अग्रदास
रामानन्दी संत व कृष्णदास पायोहारी जी के शिष्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
अग्रदास (१६वी शताब्दी) एक संत और कवि थे। वें कृष्णदास पयहारी के शिष्य थे। अग्रदासजी के शिष्य नाभादास जी थे, जिन्होंने 'भक्तमाल' धार्मिक ग्रन्थ की रचना की थी। भक्तिकाल के कवियों में स्वामी अग्रदास के शिष्य नाभादास का विशिष्ट स्थान है।[1]
अग्रदास "रसिक संप्रदाय" के संस्थापक आचार्य थे। उनका जन्म १६वी शती का उत्तरार्द्ध बताया जाता हैं। अग्रदास, स्वामी रामानंद के शिष्य-परम्परा[2] के चौथी पीठी में हुए- रामानंद, अनंतानंद, श्रीकृष्णदास पयहारी, अग्रदास।[3][4]
अग्रदास जी का एक पद इस प्रकार है -
पहरे राम तुम्हारे सोवत। मैं मतिमंद अंधा नहिं जोवत॥
अपमारग मारग महि जान्यो। इंद्री पोषि पुरुषारथ मान्यो॥
औरनि के बल अनतप्रकार। अगरदास के राम अधार॥