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मसाढ़ भारत के बिहार राज्य के आरा नगर से 10 किमी दूर एगो गाम हटे। ई जैन आ हिंदू लोग ला एगो महत्वपूर्ण स्थल बाटे।[1]
मसाढ़ शब्द महासार शब्द से बनल बा, एह गाँव के एगो पारसनाथ के मंदिर मे एगो जैन शिलालेख एह गाँव के नांव महासार लिखल बाटे।[2] बाकिर कुछु अउर लोग के अनुसार, पद्मावतीपुर रहे जेकरा एगो जैन मारवाड़ी बदल के विमलनाथ' कर दिहलस, बाद मे एकर नांव मतिसार भइल आ फेर मसाढ़ बनि गइल।
काथा सभ के अनुसार एहिजा बानासुर नांव के दानव रहत रहे, जेकर बहिन उखा के बियाह कृष्ण के पोता अनिरुद्ध से भइल रहे, आ ओह घड़ी एकर नांव सोनितपुर रहे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, एहिजा एगो टीला प बानासुर के मूर्ति रहे, बाद मे ओह टीला के खोन के रेलवे खातिर इंटा बना दिहल गइल आ खोनला के बाद जवन पोखरा बनल ओही मे ओह मूरति के धऽ दिहल गइल। बानासुर एगो दानव रहे एही से गाँव के लोग ओह मूरति के बचावे के परयास ना कइल, लइका सभ ओहपे झिटको मारत रहऽसऽ। पोखरा खोनला प जब बुनि पड़ल तऽ ऊ मूरति ओही मे बुड़ा गइल।
एह गाँव के सभसे पुरान जिक्र चीन से भारत तीरथ करे आइल यात्री ह्वेन सांग के आपन पोथी मे कइल हऽ, जहाँ ऊ एकर नांव मोहोसोलो लिखले बाड़ें। एह जगह दिया लिखले बाड़ें जे एहिजा ब्राह्मण लोग रहेला जे बुद्ध के कहल बात सभ के तनिको इज्जत ना करे।
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