संस्कृत व्याकरण में प्रीफ़िक्स From Wikipedia, the free encyclopedia
संस्कृत व्याकरण में उपसर्ग कुल बीस (चाहे बाइस) ठे प्रीपोजीशनल पार्टिकल हवें जे क्रिया चाहे क्रियार्थक संज्ञा (एक्शन नाउन) के प्रीफ़िक्स के रूप में पहिले जुड़[1] के नया शब्द बनावे लें। वैदिक संस्कृत में एह प्रीपोजीशन सभ के क्रिया शब्द से बिलग कइल जा सकत रहल; शास्त्रीय संस्कृत में इनहन के पहिले जोड़ के लिखल अनिवार्य होला।
महर्षि पाणिनि के अष्टाध्यायी (1.4.58-59)[2] में बीस गो अइसन उपसर्ग (प्रीफ़िक्स) चिन्हित कइल गइल बाड़ें आ इनहन के गणपाठ में गिनावल गइल बाटे:[3]
मूल रूप निः आ दुः के संधि के नियम अनुसार जुड़ाव में दू गो रूप भेद हो जालें जवना से ई निस्/निर् आ दुस्/दुर् बन जालें जेकरा चलते इनहन के गिनती 20 से 22 हो जाला।
इनहना के एगो श्लोक के रूप में ब्यक्त कइल जाला:
प्रपरापसमन्ववनिर्दुरभिव्यधिसूदतिनिप्रतिपर्यनवः ।
उप आ ङिति विंशतिरेष सखे उपसर्गगणः कथितः कविना ॥
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