यूरेशियाई वृक्ष गौरैया
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यूरेशियाई वृक्ष गौरैया, पास्सेर गौरैया परिवार का एक पासेराइन पक्षी है जिसके सिर का ऊपरी हिस्सा और गर्दन का पिछला हिस्सा लाल-भूरे रंग का होता है और प्रत्येक पूर्णतः सफेद गाल पर एक काला धब्बा होता है। इस प्रजाति के दोनों ही लिंगों मे एक समान पंख होते हैं और युवा पक्षी वयस्क पक्षियों के ही एक छोटे रूप जैसे दिखते हैं। गौरैया पक्षी अधिकांश समशीतोष्ण यूरेशिया और दक्षिणपूर्व एशिया में प्रजनन करती हैं जहां यह वृक्ष गौरैया के नाम से जानी जाती हैं और इन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य क्षेत्रों में भी भेजा गया है, जहां इन्हें यहां की मूलनिवासी और इनसे असम्बद्ध अमेरिकी वृक्ष गौरैया से विभेदित करने के लिए यूरेशियाई वृक्ष गौरैया या जर्मन गौरैया के नाम से जाना जाता है। हालांकि इनकी अनेकों उप-प्रजातियों की पहचान हो चुकी है, लेकिन अपनी व्यापक उप-प्रजातियों के बीच भी इस पक्षी का रूप-रंग बहुत अधिक नहीं बदलता है।
Eurasian tree sparrow | |
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Adult of subspecies P. m. saturatus in Japan Original image reversed | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | Animalia |
संघ: | Chordata |
वर्ग: | Aves |
गण: | Passeriformes |
कुल: | Passeridae |
वंश: | Passer |
जाति: | P. montanus |
द्विपद नाम | |
Passer montanus (Linnaeus, 1758) | |
Afro-Eurasian distribution
प्रजनक ग्रीष्म प्रवासी | |
पर्यायवाची | |
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यूरेशियाई वृक्ष गौरैया का गन्दा घोंसला किसी भी प्राकृतिक कोटर में बना होता है, जो कि किसी ईमारत में बना छेद या मैग्पाई (मुटरी) अथवा सारस पक्षी का बड़ा घोंसला हो सकता है। आदर्शतः ये एक समुच्चय (clutch) में 5 से 6 अंडे देती हैं जो दो सप्ताह में परिपक्व हो जाते हैं। यह गौरैया अपने भोजन के लिए मुख्यतः बीजों पर निर्भर करती है लेकिन ये अकशेरुकी प्राणियों को भी अपना भोजन बनाती हैं, मुख्यतः प्रजनन काल के दौरान. जैसा अन्य छोटे पक्षियों के साथ होता है, उसी प्रकार इन्हें भी परजीवियों से संक्रमण और बिमारियों तथा शिकारी पक्षियों द्वारा परभक्षण का खतरा रहता है, आम तौर पर इनका जीवनकाल 2 वर्ष का होता है।
पूर्वी एशिया के शहरों और कस्बों में यूरेशियाई वृक्ष गौरैया काफी अधिक पायी जाती है लेकिन यूरोप में यह पक्षी खुले ग्रामीण मध्यम वन्य क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं, जबकि घरेलू गौरैया (House Sparrow) अधिकतर शहरी क्षेत्रों में पायी जाती है। यूरेशियाई वृक्ष गौरैया की व्यापक श्रंखला और विशाल आबादी के कारण यह वैश्विक स्तर पर लुप्तप्राय पक्षियों की श्रेणी में नहीं आती, लेकिन पश्चिमी यूरोप में इनकी आबादी में काफी गिरावट आई है, कुछ हद तक यह कृषि पद्धति में आये बदलावों के कारण हुआ है जिसके अंतर्गत वनस्पति नाशक रसायनों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है और ठूंठ युक्त शीत कृषि भूमि में कमी आती जा रही है। पूर्वी एशिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में, कुछ स्थानों पर यह प्रजाति हानिकारक जीव के रूप में देखी जाती है, हालांकि पूर्वी कला में इसका व्यापक महत्व है।