ईशावास्योपनिषद
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शुक्ल यजुर्वेदाच्या कण्व शाखेच्या संहितेचा चाळिसावा अध्याय म्हणजे ईशावास्य उपनिषद होय. ह्या उपनिषदाचा मंत्र भागात समावेश होतो म्हणून ह्या उपनिषदाला जास्त महत्त्व आहे. सर्व उपनिषदांत ह्याला पहिले स्थान दिले जाते. या उपनिषदाचा पहिला मंत्र हा, "ईशावास्यमिदं" असा सुरू होतो, म्हणून ह्याचे नाव ईशावास्योपनिषद् असे रूढ झाले. या संहितेला ईशोपनिषद, वाजसनेयी उपनिषद, मंत्रोपनिषद असेही म्हटले जाते. कर्म व ज्ञान या विरोधी द्वंद्वाचा समन्वय हा या उपनिषदाचा मुख्य विषय आहे.
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