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भारत का एक राजनैतिक दल विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
समता पार्टी (SAP) एक भारतीय राजनीतिक दल है, जिसका गठन वर्ष 1994 में पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के द्वारा किया गया था, जो अब राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय मंडल के नेतृत्व में है।[2] समता पार्टी ने पहली बार नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में मौका दिया।[3] यह समाजवादी विचारधारा को मानती है, और उत्तर भारत में, विशेष रूप से बिहार में काफी राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव है। 2003 में समता पार्टी के सदस्य जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हो गए। लेकिन सांसद ब्रह्मानंद मंडल के नेतृत्व वाला एक गुट समता पार्टी में हीं रहा और पार्टी के नाम और प्रतीकों का इस्तेमाल करता रहा।[4]
समता पार्टी | |
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अध्यक्ष | उदय मंडल[1] |
स्थापक | जॉर्ज फर्नान्डिस |
स्थापित | 1994 |
मुख्यालय | Q32/A, शर्मा कॉलोनी, बुध बिहार फेज - २, नई दिल्ली - ११००८६ |
विचारधारा | समाजवादी |
वेबसाइट | |
http://samataparty.org | |
पार्टी का झंडा | |
नाम | समय | पार्टी | राज्य | |
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नीतीश कुमार[5] | 3 March 2000 | 10 March 2000 | समता पार्टी | बिहार |
राधा बिनोद कोईजम[6] | 15 February 2001 | 1 June 2001 | समता पार्टी | मणिपुर |
समता पार्टी ने 1996 में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बन गई।[7] 2003 में जनता दल (यूनाइटेड) के गठन के बाद, समता पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गई।[8]
2003 में समता पार्टी, लोक शक्ति पार्टी एवं शरद यादव कि नेत्रित्व वाली जनता दल का विलय करके जनता दल (यूनाइटेड) का गठन किया गया। मुंगेर के सांसद ब्रह्मानंद मंडल ने समता पार्टी के विलय को चुनैती दी, परिणाम स्वरुप चुनाव आयोग ने अधिकारिक विलय नहीं माना एवं पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के उपयोग कि अनुमति दी।[9] समता पार्टी से सभी बड़े चहड़े जनता दल (यूनाइटेड) के जाने के कारण पार्टी धीरे - शिरे सिमटने लगी। लगातार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के कारण लोकप्रियता घटने लगी और लगभग बंद होने के कगार पर पहुँच गई। 2020 में, पार्टी की कमान उदय मंडल के दिया गया, जिसके बाद उन्होंने इसका पुनर्गठन किया।[10]
शिव सेना में फुट होने के बाद दो अलग - अलग धरे बने जिसमे शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) एवं बालासाहेब की शिव सेना। अक्टूबर - नवम्बर में होने वाले अँधेरी विधानसभा उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने कुछ समय के लिए शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को "मशाल" चुनाव चिन्ह दिया गया जिस पर आपत्ति जताते हुए समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय मंडल[11] ने आयोग में अपील की एवं मामले को न्यायपालिका में ले जाने की तैयार हुए। यह मामला अभी चुनाव आयोग के पास है।[12][13][14] उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव 2022 में समता पार्टी को पुन: मशाल चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया।[15]
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