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हफ़लौंग हिन्दी असम की उत्तर कचर पहाड़ी जिले की आम बोलचाल की भाषा है। यह एक मिश्रित भाषा है जो हिन्दी से उत्पन्न हुई है और इसने अन्य भाषाओं जैसे कि बंगाली, असमिया, दिमासा और ज़ेमे नागा भाषाओं के शब्दों को भी आत्मसात कर लिया है। इस मिश्रित भाषा का नाम हफ़लौंग के नाम पर पड़ा है जो उत्तरी कछर पहाड़ी जिले (डिमा हसाओ जिला) का मुख्यालय है।
हफ़लौंग हिन्दी, हिन्दी के उस वृहद रूप का परिचायक है जो कि पूरे दक्षिण एशिया में किसी ना किसी रूप में विद्यमान है। यह बोली हिन्दी भाषियों के लिए सुबोध है और इसमें हिन्दी के व्याकरण और शब्दों के अतिरिक्त स्थानीय भाषाओं के शब्दों का ग्रहित आसव है।[1]
वाक्यांश | हिन्दी भाष्यार्थ | हिन्दी अर्थ |
---|---|---|
तुमको माइरोंग लेके आया | मैं (गर्भित) तुम्हारे (तुमको) चावल (माइरोंग) लाया (लेके) आया (आया) | 'मैं तुम्हारे लिए चावल लाया हूँ।' |
तुम्हारा कुत्ता हमको कमराया | तुम्हारे (तुम्हारा) कुत्ते (कुत्ता) मुझे (हमको) काटा (कमराया) | 'तुम्हारे कुत्ते ने मुझे काटा।' |
तुम कहाँ जाएगा | कहाँ (कहाँ) तुम (तुम) जाओगे (जाएगा) | 'तुम कहाँ जाओगे?' |
बहुत सी पिड्जिन बोलियाँ उसी स्थिति तक सीमित रहती हैं और अधिकांशतः व्यापारिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त की जातीं हैं। जब किसी बोली का विस्तार होता है और वह एक प्राकृत-भाषा बनती है और उसमें स्थायित्व आता है और उसे बड़े पैमाने पर स्वीकार किया जाता है, तो तकनीकी रूप से वह एक भाषा होती है। तोक पिसिन (पापुआ न्यू गिनी की एक आधिकारिक भाषा) और सीसेलवा (सेशल्स की एक आधिकारिक भाषा) भाषाओं ने यह पद प्राप्त कर लिया है। हफ़लौंग हिन्दी मानकीकरण के इन चिह्नों को वर्णित करती है और इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। उदाहरणार्थ, ऑल इण्डिया रेडियो उत्तरी कछर पहाड़ी जिले में इस बोली में प्रसारण करता है और हिन्दी बोलने वालों, जिनमें सरकारी कर्मचारी भी सम्मिलित है, से हफ़लौंग हिन्दी सीखने की अपेक्षा रखी जाती है। इसलिए, हफ़लौंग हिन्दी को एक क्रियोल भाषा के रूप में वर्गीकृत किया जाता है बजाए की पिड्जिन के।
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