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राजस्थान, भारत में हिल स्टेशन विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
माउंट आबू (Mount Abu) [[ राजस्थान के जोधपुर के निकट सिरोही ज़िले में स्थित एक नगर है यह अरावली पहाड़ियों में स्थित एक हिल स्टेशन है जो एक 22 किमी लम्बे और 9 किमी चौड़े पत्थरीले पठार पर बसा हुआ है। इसकी सबसे ऊँची चोटी 1,722 मी॰ (5,650 फीट) ऊँचा गुरु शिखर है।[1][2]
माउंट आबू Mount Abu आबू पर्वत | |
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माउंट आबू | |
उपनाम: राजस्थान का शिमला | |
निर्देशांक: 24.592°N 72.708°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | सिरोही ज़िला |
ऊँचाई | 1220 मी (4,000 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 22,943 |
भाषा | |
• प्रचलित | राजस्थानी, हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 307501 |
दूरभाष कोड | 02974 |
वाहन पंजीकरण | RJ 38 |
समुद्र तल से १२२० मीटर की ऊँचाई पर स्थित आबू पर्वत (माउण्ट आबू) राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है । इस शहर का प्राचीन नाम अर्बुदांचल था , इस स्थान पर साक्षात भगवान शिव ने भील दंपत्ति आहुक और आहूजा को दर्शन दिए थे । यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान तथा राज्य का ग्रीष्मकालीन शैलावास है। अरावली श्रेणियों के अत्यंत दक्षिण-पश्चिम छोर पर ग्रेनाइट शिलाओं के एकल पिंड के रूप में स्थित आबू पर्वत पश्चिमी बनास नदी की लगभग १० किमी संकरी घाटी द्वारा अन्य श्रेणियों से पृथक् हो जाता है। पर्वत के ऊपर तथा पार्श्व में अवस्थित ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक तीर्थमंदिरों एवं कलाभवनों में शिल्प-चित्र-स्थापत्य कलाओं की स्थायी निधियाँ हैं। यहाँ की गुफा में एक पदचिहृ अंकित है जिसे लोग भृगु का पदचिह् मानते हैं। पर्वत के मध्य में संगमरमर के दो विशाल जैनमंदिर हैं।
राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। 1190ई के दौरान आबू का शासन राजा जेतसी परमार भील के हाथो में था। बाद में आबू भीम देव द्वितीय के शासन का क्षेत्र बना। माउंट आबू चौहान साम्राज्य का हिस्सा बना। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान था।
माउंट आबू प्राचीनकाल से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। महर्षि वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहां यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहां आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल बना हुआ है। एक कहावत के अनुसार आबू नाम हिमालय के पुत्र 'आरबुआदा' के नाम पर पड़ा था। आरबुआदा एक शक्तिशाली सर्प था, जिसने एक गहरी खाई में भगवान शिव के पवित्र वाहन नंदी बैल की जान बचाई थी।[3]
प्राकृतिक सुषमा और विभोर करनेवाली वनस्थली का पर्वतीय स्थल 'आबू पर्वत' ग्रीष्मकालीन पर्वतीय आवास स्थल और पश्चिमी भारत का प्रमुख पर्यटन केंद्र रहा है। यह स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के साथ एक परिपूर्ण पौराणिक परिवेश भी है। यहाँ वास्तुकला का हस्ताक्षरित कलात्मकता भी दृष्टव्य है। आबू का आकर्षण है कि आए दिन मेला, हर समय सैलानियों की हलचल चाहे शरद हो या ग्रीष्म। दिलवाड़ा मंदिर यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। माउंट आबू से १५ किलोमीटर दूर गुरु शिखर पर स्थित इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथंकरों को समर्पित हैं। दिलवाड़ा के मंदिर और मूर्तियाँ भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। दिलवाड़ा के मंदिरों से ८ किलोमीटर उत्तर पूर्व में अचलगढ़ किला व मंदिर तथा १५ किलोमीटरदूर अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर स्थित हैं। इसके अतिरिक्त माउंट आबू में नक्की झील, गोमुख मंदिर, माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य आदि भी दर्शनीय हैं।
माउंट आबू से निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर यहाँ से १८५ किलोमीटर दूर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुँचने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएँ ली जा सकती हैं। समीपस्थ रेलवे स्टेशन आबू रोड २८ किलोमीटर की दूरी पर है जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है। माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा भी जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं।
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