१९६५ का भारत-पाक युद्ध
भारत एवं पाकिस्तान के बीच लड़ा गया दूसरा युद्ध / From Wikipedia, the free encyclopedia
१९६५ का भारत-पाक युद्ध उन मुठभेड़ों का नाम है जो दोनों देशों के बीच अप्रैल १९६५ से सितम्बर १९६५ के बीच हुई थी। इसे कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर राज्य पर अधिकार के लिये बँटवारे के समय से ही विवाद चल रहा है। १९४७ में भारत-पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध भी कश्मीर के लिये ही हुआ था। इस लड़ाई की शुरूआत पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को घुसपैठियों के रूप में भेज कर इस उम्मीद में की थी कि कश्मीर की जनता भारत के खिलाफ विद्रोह कर देगी[10]। इस अभियान का नाम पाकिस्तान ने युद्धभियान जिब्राल्टर रखा था। पांच महीने तक चलने वाले इस युद्ध में दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गये। इस युद्ध का अंत संयुक्त राष्ट्र के द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के साथ हुआ और ताशकंद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ।
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भारत और पाकिस्तान के बीच १९६५ का युद्ध | |||||||
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भारत पाक युद्ध का भाग | |||||||
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योद्धा | |||||||
सेनानायक | |||||||
एस राधाकृष्णन (भारत के राष्ट्रपति) लाल बहादुर शास्त्री |
अयूब खान मूसा खान टिक्का खान नूर खान नासिर अहमद खान | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
700,000 इन्फैंट्री 700+ विमान 720 टैंक |
260,000 इन्फैंट्री 280 विमान 756 टैंक | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
तटस्थ आकलन[2][3]
भारतीय दावा
पाकिस्तानी दावा
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तटस्थ आकलन[2]
पाकिस्तानी दावा'
भारतीय दावा
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इस लड़ाई का अधिकांश हिस्सा दोनों पक्षों की थल सेना ने लड़ा। कारगिल युद्ध के पहले कश्मीर के विषय में कभी इतना बड़ा सैनिक जमावड़ा नहीं हुआ था। युद्ध में पैदल और बख्तरबंद टुकड़ियों ने वायुसेना की मदद से अनेक अभियानों में हिस्सा लिया। दोनो पक्षो के बीच हुए अनेक युद्धों की तरह इस युद्ध की अनेक जानकारियां दोनों पक्षों ने सार्वजनिक नहीं की है।