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द्वितीय मुगल सम्राट विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
हुमायूँ एक मुगल शासक था। प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर का पुत्र नसीरुद्दीन हुमायूँ (6 मार्च 1508 – 27 जनवरी 1556) था। यद्यपि उस के पास साम्राज्य बहुत साल तक नही रहा, पर मुग़ल साम्राज्य की नींव में हुमायूँ का योगदान है।
नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ | |
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बादशाह अल-सुल्तान अल-आज़म | |
प्रथम शासनावधि | २६ दिसम्बर १५३०–१७ मई १५४० |
पूर्ववर्ती | बाबर |
उत्तरवर्ती | अकबर |
द्वितीय शासनावधि | २२ जून १५५५–२७ जनवरी १५५६ |
जन्म | ६ मार्च १५०८ काबुल |
निधन | २७ जनवरी १५५६ (उम्र ४७) दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य |
समाधि | |
जीवनसंगी | हमीदा बानु बेगम बेगा बेगम बिगेह बेगम चाँद बीबी हाजी बेगम माह-चूचक मिवेह-जान शहज़ादी खानम |
घराना | तिमुर मुगल |
पिता | बाबर |
बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने 29 दिसम्बर 1530 में भारत की राजगद्दी संभाली और उसके सौतेले भाई कामरान मिर्ज़ा ने काबुल और लाहौर का शासन ले लिया। बाबर ने मरने से पहले ही इस तरह से राज्य को बाँटा ताकि आगे चल कर दोनों भाइयों में लड़ाई न हो। कामरान आगे जाकर हुमायूँ के कड़े प्रतिद्वंदी बने। हुमायूँ का शासन अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों पर 1530-1540 और फिर 1555-1556 तक रहा।
भारत में उसे शेरशाह सूरी शेरशाह ने इसे बेलग्राम के युद्ध में पराजित कर दिया था तथा उसे भारत से निर्वासित होना पड़ा उसने निर्वासन का कुछ समय काबुल सिंध अमरकोट में बिताया , अंत में ईरान के शासक तहमास्य के पास शरण ली । ईरान के शासक की मदद से उसने काबुल कंधार में मध्य एशिया के क्षेत्रों को जीता। उसने 1555 ई० में शेरशाह के अधिकारियों को हराकर एक बार फिर दिल्ली आगरा पर अधिकार कर लिया। 1556 में उसकी मृत्यु दिनपनाह भवन की सीढ़ियों से गिरकर दिल्ली में हो गया इस के साथ ही, मुग़ल दरबार की संस्कृति भी मध्य एशियन से इरानी होती चली गयी।
हुमायूँ के बेटे का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर था। हिमायू की मृत्यु के समय उसका इकलौता पुत्र अकबर पंजाब के कलानौर में था। उसे वहीं पर शासक घोषित कर दिया गया 1556 में जब अकबर का राज्याभिषेक हुआ तो उसका साम्राज्य दिल्ली पंजाब आदि के क्षेत्रों तक ही सीमित था बिहार पर प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं था अकबर के राज्याभिषेक के समय बिहार में अफगान के कररनी वंश का शासक था जिसके संस्थापक ताजखा कर्णानि थे अकबर के समय बिहार का प्रमुख सुलेमान खा कररणी थे जिसका अकबर के साथ मित्रवत व्यवहार था सुलेमान खा कररणी की मृत्यु के बाद बिहार के प्रमुख दाऊद खा कररणी बिहार के प्रमुख बने और इस ने अकबर के साथ मित्रवत व्यवहार नहीं रखा यह मुगल शासको के नाम से खुतवा पढ़ना बन्द करवा दिया 1574 में अकबर ने बिहार पर आक्रमण किया जिसमें दाऊद खा कररनी भाग गया बिहार का अंतिम अफगान दाऊद खा कररनी थे 1580 में अकबर ने बिहार को एक सूबा घोषित किया मुगल साम्राज्य में कुल 12 सूबा बने जिसमे बिहार भी एक था अकबर ने बिहार के पहले सूबेदार मिर्जा अजीज को नियुक्त किया।
हुमायूँ की जीवनी का नाम हुमायूँनामा है जो उनकी बहन गुलबदन बेग़म ने लिखी है। इसमें हुमायूँ को काफी विनम्र स्वभाव का बताया गया है और इस जीवनी के तरीके से उन्होंने हुमायूँ को क्रोधित और उकसाने की कोशिश भी की है।
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