मेघनाद
रावण पुत्र / From Wikipedia, the free encyclopedia
मेघनाद जिसे राजपुत्र मेघनाद[1][2] या इन्द्रजीत के नाम से भी जाना जाता है, लंका के राजा रावण का पुत्र था। अपने पिता की तरह यह भी स्वर्ग विजयी था। इंद्र को परास्त करने के कारण ही ब्रह्मा जी ने इसका नाम इन्द्रजीत रखा था। इसका नाम रामायण में इसलिए लिया जाता है क्योंकि इसने राम- रावण युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसका नाम उन योद्धाओं में लिया जाता है जो की ब्रह्मास्त्र, नारायणास्त्र तथा पशुपातास्त्र के धारक कहे जाते हैं। इसने अपने गुरु शुक्राचार्य के सान्निध्य में रहकर तथा त्रिदेवों द्वारा कई अस्त्र- शस्त्र एकत्र किए। स्वर्ग में देवताओं को हरा कर उनके अस्त्र-शस्त्र पर भी अधिकार कर लिया।
मेघनाद पितृभक्त पुत्र था। उसे यह पता चलने पर की राम स्वयं भगवान है फिर भी उसने पिता का साथ नही छोड़ा। मेघनाद की भी पितृभक्ति प्रभु राम के समान अतुलनीय है।
जब उसकी माँ मन्डोदरी ने उसे यह कहा कि मनुष्य मुक्ति की ओर अकेले जाता है तब उसने कहा कि पिता को ठुकरा कर अगर मुझे स्वर्ग भी मिले तो मैं ठुकरा दूँगा।