उत्तर प्रदेश में एगो यूनिवर्सिटी From Wikipedia, the free encyclopedia
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) बनारस में एगो केन्द्रीय विश्वविद्यालय बा। ए विश्वविद्यालय के स्थापना (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, सन् 1915) महामाना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के हाथे सन् 1916 में बसंत पंचमी के दिने भइल रहे। तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग एकर शिलान्यास कइलें।[1] ए विश्वविद्यालय के मूल में डॉ. एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित आ चलावल जा रहल सेन्ट्रल हिंदू स्कूल रहल। आज क तारीख में ए विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के दर्जा मिल चुकल बा।
काशी विश्वविद्यालय | |
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मोटो | विद्ययाऽमृतमश्नुते विद्या से अमृत पावल जाला(भोजपुरी अनुवाद) |
स्थापना | 1916 |
प्रकार | केन्द्रीय विश्वविद्यालय |
बिद्यार्थी | 35000 |
लोकेशन | बनारस, उत्तर प्रदेश, भारत |
कैंपस | नगरीय |
पुकारनाँव | बीएचयू |
संबद्धता | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत) |
वेबसाइट | , |
ए विश्वविद्यालय क पास दूगो परिसर बा। जेवना में पुरनका आ मूल परिसर (1300 एकड़) बनारस में बा जेवना के जमीन काशी नरेश दान में देले रहलन। एक परिसर में 6 गो संस्थान, 14 गो संकाय आ लामा नियरा 140 गो विभाग बाड़न स। विश्वविद्यालय के दूसरका परिसर मिर्जापुर जिला में बरकछा में (2700 एकड़) में बा। 75 गो छात्रावासन के साथे ई एशिया के सबसे बड़ रिहायशी विश्वविद्यालय ह जेवना में 30,000 से ढेर छात्र पढ़ेंले। एमें 34 देशन से आइल विदेशियो शामिल बाड़ें।
ए विश्वविद्यालय के प्रांगण में विश्वनाथ जी के एगो बड़हन मंदिरो बा, जेवना के बनारस में नवका विश्वनाथ मंदिर कहल जाला। एकरा अलावे ए विश्वविद्यालय में सर सुंदरलाल अस्पताल, गउशाला, प्रेस, स्टेट बैंक के शाखा, एनसीसी प्रशिक्षण केंद्र आ डाकखानो बाटे। सर सुंदरलाल, डॉ. एस. राधाकृष्णन, डॉ. अमरनाथ झा, आचार्य नरेंद्रदेव, हजारी प्रसाद द्विवेदी आ डॉ. रामास्वामी अय्यर नियर कइगो विद्वान इहवां कुलपति रहि चुकल बाड़ें।
वर्ष 2015-2016 ए विश्वविद्यालय के स्थापना के सउंवा बरिस रहे जेवना साल कई गो बड़हन सांस्कृतिक कार्यक्रम आ प्रतियोगितन के आयोजन संपन्न भइल।[2]
पं॰ मदनमोहन मालवीय जब 1904 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना के सिरिगनेस कइलें त काशीनरेश महाराजा प्रभुनारायण सिंह के अध्यक्षता में संस्थापक सदस्यन के पहिलका बइठक भइल। एकरा बाद 1905 ई. में विश्वविद्यालय के पहिला पाठ्यक्रम के प्रकाशन भइल। जनवरी, 1906 ई. में कुंभ मेला मालवीय जी इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम पर देस भर से आइल जनता क बीचे आपन संकल्प के दोहरवलें। कहला जाला कि उहवां एगो बुजुर्ग महिला मालवीय जी के एह काम खातिर सबसे पहिले एक पइसा चंदा के रूप में दिहले रहली। ओही जमाना में डॉ॰ ऐनी बेसेंट भी काशी में विश्वविद्यालय के स्थापना खातिर प्रयास करत रहली। आ ओही घरी दरभंगा के राजा महाराजा रामेश्वर सिंह भी काशी में "शारदा विद्यापीठ" के स्थापना कइल चाहत रहलें। बाकी ए तीनों जने के विश्वविद्यालय के योजना परस्पर विरोधी रहे। मालवीय जी डॉ॰ बेसेंट आ महाराज रामेश्वर सिंह से सलाह मशविरा कइके अपना योजना में सहयोग देबे खातिर दूनों जने के राजी कइ लिहलें। एकरा बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी के 15 दिसम्बर 1911 क दिने स्थापना भइल, जेमें महाराजा दरभंगा अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रमुख बैरिस्टर सुंदरलाल सचिव आ महाराज प्रभुनारायण सिंह, पं॰ मदनमोहन मालवीय के संगे डॉ॰ ऐनी बेसेंट सदस्य के रूप में शामिल रहली। ओ समय के शिक्षामंत्री सर हारकोर्ट बटलर के प्रयास से 1915 ई. में केंद्रीय विधानसभा से हिंदू यूनिवर्सिटी ऐक्ट पारित हो गइल, जेवना के ओ समय के गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंज तुरंत स्वीकृति दे दिहलें। 14 जनवरी 1916 ई. (वसंतपंचमी) के दिने वाराणसी में गंगातट के पच्छिम, रामनगर क सामने महाराज प्रभुनारायण सिंह द्वारा दान कइल जमीन पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शिलान्यास भइल। तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग एकर शिलान्यास कइलें।[1] ए समारोह में देश के कई गो गवर्नर, राजा-रजवाड़ा आ सामंत गवर्नर जनरल-वाइसराय के स्वागत आ मालवीय जी के सहयोग देबे खातिर हिस्सा लिहलें। कइ गो शिक्षाविद् वैज्ञानिक आ समाजसेवियो ए अवसर पर मौजूद रहलें। महात्मा गांधी भी विशेष निमंत्रण पर ए कार्यक्रम में आल रहलें। बनारस में गांधी जी ने डॉ॰ बेसेंट के अध्यक्षता में आयोजित सभा में राजा-रजवाड़ा, सामंत आ देस कई गो गण्यमान्य लोगन के बीच आपन ऐतिहासिक भाषण दिहलें, जेवना में एक ओरी ब्रिटिश सरकार के आ दूसरा ओरी हीरे-जवाहरात आ सरकारी उपाधि से लादल देसी रियासतन के शासकन के भर्त्सना कइल गइल।
डॉ॰ बेसेंट के सेंट्रल हिंदू स्कूल में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विधिवत पढ़ाई, 1 अक्टूबर 1917 से शुरू भइल। 1916 ई. में आइल बाढ़ के वजह से स्थापना स्थल से हटि के पच्छिम में 1,300 एकड़ जमीन पे बनल विश्वविद्यालय परिसर में सबसे पहिले इंजीनियरिंग कालेज क निर्माण भइल। एकरा बेद आर्ट्स कालेज आ साइंस कालेज क स्थापना भइल। 1921 ई में विश्वविद्यालय क पढ़ाई कमच्छा कॉलेज से हटि के नयका इमारतन में शुरू हो गइल। ए विश्वविद्यालय के औपचारिक उद्घाटन 13 दिसम्बर 1921 के दिने प्रिंस ऑव वेल्स के हाथे भइल।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगीत के रचना परसिद्ध वैज्ञानिक शान्ति स्वरूप भटनागर के कलम से भइल रहे। ए गीत के हिंदी में पढ़ल जाउ:
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