लक्षद्वीप
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लक्षद्वीप (संस्कृत: लक्षद्वीप, एक लाख द्वीप), भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से 200 से 440 किमी (120 से 270 मील) दूर अरब सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। पहले इन द्वीपों को 'लक्कादीव-मिनिकॉय-अमिनीदिवि द्वीप' के नाम से जाना जाता था। यह द्वीपसमूह भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश होने के साथ साथ एक जिला भी है। पूरे द्वीपसमूह को लक्षद्वीप के नाम से जाना जाता है, हालाँकि भौगोलिक रूप से यह केवल द्वीपसमूह के केन्द्रीय उपसमूह का नाम है। यह द्वीपसमूह भारत का सबसे छोटा केंद्र-शासित प्रदेश है और इसका कुल सतही क्षेत्रफल सिर्फ 32 वर्ग किमी (12 वर्ग मील) है, जबकि अनूप क्षेत्र 4,200 वर्ग किमी (1,600 वर्ग मील), प्रादेशिक जल क्षेत्र 20,000 वर्ग किमी (7,700 वर्ग मील) और विशेष आर्थिक क्षेत्र 400,000 वर्ग किमी (150,000 वर्ग मील) में फैला है। इस क्षेत्र के कुल 10 उपखण्ड मिलकर एक भारतीय जनपद की रचना करते हैं। कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है, और यह द्वीपसमूह केरल उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। यह द्वीपसमूह लक्षद्वीप-मालदीव-चागोस समूह के द्वीपों का सबसे उत्तरी भाग है, और यह द्वीप एक विशाल समुद्रमग्न पर्वत-शृंखला चागोस-लक्षद्वीप प्रवाल भित्ति[2] के सबसे उपरी हिस्से हैं।
यह सुझाव दिया जाता है कि लक्षद्वीप आज़ादी का इस लेख में विलय कर दिया जाए। (वार्ता) जून 2021 से प्रस्तावित |
लक्षद्वीप | ||
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केन्द्र-शासित प्रदेश जनपद | ||
| ||
निर्देशांक: 10.57°N 72.64°E | ||
देश | India | |
स्थापना | 1 नवंबर 1956 | |
राजधानी | कवरत्ती | |
शासन | ||
• प्रशासक | दिनेश्वर शर्मा | |
• सांसद | मोहम्मद फैज़ल (रा॰कां॰पा॰) | |
क्षेत्रफल | ||
• कुल | 32.62 किमी2 (12.59 वर्गमील) | |
क्षेत्र दर्जा | 36वां | |
जनसंख्या (2021 जनगणना) | ||
• कुल | 70,365 | |
• घनत्व | 2,200 किमी2 (5,600 वर्गमील) | |
भाषा[1] | ||
• आधिकारिक भाषा | मलयालम, अंग्रेजी | |
• बोली जाती हैं | जेसेरी, दिवेही | |
जातीयता | ||
• जातीय समूह | ≈83% मलयाली ≈17% माह्ल | |
समय मण्डल | भामास (यूटीसी+5:30) | |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-LD | |
वाहन पंजीकरण | LD | |
जिलों की संख्या | 1 | |
सबसे बड़ा शहर | अन्दरोत | |
माविसू (2018) | 0.750 (उच्च) • 4था | |
साक्षरता | 91.85% | |
वेबसाइट | lakshadweep |
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चूँकि इन द्वीपों पर कोई आदिवासी आबादी नहीं हैं, इसलिए विशेषज्ञ इन द्वीपों पर मानव के बसने का अलग-अलग इतिहास सुझाते हैं। पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार 1500 ईसा पूर्व के आसपास इस क्षेत्र में मानव बस्तियाँ मौजूद थीं। नाविक एक लंबे समय से इन द्वीपों को जानते थे, इसका संकेत पहली शताब्दी ईस्वी से एरिथ्रियन सागर के पेरिप्लस क्षेत्र के एक अनाम संदर्भ से मिलता है। द्वीपों का उल्लेख ईसा पूर्व छठी शताब्दी की बौद्ध जातक कथाओं में भी किया गया है। सातवीं शताब्दी के आसपास मुसलमानों के आगमन के साथ यहाँ इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ। मध्ययुगीन में, इस क्षेत्र में चोल राजवंश और कैनानोर राजाओं का शासन था। कैथोलिक पुर्तगाली 1498 के आसपास यहाँ पहुँचे, लेकिन 1545 तक उन्हें यहाँ से खदेड़ दिया गया। इस क्षेत्र पर तब अरक्कल के मुस्लिम घराने का शासन था, उसके बाद टीपू सुल्तान का। 1799 में टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद अधिकांश क्षेत्र ब्रिटिशों के पास चले गए और उनके जाने के बाद, 1956 में केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया गया।
समूह के केवल दस द्वीपों पर मानव आबादी है। 2011 की भारतीय जनगणना के अनुसार, इस केन्द्र-शासित प्रदेश की कुल जनसंख्या 64,473 थी। अधिकांश आबादी स्थानीय मुस्लिमों की है और उनमें से भी ज्यादातर सुन्नी सम्प्रदाय के शाफी सम्प्रदाय के हैं। ये द्वीप जातीय रूप से निकटतम भारतीय राज्य केरल के मलयाली लोगों के समान हैं। लक्षद्वीप की अधिकांश आबादी मलयालम बोलती है जबकि मिनिकॉय द्वीप पर माही या माह्ल भाषा सबसे अधिक बोली जाती है। अगत्ती द्वीप पर एक हवाई अड्डा मौजूद है। लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और नारियल की खेती है, साथ ही टूना मछली का निर्यात भी किया जाता है।
इस क्षेत्र के शुरुआती उल्लेख एरिथ्रियन सागर के पेरिप्लस के एक अनाम लेखक के लेखों में मिलते है।[3] संगम पाटिरुपट्टू में चेरों द्वारा द्वीपों के नियन्त्रण के सन्दर्भ भी मिलते हैं। स्थानीय परम्पराएँ और किंवदन्तियाँ के अनुसार इन द्वीपों पर पहली बसावत केरल के अन्तिम चेरा राजा चेरामन पेरुमल की काल में हुई थी।[4] समूह में सबसे पुराने बसे हुए द्वीप अमिनी, कल्पेनी अन्दरोत, कवरत्ती और अगत्ती हैं। पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि पाँचवीं और छठी शताब्दी ईस्वी के दौरान इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म प्रचलन में था। लोकप्रिय परम्परा के अनुसार, 661 ईस्वी में उबैदुल्लाह द्वारा इस्लाम को लक्षद्वीप पर लाया गया था।[5] उबैदुल्लाह की कब्र अन्दरोत द्वीप पर स्थित है। 11 वीं शताब्दी के दौरान, द्वीपसमूह पर अन्तिम चोल राजाओं और उसके बाद कैनानोर के राज्य का शासन था।[6]
16 वीं शताब्दी में, ओरमुज और मालाबार तट और सीलोन के दक्षिण के बीच के समुद्र पर पुर्तगालियों का राज था। पुर्तगालियों ने 1498 की शुरुआत में द्वीपसमूह पर नियन्त्रण कर लिया था, और इसका मुख्य उद्देश्य नारियल की जटा से बने माल के दोहन था, 1545 में पुर्तगालियों को द्वीप से भगा दिया गया। 17 वीं शताब्दी में, द्वीप कन्नूर के अली राजा/ अरक्कल बीवी के शासन में आ गए, जिन्होंने इन्हें कोलाथिरिस से उपहार के रूप में प्राप्त किया था। अरब यात्री इब्न-बतूता की कहानियों में द्वीपों का भी विस्तार से उल्लेख है।[7]
1787 में अमिनिदिवि समूह के द्वीप (अन्दरोत, अमिनी, कदमत, किल्तन, चेतलत, और बितरा) टीपू सुल्तान के शासन के तहत आ गए। तीसरे आंग्ल-मैसूर युद्ध के बाद यह ब्रिटिश नियन्त्रण में चले गए और इन्हें दक्षिण केनरा से जोड़ा गया। बचे हुए द्वीपों को ब्रिटिश ने एक वार्षिक अदाएगी के बदले में काननोर के को सौंप दिया। अरक्कल परिवार के बकाया भुगतान करने में विफल रहने पर अंग्रेजों ने यह द्वीप फिर से अपने नियन्त्रण में ले लिए। ये द्वीप ब्रिटिश राज के दौरान मद्रास प्रेसीडेंसी के मालाबार जिले से जुड़े थे।[8]
1 नवम्बर 1956 को, भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के दौरान, प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए लक्षद्वीप को मद्रास से अलग कर एक केन्द्र-शासित प्रदेश के रूप में गठित किया गया। 1 नवम्बर 1973 के नया नाम अपनाने से पहले इस क्षेत्र को लक्कादीव-मिनिकॉय-अमिनीदिवि के नाम से जाना जाता था।[9]
मध्य पूर्व के लिए भारत की महत्वपूर्ण जहाज मार्गों की सुरक्षा के लिए, और सुरक्षा कारणों में द्वीपों की बढ़ती प्रासंगिकता को देखते हुए, एक भारतीय नौसेना आधार, आईएनएस द्वापरक्ष, को कवरत्ती द्वीप पर कमीशन किया गया।[10]
लक्षद्वीप द्वीपसमूह में बारह प्रवाल द्वीप (एटोल), तीन प्रवाल भित्ति (रीफ) और पाँच जलमग्न बालू के तटों को मिलाकर कुल 36 छोटे बड़े द्वीप हैं। प्रवाल भित्ति भी वास्तव में प्रवाल द्वीप ही हैं, हालाँकि ज्यादातर जलमग्न हैं, केवल थोड़ा सा वनस्पति रहित रेतीला हिस्सा पानी के निशान से ऊपर है। जलमग्न बालू तट भी जलमग्न प्रवाल द्वीप हैं। ये द्वीप उत्तर में 8 अंश और 12.3 अक्षांश पर तथा पूर्व में 71 अंश और 74 अंश देशान्तर पर केरल तट से लगभग 280 से 480 कि॰मी॰ दूर अरब सागर में फैले हुए हैं।
मुख्य द्वीप कवरत्ती, अगत्ती, मिनिकॉय और अमिनी हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 60,595 है। अगत्ती में एक हवाई अड्डा है और कोच्चि को सीधी उड़ान जाती है।
द्वीपों के अमिनीदिवि उपसमूह (अमिनी, केल्तन, चेतलत, कदमत, बितरा, और पेरुमल पार) और द्वीपों के लक्कादिव उपसमूह (जिनमें मुख्य रूप से अन्द्रोत, कल्पेनी, कवरती, पित्ती, और सुहेली पार शामिल हैं), दोनों उपसमूह जलमग्न पित्ती बालू तट के माध्यम से आपस में जुड़े हैं। 200 किलोमीटर चौड़ा नाइन डिग्री चैनल के दक्षिणी छोर पर स्थित एक अकेला प्रवाल द्वीप मिनिकॉय द्वीप के साथ मिलकर,यह सब अरब सागर में भारत के कोरल द्वीप समूह का निर्माण करते हैं। यह सभी द्वीप प्रवाल से बने हैं और इनकी झालरादार प्रवाल भित्ति इनके किनारों के बहुत करीब है।
द्वीप समूह के उत्तर में स्थित निम्न दो बालू तटों को समूह का हिस्सा नहीं माना जाता है:
द्वीप, भित्ति और बालू तट को तालिका में उत्तर से दक्षिण के क्रम में सूचीबद्ध किया गया है:
प्रवाल द्वीप/प्रवाल भित्ति/बालू तट (वैकल्पिक नाम) | प्रकार | भूमि क्षेत्रफल (किमी2) | अनूप क्षेत्रफल (किमी2) | टापुओं की संख्या | जनसंख्या जनगणना 2001 | अवस्थिति | ||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
अमिनीदिवि द्वीपसमूह | ||||||||
कोरा दीव | बालू तट | - | 339.45 | - | - | 13°42′N 72°11′E | ||
सेसोस्ट्रिस बालू तट | बालू तट | - | 388.53 | - | - | 13°08′N 72°00′E | ||
मुनयाल पार (बासास दे पेद्रो, पदुआ बालू तट) | बालू तट | - | 2474.33 | - | - | 13°07′N 72°25′E | ||
बेलियापानी प्रवाल भित्ति (चेरबनियानी प्रवाल भित्ति) | प्रवाल भित्ति | 0.01 | 172.59 | 2 | - | 12°18′N 71°53′E | ||
चेरियापानी प्रवाल भित्ति (बिरमगोर प्रवाल भित्ति) | प्रवाल भित्ति | 0.01 | 57.46 | 1 | - | 11°54′N 71°49′E | ||
चेतलत द्वीप | प्रवाल द्वीप | 1.14 | 1.60 | 1 | 2,289 | 11°42′N 72°42′E | ||
बितरा द्वीप | प्रवाल द्वीप | 0.10 | 45.61 | 2 | 264 | 11°33′N 72°09′E | ||
किल्तन द्वीप | प्रवाल द्वीप | 2.20 | 1.76 | 1 | 3,664 | 11°29′N 73°00′E | ||
कदमत द्वीप (इलायची) | प्रवाल द्वीप | 3.20 | 37.50 | 1 | 5,319 | 11°14′N 72°47′E | ||
एलिकल्पेनी बालू तट | बालू तट | - | 95.91 | - | - | 11°12′N 73°58′E | ||
पेरुमल पार | प्रवाल भित्ति | 0.01 | 83.02 | 1 | - | 11°10′N 72°04′E | ||
अमिनी द्वीप 1) | प्रवाल द्वीप | 2.59 | 155.091) | 1 | 7,340 | 11°06′N 72°45′E | ||
लक्कादीव द्वीपसमूह | ||||||||
अगत्ती द्वीप 2) | प्रवाल द्वीप | 2.70 | 4.84 | 1 | 8,000 | 10°50′N 73°41′E | ||
बंगाराम द्वीप 2) | प्रवाल द्वीप | 2.30 | 4.84 | 1 | 61 | 10°50′N 73°41′E | ||
पित्ती द्वीप 1) | टापू | 0.01 | 155.09 | 1 | - | 10°50′N 72°38′E | ||
अंद्रोत द्वीप (अन्दरोत) | प्रवाल द्वीप | 4.90 | 4.84 | 1 | 10,720 | 10°50′N 73°41′E | ||
कवरत्ती द्वीप | प्रवाल द्वीप | 4.22 | 4.96 | 1 | 10,113 | 10°33′N 72°38′E | ||
कल्पेनी द्वीप | प्रवाल द्वीप | 2.79 | 25.60 | 7 | 4,319 | 10°05′N 73°38′E | ||
सुहेली पार 3) | प्रवाल द्वीप | 0.57 | 78.76 | 2 | - | 10°05′N 72°17′E | ||
मिनिकॉय प्रवाल द्वीप | ||||||||
अन्वेषक बालू तट | बालू तट | - | 141.78 | - | - | 08°32′N 73°17′E | ||
मिनिकॉय द्वीप 4) | प्रवाल द्वीप | 4.80 | 30.60 | 2 | 9,495 | 08°17′N 73°02′E | ||
विरिंगिली द्वीप 4) | टापू | 0.02 | 30.60 | 1 | - | 08°27′N 73°01′E | ||
लक्षद्वीप | 32.69 | 4203.14 | 32 | 60,595 | 08°16'-13°58'N, 71°44°-74°24'E | |||
1) अमिनी और पित्ती द्वीप पित्ती बालू तट पर स्थित है। इनका अधिकतर भाग घँसा हुआ है और अनूप क्षेत्र 155.09 किमी2है। | ||||||||
2) बंगाराम और अगत्ती द्वीप एक उथली जलमग्न प्रवाल भित्ति से जुड़े हैं। | ||||||||
3) नए अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल, अन्यथा निर्जन, लेकिन 1990 की जनगणना में कुल आबादी 61। | ||||||||
4) मिनिकॉय द्वीप और विरिंगिली द्वीप दोनों मलिकू प्रवाल द्वीप पर हैं। |
भारत वन राज्य रिपोर्ट 2021 के अनुसार, लक्षद्वीप में वन क्षेत्र 27.10 वर्ग किमी है। जो कि इसके भौगोलिक क्षेत्रफल का 90.33 प्रतिशत है। लगभग 82 प्रतिशत भूभाग निजी स्वामित्व वाले नारियल के बागानों से आच्छादित है लक्षद्वीप का पिट्टी द्वीप भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पक्षी अभयारण्य लिए प्रसिद्ध है।
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