०७ से १८१५ के बीच, नेल्सन की ट्रफ़ालगर की लड़ाई में स्पेनियाई और फ़्रान्सिसी सेनाओं पर वजय प्रापती की खुशी के स्मरण में, बनाया गया था। इसी लड़ाई में नेल्सन की मृत्यू भी हो गई थी। यह टावर काॅल्टन पहाड़ के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है और इसे लीथ बंदर्गाह के किसी भी कोने से साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। इसके पास में ही स्काॅटलैन्ड का अधनिर्मित राष्ट्रीय स्मारक भी स्थित है। इस पर एक टाइम बाॅल(कालगेंद) है, जो आज भी हर रोज़ ठीक १ बजे अपने मानक स्थान से गिरता है। हर ट्रफ़ालगर डेऽ(ट्रफ़ालगर दिवस) पर शाही नौसेना के सफेद पर्चम को इस पर से फ़हराया जाता है, जिसपर नेल्सन के प्रसिद्ध संदेश "इंगलेन्ड एक्सपेक्ट्स् दैट एव़्री मैन व़िल डू हिज़ ड्यूटी"("इंगलैंड उम्मीद करती है की हर व्यक्ती अपने करतव्य का पालन करेगा") अंकित होता है। २००९ में अंतिम बार इसकी मरम्मत की गई थी।[1][2]
नेल्सन स्मारक | |
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Nelson Monument नेल्सन माॅन्युमेन्ट | |
काॅल्टन पहाड़ी के नीचे से नेल्सन्स् माॅन्युमेन्ट का दृश्य | |
सामान्य विवरण | |
अवस्था | पूर्ण(आखरी मरम्मत-२००९) |
प्रकार | जनसाधारण स्मारक(स्मृती स्मारक) |
स्थान | काॅल्टन पहाड़ी, एडिनबर्ग, स्काॅटलैंड, यूनाइटेड किंगडम |
उच्चता | 171 मीटर (561 फीट) |
निर्माणकार्य शुरू | १८०७ |
निर्माण सम्पन्न | १८१५ |
ऊँचाई | |
छत | 32 मीटर (105 फीट) |
योजना एवं निर्माण | |
वास्तुकार | राॅबर्ट बॅऱ्न |
वाइस ऐडमियल होराटियो नेल्सन, फ़र्स्ट वास्काँन्ट नेल्सन की याद में बने इस स्मारक को अंग्रेज़ी में नेल्सन माॅन्युमेन्ट(Nelson Monument) कहा जाता है, जिसे हिंदी में नेल्सन स्मारक कहा जा सकता है। अंग्रेज़ी में माॅन्युमेन्ट(Monument) का अर्थ होता है स्मारक।
३२ मीटर ऊंचा यह स्मारक काॅल्टन पहाड़ी पर मान समुद्र स्तर से १७१ मीटर की अवनती पर स्थित है। यह मूलतः एक दांतेदार मिनार नुमा संरचना है, जिसे इसके वास्तुकार राॅबर्ट बऱ्न ने बड़ी बारीकी से, एक उलटे रखे टेलिस्कोप(दूरदर्शी) के आकार का बनाया है(एक ऐसी वस्तू जो नेल्सन की ज़िन्दगी से काफ़ी हद तक जुड़ी हुई थी)। इसके टावर के नीचे एक पंचकोणाकार दांतेदार वेदिका वाली ईमारत है जो इस मिनारनुमा संरचना के आधार के कार्य करती है। यह पूरी संरचना मूलरूप से एक ईंट-निर्मित भवन है एवं इस्का आवरण भी स्मान्य ईंटों की बनावट की है। इस ५-मंज़िला टावर पर बड़ी गोलाकार छत वाली खिड़कियां भी हर तल पर देखी जा सकती हैं। उपर पांचवे तल पर एक दर्शण पटल है जिस पर से नीचे के शहर एवं समुद्र का एक बेहद खूबसूरत नज़ारा देखा जा सकता है। इस मिनार में कुल १४३ सीढ़ियां हैं जो आगंतुकों को ऊपर बारजा तक ले जाती हैं। इसके ऊपर सैन जोज़ेफ़ नामक एक जहाज़ की छोटी नकल बनाई गई है, जिस पर नेल्सन ने सेन्ट विन्सेन्ट की लड़ाई में कब्ज़ा कर लिया था। इसकी छत पर एक टाइम बाॅल(कालगेंद) भी है, जसे पहले समुद्री जहाज़ों को सटीक समय का संकेत देने के लिये उपयोग किया जाता था।
मौजूदा स्मारक को एक पुराने टावर रूपी ढाँचे के स्थान पर बनाया गया था जिसे समंदर में पोतों को निर्देश या संकेत देने के लिये इस्तमाल किया जाता था। इसे पूरी तरह सार्वडनिक भागीदारी व सार्वजनिक सदस्यता द्वारा वित्त्यित किया गया था। इसकी प्राथमिक योजना को ऐलेक्ज़ैन्डर नैस्मिथ ने तईयार किया था। उनके स्तूप-रूपी परियोजना को अधिक खर्चीला होने के कारण वास्तवीकरण के लिये अनुप्युक्त समझा गया। मौजूदा उलटे टेलीस्कोप वाले डिज़ाइन को राॅबर्ट बॅऱ्न ने तईयार किया था। इसपर काम 1807 में शुरू किया गया, और लगभग पूरा कर भी लिया गया था जब पैसे खतम हो गए। साथ ही बॅऱ्न की 1815 में मृत्यू हो गई। इसके नीचे की दांतेदार वेदिका वाले पंचकोणीय भवन को थाॅमस बोनार ने 1814 से 1816 के बीच पूरा किया था। इसे मूलतः जहाजों को संकेत देने के लिये बनाया गया था। नीचे वाले कमरों को उस समय नाविकों के सहन-सहन के लिये इस्तमाल कियाजाता था। बाद में इनहें भवन के केयरटेकर के रहन के लिये इस्तमाल किया जाने लगा। 2009 में इसे पुनःनवीनिकरण किया गया और आज यह यूके का एक ए श्रेणी की सूची में आता है।[3][4] [5]
नेल्सन स्मारक पर लगी कालगेंद को १८५३ में लगाया गया था। इसे मूलरूप से लीथ बंदर्गाह पर जहाज़ों को सही समय का संकेत देने के लिये लगाया गया था, ताकी वे अमनी समुद्री कालमापियों को सटीक रूपसे निर्देशित कर सकें। इस समय गेंद का तंत्र(मेकैनिज़म), लैम्बेथ के, मौडस्ले, संस एंड फील्ड नामक कंपनी का काम था, जिन्होंने पहले ग्रीनविच की शाही वेधशाला के लिए भी समय गेंद तंत्र का निर्माण किया था। इसे जेम्स रिची ऐंड सन्स् (क्लाॅकमास्टर्स) लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा अपनी जगह पर स्थापित किया गया था, जिन्हें अभी भी एडिनबर्ग सिटी काउन्सिल(एडिनबर्ग नगर परिशद) द्वारा इस समय गेंद के संचालन एवं रख-रखाव करने के लिए बरकरार रखा गया है। यह कलगेन्द स्काॅटलैन्ड के शाही खगोलशास्त्री चार्ल्स पियाज़्ज़ी स्मिथ का मनसज था, जिसे मूलतः पास मे स्थित सिटी ऑब्ज़र्वेटॅरी(नगर वेधशाला) से भूतलीय तारों द्वारी संचालित किया जाता था। इसकी गेंद ज़िंक की परत-चढ़ी लकड़ी से बनी है, इसका कुल वज़न ७६२ कीलो है। इसे पहले सिटी ऑब्जर्वेटरी द्वारा निर्देशित समयनुसार ठीक दोपहर १ बजे गिराया जाता था। १८६१ में एडिनबर्ग कासल में कुहासे की दिनों के लिये एक बजे की बन्दूक को चलाना शुरू किया गया। इसे लगातार कुल १५० वर्षों तक चलाया गया, जबतक २००७ में एक तूफ़ान के कारण यह टूट गया। २००९ में हुई मरम्मत-कार्य के दौरान इसे हटा दिया गया और पुनः ठीक कर के २४ सितंबर २००९ में फिर से आपनी जगह पर लगा दिया गया। इसके बाद से, इसे एक बजे की बन्दूक के आधार पर हास्तसंचालित किया जाता है।
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