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श्रीनिवास रामानुजन्
भारतीय गणितज्ञ (१८८७–१९२०) / From Wikipedia, the free encyclopedia
श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर (तमिल ஸ்ரீனிவாஸ ராமானுஜன் ஐயங்கார்) (22 दिसम्बर 1887 – 26 अप्रैल 1920) एक महान भारतीय गणितज्ञ थे।[1][2] इन्हें आधुनिक काल के महानतम् गणित विचारकों में गिना जाता है। इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। इन्होंने अपने प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए वरन भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया।
श्रीनिवास रामानुजन् | |
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![]() श्रीनिवास रामानुजन् (1887-1920) | |
जन्म |
22 दिसम्बर, 1887 इरोड, तमिल नाडु |
मृत्यु |
26 अप्रैल, 1920 चेटपट, (चेन्नई), तमिल नाडु |
आवास |
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राष्ट्रीयता |
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क्षेत्र | गणित |
शिक्षा | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
डॉक्टरी सलाहकार | गॉडफ्रे हेरॉल्ड हार्डी और जॉन इडेन्सर लिटलवुड |
प्रसिद्धि |
लैंडॉ-रामानुजन् स्थिरांक |
ये बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान थे।[3] इन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं। इन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहा है, यद्यपि इनकी कुछ खोजों को गणित मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है। हाल में इनके सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है। इनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिये रामानुजन जर्नल की स्थापना की गई है।