भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली
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भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (अंग्रेज़ी: Indian Regional Navigational Satellite System) अथवा इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-आईआरएनएसएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित, एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है।[2] प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है। [3]इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है। सात उपग्रहों वाली इस प्रणाली में चार उपग्रह ही निर्गत कार्य करने में सक्षम हैं लेकिन तीन अन्य उपग्रह इसकी द्वारा जुटाई गई जानकारियों को और सटीक बनायेगें।[4] हर उपग्रह की कीमत करीब 150 करोड़ रुपए के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपए है।[5]
Country/ies of origin | भारत |
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Operator(s) | इसरो |
Type | Military, Commercial |
Status | Operational |
Coverage | Regional (up to 1500 कि॰मी॰ (984 मील 1493 यार्ड 1 फुट) from borders) |
Accuracy | 1 मी॰ या 3 फीट 3 इंच (public)[तथ्य वांछित] 10से॰मी॰(3.93700787402 इंच)(encrypted)[तथ्य वांछित] |
Constellation size | |
Total satellites | ८ |
Satellites in orbit | 7 |
First launch | 1 जुलाई 2013 |
Last launch | 12 अप्रैल 2018 |
Total launches | 9 |
Orbital characteristics | |
Regime(s) | भूसमकालिक कक्षा |
Orbital height | 35,786 कि॰मी॰ (22,236 मील) |
Other details | |
Cost | ₹22.46 अरब (US$328 मिलियन) मार्च 2017 तक[1] |