यथार्थ
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यथार्थ का अर्थ सर्वमान्य है।[1] व्यवस्थित रूप का ज्ञान यथार्थ ज्ञान कहलाता है जिसकी होने की संभावना सर्वाधिक हो, वही यथार्थ है।[2]कल्पना से बड़ा कोई यथार्थ नहीं होता।[3]
यथार्थ सिद्धांतो के तराजू का वो पलड़ा है जो सर्वहित भाव के अधिक भार से अभिभूत हो कर अपलावित होता है.... भाव से यथार्थ को अनुभव किया जा सकता है।