भीली भाषा
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भीली भाषा पश्चिमी हिन्द-आर्य भाषाओं का एक समूह है जो भारत के राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के लगभग 60 लाख भील बोलते हैं। इसे 'भीलबोली', 'भगोरिया', 'भिलाला' और राजस्थान में 'वागड़ी भाषा' के नाम से भी जाना जाता है। इसे देवनागरी में लिखा जाता है।
भील आदिवासियों का समस्त साहित्य सृजन मौखिक ही हुआ है और हस्तांतरण भी मौखिक ही होता रहा है। इस संदर्भ में महत्वपूर्ण यह है कि लिपि न होने के बावजूद भीलों की साहित्यिक धरोहर सम्पन्न और सशक्त है। साहित्य की समस्त विधाएं जैसे कथा, गल्प, गीत, पहेलियां, मुहावरे आदि सब कुछ इनके पास हैं। इनकी लोककथाएं और लोकगीत जीवन के सभी पक्षों को अभिव्यक्त करते हैं। हास-परिहास, जीवन-दर्शन, स्वयं की उत्पत्ति, दैनंदिन की समस्याएं, जन्म से मृत्यु तक के संस्कार, बाह्य जगत के साथ उनके अनुभव आदि सब विषयों पर इन्होंने साहित्य सृजन किया है।