शेर शाह सूरी
भारत में जन्मे पठान, जिन्होनें उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था / From Wikipedia, the free encyclopedia
शेरशाह सूरी (1486 - 22 मई 1545) (फारसी/पश्तो: فريد خان شير شاہ سوري, जन्म का नाम फ़रीद खाँ) भारत में जन्मा पठान था जिन्होंने हुमायूँ को 1540 में हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था। शेरशाह सूरी ने पहले बाबर के लिये एक सैनिक के रूप में काम किया था जिन्होंने उन्हें पदोन्नत कर सेनापति बनाया और फिर बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया। 1537 में, जब हुमायूँ कहीं सुदूर अभियान पर थे तब शेरशाह ने बंगाल पर कब्ज़ा कर सूरी वंश स्थापित किया था।[2] सन् 1539 में, शेरशाह को चौसा की लड़ाई में हुमायूँ का सामना करना पड़ा जिसे शेरशाह ने जीत लिया। 1540 ई. में शेरशाह ने हुमायूँ को पुनः हराकर भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और शेर खान की उपाधि लेकर सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अपना साम्रज्य स्थापित कर दिया। शेरशाह 1545 ई में कालिंजर के घेराबंदी के दौरान चन्देल राजा कीर्तिवर्मन द्वितीय द्वारा बेरहमी से मारा गया था।[3]
शेर शाह सूरी | |
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उत्तर भारत का सम्राट | |
शासनावधि | 1540–1545 |
राज्याभिषेक | 1540 |
पूर्ववर्ती | हुमायूँ |
उत्तरवर्ती | इस्लाम शाह सूरी |
जन्म | 1486[1] बजवाड़ा, होशियारपुर ज़िला, भारत[1]ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
निधन | २२ मई, १५४५[1] कलिंजर, बुन्देलखण्डਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
समाधि | शेर शाह का मक़बरा, सासाराम[1] ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
संतान | इस्लाम शाह सूरी |
घराना | सूरी वंश |
पिता | मियन हसन खान सूर |
धर्म | इस्लाम |
एक शानदार रणनीतिकार, शेर शाह ने खुद को सक्षम सेनापति के साथ ही एक प्रतिभाशाली प्रशासक भी साबित किया। 1540-1545 के अपने पांच साल के शासन के दौरान उन्होंने नयी नगरीय और सैन्य प्रशासन की स्थापना की, पहला रुपया जारी किया है, भारत की डाक व्यवस्था को पुनः संगठित किया और अफ़गानिस्तान में काबुल से लेकर बांग्लादेश के चटगांव तक ग्रांड ट्रंक रोड को बढ़ाया।[4] साम्राज्य के उसके पुनर्गठन ने बाद में मुगल सम्राटों के लिए एक मजबूत नीव रखी विशेषकर हुमायूँ के बेटे अकबर के लिये।