भारत की जनगणना
भारत की 1948 की जनगणना अधिनियम द्वारा अनिवार्य दशकीय जनगणना / From Wikipedia, the free encyclopedia
2011 तक, भारत की जनगणना 15 बार की जा चुकी है। 1872 में यह ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो के अधीन पहली बार कराई गयी थी।[1] उसके बाद यह हर 10 वर्ष में 1 बार होती है। । हालाकि भारत की पहली संपूर्ण जनगणना 1881 में हुई। 1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है।[2] 1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं।[3] 1948 का भारतीय जनगणना अधिनियम केंद्र सरकार को किसी विशेष तिथि पर जनगणना करने या अधिसूचित अवधि में अपना डेटा जारी करने के लिए बाध्य नहीं करता है। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी, जबकि अगला 2021 में कराया किया जाना था। लेकिन इसे COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया है।[4]
मौर्य प्रशासन में जनगणना लेना एक नियमित प्रक्रिया थी। मौर्य साम्राज्य में व्यापारियों, कृषकों, लुहारों, कुम्हारों, बढ़इयों आदि जैसे लोगों के विभिन्न वर्गों की गणना करने के लिए ग्रामीण अधिकारी (ग्रामिक) और नगरपालिका अधिकारी (नागरिक) जिम्मेदार थे और मवेशी भी, ज्यादातर कराधान उद्देश्यों के लिए।[5] ये व्यवसाय जातियों के रूप में समेकित हुए, भारतीय समाज की एक विशेषता जो आज तक भारतीय राजनीति को प्रभावित करती रही है।