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नाहरगढ़ दुर्ग
राजपूत राजाओं द्वारा बनाया गया किला / From Wikipedia, the free encyclopedia
नाहरगढ़ का किला जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर बना हुआ है। आरावली की पर्वत श्रृंखला के छोर पर आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था। यहाँ एक किंवदंती है कि कोई एक नाहर सिंह नामके राजपूत की प्रेतात्मा वहां भटका करती थी। किले के निर्माण में व्यावधान भी उपस्थित किया करती थी। अतः तांत्रिकों से सलाह ली गयी और उस किले को उस प्रेतात्मा के नाम पर नाहरगढ़ रखने से प्रेतबाधा दूर हो गयी थी।[1]
नाहरगढ़ दुर्ग | |
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ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ | |
कछवाहा जयपुर राज्य का भाग | |
जयपुर, राजस्थानਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ | |
![]() नाहरगढ़ दुर्ग से जयपुर शहर का दृश्य | |
निर्देशांक | |
प्रकार | रक्षा किला |
कोड | ४५८ ५५८ |
स्थल जानकारी | |
नियंत्रक | जयपुर राजघराना |
जनप्रवेश | हां |
दशा | स्मारक |
स्थल इतिहास | |
निर्मित | १७३४ |
निर्माता | जयसिंह द्वितीय |
प्रयोगाधीन | नहीं |
सामग्री | पत्थर, बलुआ पत्थर |
१९ वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह के द्वारा भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया गया था जिनकी हालत ठीक ठाक है जब कि पुराने निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चले हैं। यहाँ के राजा सवाई राम सिंह के नौ रानियों के लिए अलग अलग आवास खंड बनवाए गए हैं जो सबसे सुन्दर भी हैं। इनमे शौच आदि के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गयी थी। किले के पश्चिम भाग में “पड़ाव” नामका एक रेस्तरां भी है जहाँ खान पान की पूरी व्यवस्र्था है। यहाँ से सूर्यास्त बहुत ही सुन्दर दिखता है।[2] [3]