सिंधी टोपी
From Wikipedia, the free encyclopedia
सिंधी टोपी (सिंधी: سنڌي ٽوپي , शाहमुखी: سرائیکی ٹوپی, उर्दू: سندھی ٹوپی) एक विशेष टोपी है जो एक महिराबी शक्ल में आगे से कटी हुई होती है। आजकल ये टोपी पठानों और सरायकी लोगों के द्वारा भी पहनी जाती है। प्रत्येक वर्ष सिंधी संस्कृति एवं भाषा की हामिल इस टोपी को 21 दिसंबर को एक विशेष दिन के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।[1] यह टोपी सिंधी राष्ट्रवाद का एक प्रतीक है।