जयपुर
राजस्थान की राजधानी / From Wikipedia, the free encyclopedia
जयपुर शहर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है। जयपुर राजस्थान का सबसे
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जयपुर | |
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शहर | |
Jaipur | |
निर्देशांक: 26.9°N 75.8°E / 26.9; 75.8 | |
देश | भारत |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | जयपुर |
स्थापना | १७२७ |
संस्थापक | जय सिंह द्वितीय |
नाम स्रोत | जय सिंह द्वितीय |
शासन | |
• प्रणाली | नगर निगम |
• सभा | जयपुर नगर निगम |
• महापौर | सौम्या गुर्जर (जयपुर ग्रेटर)(भाजपा) |
क्षेत्र[1] | ४६७ किमी2 (१८० वर्गमील) |
क्षेत्र दर्जा | राजस्थान में जोधपुर महानगर के बाद दूसरा बड़ा शहर है |
जनसंख्या (२०११)[2] | |
• कुल | ३०,४६,१६३ |
• दर्जा | भारत में दसवां |
• घनत्व | ६,५०० किमी2 (१७,००० वर्गमील) |
वासीनाम | जयपुरी, जयपुरिया |
भाषा | |
• आधिकारिक | हिन्दी, राजस्थानी |
• अतिरिक्त आधिकारिक | अंग्रेजी |
• क्षेत्रीय | ढूंढाड़ी |
समय मण्डल | आइएसटी (यूटीसी+५:३०) |
पिन कोड | ३०२०xx |
दूरभाष कोड | +९१-१४१ |
वाहन पंजीकरण | RJ-१४ (जयपुर दक्षिण) RJ-४५ (जयपुर उत्तर) |
हवाई अड्डा | जयपुर अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा |
त्वरित परिवहन | जयपुर मेट्रो |
वेबसाइट | जयपुर ग्रेटर जयपुर हेरिटेज |
मापदंड: | सांस्कृतिक: (ii), (iv), (vi) |
अभिहीत: | २०१९(४३वां सत्र) |
सन्दर्भ क्रमांक | १६०५ |
क्षेत्र: | एशिया-प्रांत |
बड़ा शहर है। जयपुर को पिंक सिटी अथवा गुलाबी नगरी भी कहते है, इसको सबसे पहले स्टैनली रीड ने पिंक सिटी बोला था । जयपुर की स्थापना आमेर के मुगल सामंत सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने की थी। यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है[3]
जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।[4] यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।[5] जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन ब्रिटिश जमींदार सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। मुगल सामंत जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली, आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। संघीय राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है।
शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं।[6] बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया।[7] पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह 111 फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वैधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं।[6]
जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत जमींदारो का नियंत्रण था। जयपुर का सामंत/ जमींदार परिवार जिन्हें जयपुर रजवाड़ा कहा जाता है, हमेशा ही विदेशी मुगलों और अंग्रेजों के प्रति वफादार रहा था। 19वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या 1,80,000 थी जो अब बढ़ कर 2001 के आंकड़ों के अनुसार 13,7,119 और 2012 के बाद 20 लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। इस प्रकार के धरोहर होना हमारे भारत देश के लिए एक गर्व की बात है । भारत सरकार को ऐसे धरोहरों को साज सजावट का पूरा ख्याल रखना चाहिए