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भारत की १६वीं जनगणना विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
भारत की 2021 की जनगणना, जो देश की 16 वीं जनगणना है, वर्ष 2021 में संपन्न होनी थी। परंतु, कोविड-19 की वजह से 2021 में भारत की जनगणना नहीं हुई। 16वीं भारतीय जनगणना को कम से कम अक्टूबर 2023 तक के लिए टाल दिया गया है।[1] 2011 में हुई 15 वीं भारतीय जनगणना ने 1931 के बाद पहली बार सामाजिक-आर्थिक और जाति की स्थिति के आधार पर जनसंख्या का अनुमान लगाने का प्रयास किया। चूँकि यह उत्तरदाताओं के जवाब दर्ज करने पर आधारित थी, इसके चलते लाखों जाति / उपजाति श्रेणियाँ बनीं। 16 वीं भारतीय जनगणना के लिए, सरकार इसके बजाय प्रत्येक राज्य द्वारा अधिसूचित ओबीसी की सूची पर आधारित गणना पर विचार कर रही है।[2] हालांकि, फरवरी 2020 में, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 2021 की जनगणना के एक हिस्से के रूप में ओबीसी डेटा की मांग को खारिज कर दिया।[3][4] ऐसा माना जाता है कि भारत में COVID-19 महामारी का 2021 की जनगणना के आंकड़ों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।[5] 2 जनवरी 2023 को, भारत के अतिरिक्त महापंजीयक ने सभी राज्यों को सूचित किया कि प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर करने की तिथि 30 जून 2023 तक बढ़ा दी गई है।[6] 16वीं जनगणना प्रशासनिक सीमाओं के स्थिर होने के तीन महीने बाद ही शुरू हो सकती है। इसके दो चरणों में होने वाली जनगणना को पूरा करने में कम से कम 11 महीने लगते हैं, इसलिए 2023 या 2024 की शुरुआत में इस दशकीय जनगणना के पूरा होने की संभावना से इंकार किया जाता है, क्योंकि अप्रैल 2024 में आम चुनाव होने हैं।[1] जून 2023 में, भारत सरकार ने अगले भारतीय आम चुनाव, 2024 से पहले जनगणना अभ्यास को खारिज करते हुए, जिलों, तहसीलों और कस्बों आदि की प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर करने की समय सीमा 31 दिसंबर 2023 तक बढ़ा दी।[7][8]
भारत की १६वी जनगणना | |
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आम जानकारी | |
भारत |
अप्रैल 2019 में, एक डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन आयोजित की गई थी, जिसमें यह घोषणा की गई थी कि जनगणना हेतु ३,३०,००० प्रगणकों को सूचीबद्ध किया जाएगा। उन्हें अपने स्वयं के स्मार्ट फोन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, हालांकि एक पेपर का विकल्प (ऑफ़लाइन) भी उपलब्ध होगा, जिससे प्रगणकों को बाद में इलेक्ट्रॉनिक रूप में डेटा दर्ज करना होगा।[9] आगे यह घोषणा की गई कि घर की लिस्टिंग अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच आयोजित की जाएगी, और फरवरी 2021 में वास्तविक गणना और मार्च में एक संशोधन दौर प्रायोजित किए जाएँगे। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों और जम्मू और कश्मीर के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2020 होगी और देश के अन्य हिस्सों के लिए यह तिथि 1 मार्च 2021 होगी।[10]
सितंबर 2019 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2021 की राष्ट्रीय जनगणना पूरी तरह से मोबाइल फोन एप्लिकेशन के माध्यम से आयोजित की जाएगी।[11] 2021 की जनगणना 16 भाषाओं में की जाएगी। फरवरी 2021 में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन् ने अपने बजट भाषण में पुष्टि की कि 2021 की जनगणना भारत में पहली बार डिजिटल जनगणना होगी।[12] वित्त मंत्री ने भारत के 2022 के केंद्रीय बजट में जनगणना करने के लिए ₹ 3676 करोड़ आवंटित किए।[13] भारत में COVID-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई है।[14] 20 सितंबर 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान बताया कि जनगणना और परिसीमन की कवायद 2024 में लोकसभा चुनाव के बाद होगी।[15][16]
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