मोरबी
भारत के गुजरात राज्य का एक नगर विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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मोरबी (Morbi) या मोरवी (Morvi) भारत के गुजरात राज्य के मोरबी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। मोरबी मच्छु नदी के किनारे बसा हुआ है।[1][2][3]
मोरबी Morbi મોરબી | |
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मोरबी का मणिमंदिर | |
निर्देशांक: 22.82°N 70.83°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | गुजरात |
ज़िला | मोरबी ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,94,947 |
भाषा | |
• प्रचलित | गुजराती |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 363641/42 |
दूरभाष कोड | 363641 |
वाहन पंजीकरण | GJ-36 |
मोरबी राजकोट से मात्र 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मच्छू नदी के तट पर स्थित है। राजकोट से रेल और सड़क द्वारा जुड़ा है। यहाँ गुजरात विश्वविद्यालय से संबद्ध एक टेक्निकल इंस्टिट्यूट है, जिसकी स्थापना 1951 ई. में हुई थी।
भारत के स्वतंत्र होने से पहले यह देशी राज्य पूर्वी कठियावाड़ सबएजेंसी के अधिकार में था। इसका क्षेत्रफल 822 वर्ग मील था। यहाँ के शासक (पदवी ठाकुर) जदेजा राजपूत थे और अपने को कच्छ के राव का वंशज मानते थे। फरवरी 15, 1948 ई. में यह सौराष्ट्र में मिला दिया गया। अब यह क्षेत्र गुजरात राज्य में है। मयूरध्वज मोरबी के राजा थे। 1979 में आई बाढ़ के कारण मोरबी निर्जन हो गया था। इसके सभी एतिहासिक स्मारकों को बाढ ने जर्जर कर दिया था। लेकिन अब मोरबी ने एक बार फिर टाईल्स और घडी बनाने के कारखाने के बल पर अपने को खड़ा कर लिया है।
मोरबी प्राचीन जडेजा राजपूतों की राजधानी था। मच्छु नदी के किनारे बसा मोरबी गुजरात का एक सुन्दर शहर है। मध्य काल में भारी मात्रा में बारिश होने के कारण मच्छु बांध टूट गया था। आज भी मोरबी में होने वाली भारी तबाही की भविष्यवाणी को व्यक्त करने वाले लोक गीत इस राज्य के चारणों द्वारा सुने जा सकते है।
वर्तमान मोरबी का नगर विन्यास वाघ जी का देन है। उन्होंने 1879 से 1948 ई. तक यहां शासन किया था। वाघ जी ने एक शासक, प्रबंधक और रक्षक की तरह सदा आम जन के कल्याण को अपने मन-मस्तिष्क में रखकर शासन किया। सर वाघ जी ने अपने अन्य समकालीन शासको की तरह सड़कों और सात मील लम्बे वढ़वाड तथा मोरबी को जोडने वाले रेलमार्ग का निर्माण करवाया। उन्होंने नमक और कपडे़ का निर्यात करने के लिए दो छोटे बंदरगाहों नवलखा और ववानिया का भी निर्माण करवाया। मोरबी का रेलवे स्टेशन स्थापत्य शैली का सुन्दर उदाहरण है जिसमें भारतीय और यूरोपीय स्थापत्य कला का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
मोरबी की मुख्य आकर्षणों में दरबारगढ़, मनि मंदिर, विलिंगडन सचिवालय, लटका हुआ पुल, आर्ट डैको महल और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज है।
दरबारगढ़ मच्छू नदी के किनारे स्थित है जो मोरबी शासकों का स्थायी निवास था। इस महल में प्रवेश के लिए महल के बाहरी भाग में खम्भों पर बनी हुई मेहराबों के कठिन रास्ते को पार करके जाना पडता था। दरबारगढ़ को अब हैरिटेज होटल में बदल दिया गया है।
मणिमंदिर नामक यह मंदिर विलिंगडन सचिवालय के बरामदे में बना हुआ है। इस मंदिर में लक्ष्मी नारायण, महाकाली, रामचन्द्रजी, राधा-कृष्णजी और शिव भगवान की मूर्तियां बनी हुई है। मणिमंदिर जयपुर के पत्थर से बना हुआ है जिसमें कोष्ठक, जाली, छतरी, शिखर पर कारीगरी और नक्काशी का काम बहुत ही सुन्दरता के साथ किया गया है। मणिमंदिर के विपरीत दिशा में पड़ने वाला केसर बाग भी भ्रमण के उद्देश्य से अच्छा स्थल है।
20वीं शताब्दी के अन्त में बनाया गया विलिंगडन सचिवालय राजपूत स्थापत्य कला की कारीगरी का सर्वोत्तम नमूना है।
मोरबी शासको द्वारा बनवाया यह पूल उस समय की उन्नत इंजीनियरिंग का जीता जागता नमूना है। यह पूल मार्बल से बना हुआ है। इस झूलते पूल का निर्माण मोरबी राज्य को एक अलग पहचान देने के उद्देश्य से, उस समय यूरोप में उपलब्ध तकनीक के आधार पर किया गया था। यह पूल मच्छू नदी पर बना हुआ है। यह पूल 233 मीटर लम्बा और 1.25 मीटर चौड़ा है। यह पुल दरबारगढ़ महल और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जोड़ने का काम करता है। 30 अक्टूबर 2022 को यह पुल गिर गया और इस हादसे में लगभग 135 लोग मारे गए।
ग्रीन चौक शहर के बीचो-बीच में बना हुआ है। इसमें तीन प्रवेश द्वार है। शहर निर्माण के यूरोपीय सिद्धान्तों से प्रेरित इस रचना में ये प्रवेशद्वार शहर के सीमाचिन्ह है। नेहरू दरवाजा बिना पत्थरों के राजपूत स्थापत्य कला में बना है जिसके बीच में घडी टॉवर भी है। जबकि अन्य दरवाजे यूरोपीय स्थापत्य शैली में लोहे से गुम्बदाकार आकार में बने हुए है।
आर्ट डेको महल (1931-44 ईस्वी) आर्ट डेको शैली बना हुआ है। यह शैली यूरोप की एक प्रमुख विशेषता है। यह इमारत ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है। इस महल की रचना लंदन के भूमिगत स्टेशन चार्ल्स होल्डन से मिलती जुलती है। इस महल में 6 बैठक, 6 भोजन कक्ष और 14 शयन कक्ष है। शयन कक्ष और स्नानागार में लगे प्रेम संबंधी देखने योग्य है।
लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज मोरबी के शासको के पूर्व निवास स्थान नज़रबाग में स्थित है।
दरियालाल वॉटर रिजॉर्ट नदी के बिल्कुल विपरीत दिशा में है। यहां रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां नदी के विपरीत दिशा में टाईल्स बनाने की कई फैक्ट्रियां है। विश्व प्रसिद्ध अजंता क्वार्ट्ज और समय क्वार्ट्ज मोरबी राजकोट रोड पर स्थित है। यह विश्व की सबसे बडी घडी बनाने वाली कंपनी है।
आदि कई अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा राजकोट विमानक्षेत्र (67 किलोमीटर) है।
वांकनर (27 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है।
मोरबी से राजकोट 67 किलोमीटर और अहमदाबाद 247 किलोमीटर की दूरी पर है।
मोरबी के लिए बिना मीटर के ऑटोरिक्शा मिल जाते है। राजकोट से मोरबी पहुंचने में मात्र 2 घंटे का समय लगता है। यहां दो बस स्टैण्ड है, जिन्हें नए और पुराने बस स्टैण्ड के नाम से जाना जाता है।
गर्मियों में न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 42 डिग्री सेल्सियस सर्दियों में न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस अधिकतम 24 डिग्री सेल्सियस
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