सरस्वती नदी
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सरस्वती नदी दुनिया के सभसे प्राचीन संस्कृत साहित्य ऋग्वेद में बर्णित एक ठो नदी हवे। बाद के बैदिक आ बैदिक-बाद काल में भी एकर बरनन मिले ला। हिंदू धरम में एकर बहुत महत्व एह कारण से भी बा कि लगभग दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के जमाना में वैदिक लोग द्वारा ऋग्वेद के रचना एही नदी के तीरे रहत समय भइल रहे।[1] हिंदू लोग द्वारा पूजल जाए वाली देवी सरस्वती एही नदी के देवी रूप में कल्पना रहली, बाकि बाद में समय के साथ अलग रूप बिकसित हो गइल।[2] ऋग्वेद के नदीसूक्त (10.75) में सरस्वती के यमुना आ सतलज के बिचा में बहे वाली बतावल गइल बाटे। बाद के ब्राह्मण ग्रंथ, तांड्य आ जैमिनीय ब्राह्मण में, आ महाभारत में सरस्वती के रेगिस्तान में सूख जाए के बिबरन मिले ला।
हिंदू मान्यता के अनुसार सरस्वती नदी अदृश्य रूप से आज भी बहे ले आ गंगा आ यमुना के साथ इलाहाबाद में त्रिवेणी संगम बनावे ले।[3] हमनी के गैलेक्सी आकाशगंगा में एक ठो हिस्सा के भी सरस्वती नाँव दिहल गइल बाटे।[4]