सुशील कोईराला नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।[1] वे नेपाल के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ तथा लोकतान्त्रिक योद्धा है तथा नेपाली कांग्रेस पार्टी के सभापति है।[2] 10 फ़रवरी 2014 को राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। वे नेपाल के 37वें तथा वर्ष 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद छठे प्रधानमंत्री रहे। अक्टूबर २०१५ में नया संविधान लागू होने के पश्चात चुनाव में उन्हें खड्ग प्रसाद शर्मा ओली के हाथों हार का सामना करना पड़ा।[3]

सामान्य तथ्य राष्ट्रपति, पूर्व अधिकारी ...

सुशील कोईराला

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कार्यकाल
10 फ़रवरी 2014  12 अक्टूबर 2015
राष्ट्रपति राम बरन यादव
पूर्व अधिकारी खिल राज रेग्मी
उत्तराधिकारी खड्ग प्रसाद शर्मा ओली

नेपाली कांग्रेस के छठे अध्यक्ष
पदस्थ
कार्यभार ग्रहण 
22 सितंबर 2010
पूर्व अधिकारी गिरिजा प्रसाद कोइराला

जन्म 1939 (आयु 8485)
मृत्यु 09 फरवरी 2016
काठमाण्डू
राजनैतिक पार्टी नेपाली कांग्रेस
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परिचय

सुशील कोइराला का जन्म पिता बोधप्रसाद व माता कुमुदिनी के ज्येष्ठ सुपुत्र के रूप में विराटनगरमे सन् १९३९ में हुआ। वे अविवाहित हैं। वे नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला के कजिन हैं।

सन 1960 में तत्कालीन राजा ने संविधान भंग कर कई राजनीतिक लोगों को जेल में डाल दिया था, इसमें उनके कई रिश्तेदार भी शामिल थे। वह भारत आ गए और उन्होंने वहाँ लगभग 16 साल गुजारे। इस दौरान वे 6 साल भारत और नेपाल की जेलों में भी रहे।[1]

राजनीतिमें प्रवेश

वी पी कोइराला की प्रजातान्त्रिक समाजवादी धारा से प्रेरित होकर सन् 1950 से इन्होने राजनीति में प्रवेश किया। सन 1955 में वे नेपाली कांग्रेस से जुड़े। १९६१ में राजा महेन्द्र द्वारा प्रजातन्त्र का हरण होने के बाद वे १६ साल भारत में प्रवास में रहे। वहीँ से नेपाली काँग्रेस के मुखपत्र तरुण का सम्पादन किया। नेपाल और भारत में उन्होंने लगभग 6 साल राजनैतिक बन्दी का जीवन गुजारा। 1980 में वे नेपाली काँग्रेस के केन्द्रीय सदस्य बने। 1981 के जनमत संग्रह में वे बहुदलीय प्रजातन्त्र के अभियान में शामिल रहे। वे 1986 सत्याग्रह और 1989 की ऐतिहासिक जनआन्दोलन १ में सक्रियरूप से शामिल थे।

सभापति

सन् २०१० सितंबर २२ को काठमांडू में हुई १२ वें महाधिवेशन में वे नेपाली काँग्रेस के सभापति चुने गए।[4]

पाँच दशक राजनीति में गुजारने वाले कोइराला ने कई बार बने कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के मन्त्री पद अस्वीकार किए हैं। समकालीन नेताओं में कोइराला की जीवनशैली को ज्यादा ही सादगीपूर्ण माना जाता हैं।[5]

प्रधानमंत्री पद

२०१३ में हुए चुनाव में नेपाली कांग्रेस 194 सांसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी जबकि 173 सदस्यों के साथ सीपीएन-यूएमएल संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। नेपाली कांग्रेस के साथ छह सूत्री समझौता करने के बाद सीपीएन-यूएमएल की स्थायी समिति ने प्रधानमंत्री पद के लिए कोइराला का समर्थन किया। छह सूत्री समझौते के तहत दोनों पार्टियां एक साल के भीतर नया संविधान लागू करने और नए संविधान को मंजूरी देने के बाद इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और चेयरमैन के पदों के लिए चुनाव कराने पर सहमत हुईं।[1]

इनके प्रधानमंत्रित्व काल में नेपाल में २० सितंबर २०१५ को नया संविधान लागू हो गया।[6]

प्रथम बार नेपाल में लोकतान्त्रिक संविधान लागू होने के बाद अक्टूबर २०१५ में प्रानमंत्री पद के लिए हुए चुनाव में वे सी पी एन -यू एम एल के उम्मीदवार के पी शर्मा ओली से चुनाव हार गए। ओली को १४ राजनीतिक दलों के ३२१ सांसदों और एक निर्दलीय संसद का समर्थन प्राप्त था। इस निर्वाचन में ओली को ५९८ और सुशील कोइराला को ३३८ मत प्राप्त हुए। [7] [8][9]

मृत्यु

विसं 2072 माघ 25,अथवा 9 फरवरी सन् 2016 की रात 12 बजकर 50 मिनट मध्यरात में काठमांडू महाराजगंज स्थित उनके निवास में कोइरालाका निधन हुआ था। कुछ दिनों से सामान्य बुखार के कारण अस्वस्थ हुए कोइराला चिकित्सकों के अनुसार निमोनिया के कारण आकस्मिक निधन हुआ। [10] [11]

सन्दर्भ

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