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काश्गर, कशगार, काशगुर या काशी (उईगुर: قەشقەر, चीनी: 喀什, फारसी: کاشغر) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ३,५०,००० है। काश्गर शहर काश्गर विभाग का प्रशासनिक केंद्र है जिसका क्षेत्रफल १,६२,००० किमी² और जनसंख्या लगभग ३५ लाख है। काश्गर शहर का क्षेत्रफल १५ किमी² है और यह समुद्र तल से १,२८९.५ मीटर (४,२८२ फ़ुट) की औसत ऊँचाई पर स्थित है। यह शहर चीन के पश्चिमतम क्षेत्र में स्थित है और तरीम बेसिन और तकलामकान रेगिस्तान दोनों का भाग है, जिस वजह से इसकी जलवायु चरम शुष्क है।[1]
पुराकाल से ही काश्गर व्यापार तथा राजनीति का केंद्र रहा है और इसके भारत से गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं। भारत से शिनजियांग का व्यापार मार्ग लद्दाख़ के रस्ते से काश्गर जाया करता था।[2] ऐतिहासिक रेशम मार्ग की एक शाखा भी, जिसके ज़रिये मध्य पूर्व, यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच व्यापार चलता था, काश्गर से होकर जाती थी। काश्गर अमू दरिया वादी से खोकंद, समरकंद, अलमाटी, अक्सू, और खोतान मार्गो के बीच स्थित है।
काशगर अवामी जमहूरीया चीन के ख़ुदमुख़तार इलाके शिनजियांग का एक शहर है जिस की आबादी २,०५,०५६ (सन् १९९९) है। ये शहर सहरा-ए-तकलामकान के मग़रिब की जानिब कोह तयाँ शान के दामन में दरया-ए-काशगर के किनारे पर बसा हुआ है। समुद्र-सतह से इस की बुलंदी १,२९० मीटर (४,२३२ फुट) है। वादी जीहओ-ं की जानिब से खोक़ंद, समरक़न्द, अलमाते और दीगर शहरों से आने वाले रास्तों के वुस़्त में स्थित होने की वजह से माज़ी में ये शहर राजनैतिक ओर कारोबारी मरकज़ रहा है। मौजूदा शहर के 200 किलोमीटर दूर मग़रिब से करगज़स्तान की सरहद के क़रीब शाहराह रेशम गुज़रती है जहां से जनूब मग़रिब की जानिब बलख और शुमाल मग़रिब की जानिब फरगाना के आसान रास्ते जाते हैं। काशगर शाहराह कराकोरम ओर दर्रा-ए-ख़न्जराब के ज़रिए पाकिस्तान के दारुलहकूमत इस्लामाबाद से मुनसलिक है और दर्राह तौरगुरत और अरक्षतिअम से करगज़स्तान से मिला हुआ है।
दरया-ए-काशगर से ज़रख़ेज़ होने वाली ज़मीनों पर कपास, अनाज और फल काश्त किए जाते हैं। अलावा अज़ीं क़रीबी चुरा गउहूं में गुला बानी मबानी भी की जाती है। क़दीम शाहराह रेशम के किनारे वाक़िअ इस शहर में सदीयों से ताजिरों के कारवानों के लिए रवायती हाथ से बने कपास और रेशम के पारचा जात, कालीन, चमड़े की मसनूआत और जे़वरात तैयार किए जाते थे जो आज भी यहां की अहम सनअत हैं। तुर्कों के उईग़ुर क़बीले से ताल्लुक रखने वाले मुसलमान यहां अक्सरीयत में हैं।
चीनी इस शहर को पहले शिव-फु कहा जाता था और ये सन् 206 ईसापूर्व से 220 ईपू तक हान और 618 से 907 ईसवी तक तंग ख़ानदान के ज़ेर-ए-इक़तिदार रहा। 751ई में जंग तआलास में चीनीयों को अरबो के हाथों ज़बरदस्त शिकस्त हुई और काशगर मिल्लत-इस्लामीया में शामिल होगया और आज भी यहां मुसलमानों की अक्सरीयत है। ये शहर 1219ई में चंगेज़ ख़ान के हमलों से तबाह हुआ। मार्को पोलो ने 1273ई में काशगर की सैर की। 1389ई में काशगर अमीर तैमूर के अताब का निशाना बिना।
तर्क, उइग़ुर, मंगोल और दीगर वुस़्त एशियाई सल़्तनतों का हिस्सा बनने के बाद 1759ई में चंग ख़ानदान के एद में काशगर एक मरतबा फिर चीन का हिस्सा बन गया, यूं मशरक़ी तुर्किस्तान चीनी तुर्किस्तान बन गया। मुसलमानों ने कई मरतबा हुकूमत-ए-वक्त के ख़िलाफ़ बग़ावत की, लेकिन हर मरतबा उसे कुचल दिया गया। इन में मशहूर-तरीन बग़ावत याक़ूब बेग की ज़ेर-ए-क़यादत हुई थी, जिन के एद में आज़ाद तुर्किस्तान की हुकूमत 1865ई से 1877ई तक कायम रही और इस का दारुलहकूमत काश्गर ही था। याक़ूब बेग के इंतिक़ाल के बाद 1877ई में चंग ख़ानदान ने इलाके पर मुकम्मल नियंत्रण हासिल करलिया।
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