वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद या ब्रिटिश संसद (अंग्रेज़ी: Parliament of the United Kingdom; पार्लियामेंट ऑफ़ दी यूनाइटेड किंगडम) युनाइटेड किंगडम की सर्वोच्च विधायी संस्था है। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागू करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है (संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश संसद एक द्विसदनीय विधायिका है अतः इसमें दो सदन मौजूद हैं, क्रमशः हाउस ऑफ लॉर्ड्स (प्रभु सदन) और हाउस ऑफ़ कॉमन्स (आम सदन)। [3] हाउस ऑफ लॉर्ड्स में दो प्रकार के लोग शामिल है-लॉर्ड्स स्पिरित्च्वल और लॉर्ड्स टेम्परल। अक्तूबर २००९ में सर्वोच्च न्यायालय के उद्घाटन के पहले, हाउस ऑफ लॉर्ड्स की लॉ लॉर्ड्स नामक सदस्यों के माध्यम से एक न्यायिक भूमिका भी हुआ करती थी। लंदन में वेस्टमिनिस्टर पैलेस में दो सदनों अलग-अलग कक्षों में बैठीं हैं। ब्रिटिश संविधान और विधि में ब्रिटिश संप्रभु को भी ब्रिटिश संसद का हिस्सा माना जाता है, एवं विधिक रूप से, संसद की सभी शक्तियाँ, मैग्ना कार्टा के तहत, संप्रभु द्वारा ही निहित और अवक्रमित की गयी हैं। अतः ब्रिटिश संप्रभु का भी संसद में महत्वपूर्ण विधिक एवं पारंपरिक भूमिका है। संसद का गठन १७०७ में किया गया था। ब्रिटेन की संसद ने विश्व के कई लोकतंत्रों के लिए उदाहरण थी। इसलिए यह संसद "मदर ऑफ पार्लियामेन्ट" कही जाती है।[4]

सामान्य तथ्य यूनाइटेड किंगडम की संसदवृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद, प्रकार ...
यूनाइटेड किंगडम की संसद
वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद
५८वी संसद
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प्रकार
प्रकार
सदन हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स
हाउस ऑफ़ कॉमन्स
नेतृत्व
कॉमन्स सभापति
सर लिंडसे हॉयल
4 नवम्बर 2019
प्रभु सभापति
लॉर्ड नार्मन फाउलर
1 सप्तम्बर 2016
बोरिस जॉनसन, कंज़र्वेटिव पार्टी
24 जुलाई 2019
नेता विपक्ष
सर कीर स्टारमर, लेबर पार्टी
4 अप्रैल 2020
संरचना
सीटें
  • 1,436
  • जिनमें कुल
  • 650 सांसद
  • 786 प्रभुगण आध्यात्मिक एवं प्रभुगण ऐहिक
[1]
[2]
चुनाव
हाउस ऑफ़ कॉमन्स पिछला चुनाव
12 दिसंबर 2019
बैठक स्थान
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वेस्टमिंस्टर महल
सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर, लंदन
इंग्लैंड
जालस्थल
www.parliament.uk
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ब्रिटिश विधान-प्रक्रिया के अनुसार, संसद द्वारा पारित अधिनियमों को सांविधिक होने के लिए, ब्रिटिश संप्रभु की शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसे स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए वे सैधिन्तिक तौर पर पूणतः स्वतंत्र हैं, परंतु वास्तविक तौर पर अस्वीकृति की घटना अतिदुर्लभ है(पिछली ऐसी घटना 11 मार्च 1708 को हुई थी)। संप्रभु, प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद भंग भी कर सकते हैं, लेकिन विधि सम्मत रूप से उनके पास, प्रधानमंत्री की सहमति के बिना भी संसद को भंग करने की शक्ति है। राजमुकुट के अन्य शाही शक्तियों, जिन्हें शाही परमाधिकार कहा जाता है, को संप्रभु, प्रधानमंत्री या मंत्रिमंडल की सलाह के बिना, अपने विवेक पर कर सकते हैं।

राज्य के प्रमुख और शासन-अधिकार के स्रोत, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की यूनाइटेड किंगडम के एकादिदेव, पदविराजमान- राजा चार्ल्स तृतीय हैं। परंपरा के मुताबिक नरेश, हाउस ऑफ कॉमन्स(आमसदन) में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करते हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से इस पद के लिए कोई भी ब्रिटिश नागरिक जो संसद सदस्य है, चाहे वह हाउस ऑफ लॉर्ड्स या कॉमन्स में से किसी भी एक सदन का सदस्य हो, इस पद पर नियुक्त होने का अधिकार रखता है, बशर्ते की उसके पास आमसदन का समर्थन हासिल हो। अतः, वर्तमान काल में ब्रिटेन में वास्तविक राजनीतिक शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के हाथों में होती है, जबकि अधिराट्, केवल एक पारंपरिक राष्ट्रप्रमुखीय पद है। ब्रिटिश राजनीतिक लहज़े में, संप्रभुता के वास्तविक कार्यवाहक को "ससंसद महाराज " कहा जाता है। तततिरिक्त, राजमुकुट की सारी कार्यकारी शक्तियों को संप्रभु, ऎतिहासिक परंपरानुसार, प्रधानमंत्री और अपनी मंत्रिमंडल की सलाह पर उपयोग करते हैं। तथा सार्वजनिक नीति में सम्राट की भूमिका औपचारिक कार्यों तक सीमित है।

इतिहास

इस सदन का विकास इंग्लैंड की संसद से हुआ, जिसने 13वीं और 14 वीं शताब्दी में विकसित होना शुरू किया था। यह 1707 में स्कॉटलैंड के साथ राजनीतिक विलय के बाद यह "ग्रेट ब्रिटेन की संसद" बन गया, तथा 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में आयरलैंड के साथ राजनीतिक विलय के बाद इसने "ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संसद" का खिताब ग्रहण किया। "यूनाइटेड किंगडम" का उल्लेख यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड के रूप में 1800 से किया गया था, और 1922 में आयरिश मुक्त राज्य की स्वतंत्रता के बाद यह "ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के यूनाइटेड किंगडम की संसद" बन गया। तदानुसार, संसद ने अपना वर्तमान नाम ग्रहण कर लिया।

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वेस्टमिंस्टर महल का 1834 में आग लगने से पहले का चित्रण

संसद के निचले सदन के प्रति मंत्रालयिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत 19 वीं शताब्दी तक विकसित नहीं हुआ था, तत्कारणवश हाउस ऑफ लॉर्ड्स सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों ही दृष्टिकोण से हाउस ऑफ कॉमन्स से अधिक प्रभुतापूर्ण था। हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों (सांसदों) को एक पुरातन चुनावी प्रणाली द्वारा चुना जाता था, जिसके तहत उनका चयन अलग-अलग आकार के निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा होता था। परिणामस्वरूप, सात मतदाताओं वाला ओल्ड सरुम बोर, दो सदस्यों का चुनाव कर सकता था और डंकन बोरो, जो भूमि के कटाव के कारण, उस समय तक लगभग पूरी तरह से समुद्र में समा चूका था वह भी दो सांसदों का चुनाव कर सकता था। कई छोटे निर्वाचन क्षेत्र, जिन्हें रॉटेन बरो (सड़े हुए बरो) के नाम से जाना जाता है, को हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य नियंत्रित किया करते थे, जो अपने अपने प्रभाव के बलबूते पर उन सीटों पर अपने रिश्तेदारों या समर्थकों का चुनाव सुनिश्चित कर सकते थे। 19 वीं सदी के सुधार के दौरान, रिफॉर्म एक्ट, 1832 (सुधार अधिनियम) के साथ शुरुआत करते हुए, हाउस ऑफ़ कॉमन्स की चुनावी प्रणाली को नियमित रूप से प्रगतिशील बनाया गया। इसके बाद से सांसद और भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली होने लगे, एवं अपने अधिकारों को लेकर अधिक मुखर हुए।

1909 में, कॉमन्स ने तथाकथित "पीपुल्स बजट" पारित किया, जिसने ब्रिटेन की कराधान प्रणाली में कई बदलाव किए जो धनवान ज़मींदारों के लिए हानिकारक थे। हाउस ऑफ लॉर्ड्स, जिसमें ज्यादातर सदस्य शक्तिशाली जमींदार और सामंतवाद थे, ने बजट को अस्वीकार कर दिया। उस बजट की लोकप्रियता और लॉर्ड्स के इस व्यवहार के परिणामस्वरूप आयी लॉर्ड्स की अलोकप्रियता के आधार पर, उदारवादी विचारधारा के लिबरल पार्टी ने 1910 में दो आम चुनाव जीत लिए।

पीपल्स बजट के आधार पर आए इस चुनाव को लोकप्रिय जनादेश मानते हुए, तत्कालीन लिबरल प्रधानमंत्री, लॉर्ड अक्विथ ने पार्लियामेंट विधेयक पेश किया, जिसमें हाउस ऑफ लॉर्ड्स की शक्तियों को प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी, उन्होंने पीपुल्स बजट के भूमि कर प्रावधान को फिर से प्रस्तुत नहीं किया। जब लॉर्ड्स ने विधेयक को पारित करने से इनकार कर दिया, तो एसक्विथ ने 1910 के दूसरे आम चुनाव से पहले गुप्त रूप से राजा द्वारा प्राप्त किए गए वादे के हवाले लॉर्ड्स के कई सदस्यों को लिबरल समर्थक बनाने की पहल शुरू कर दी, ताकि हाउस ऑफ लॉर्ड्स में कंजर्वेटिव बहुमत को मिटाया जा सके। इस भय के मद्देनज़र, हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने बिल को पारित कर दिया। इस तरह 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स की सर्वोच्चता पुनःस्थापित हुई।

यह विधेयक, जो पार्लियामेंट अधिनियम 1911 के रूप में सदन में पेश हुआ, ने लॉर्ड्स को किसी भी वित्तीय विधेयक (कराधान संबंधित विधेयक) को रोकने से प्रतिबंधित कर दिया, साथ ही, किसी भी अन्य अधिकतम को तीन सत्रों से अधिक देर तक टालने से भी रोक दिया (1949 घटा क्र दो स्तर)। इस अधिनियम के कारण किसी विधेयक को निर्धारित अवधि से अधिक टालने पर वह उनकी आपत्तियों के बावजूद स्वचालित रूप से पारित होजाएगा। बहरहाल, 1911 और 1949 के अधिनियमों के बावजूद, हाउस ऑफ लॉर्ड्स के पास किसी भी ऐसे विधेयक को, जो संसद के कार्यकाल का विस्तार करने का प्रयास करे, को एकमुश्त रूपसे वीटो करने की अप्रतिबंधित शक्ति बरकरार है।[5]

घटक

संप्रभु

ब्रिटेन की राजतांत्रिक व्यवस्था में, राजा/रानी(संप्रभु) को राष्ट्रप्रमुख का दर्ज दिया गया है। ब्रिटिश राजनैतिक संकल्पना में, ब्रिटेन के संप्रभु को राजमुकुट के मानवी अवतार के रूप में माना जाता है, अर्थात वे सम्पूर्ण राज्य व पूरी शसंप्रणाली के समस्त शासनाधिकार के अंत्यंत स्रोत हैं, और ब्रिटेन पर शासन करने का अधिकार अंत्यतः ब्रिटिश संप्रभु के पास ही है। अतः, संसद पर नियत सारे अधिकार, सांसदों तथा तमाम मंत्रियों (एवं सारे सरकारी अफ़सरों और कर्मचारियों) एक आधिकारिक नियोक्ता व अधिकारों के प्रदाता भी संप्रभु ही हैं। सभी संसदीय अधिनियमों को वैधिक होने के लिए शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है। बहरहाल, विभिन्न ऐतिहासिक संविधियों और रूढ़ियों के कारण संप्रभु की साड़ी विधायिक शक्तियाँ संसद के पास प्रत्यायोजित कर दी गयी हैं। विधायिक कार्य महारानी ससंसद द्वारा, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ़ कॉमन्स की सलाह और स्वीकृति द्वारा किया जाता है, वहीँ।

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राजा एडवर्ड अष्टम द्वारा संसद को संबोधन

पारंपरिक तौर पर, संसद के सत्र को बुलाने व भंग करने का अधिकार शासक के विवेक पर था, और शासक स्वेच्छा से सभा बुलाया व भंग किया करते थे। अतः धरणात्मक रूप से आज भी संसद बुलाने व भंग करने के अधिकार का अभ्यय शासक ही करते हैं। २०११ में पारित फिक्स्ड-टर्म परलियामेंट्स एक्ट ने संसद भंग करने के अशिकार को ख़त्म कर दिया। हालाँकि सत्रंतन करने का अधिकार शासक के पास अभी भी है। यदि एक अल्पसंख्यक सरकार, संसद को भंग कर नए चुनाव घोषित करने की मांग करती है, तो शासक ऐसी मांग को ख़ारिज करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र हैं। धारणात्मत रूप से शासक स्वेच्छा से प्रधानमंत्री को कभी भी पदोच्यित कर सकते हैं, परंतु वर्त्तमान स्थिति में प्रधानमन्त्री को स्तीफा, मृत्यु या चुनावी हार की स्थिति में ही पद से निष्काषित किया जाता है। प्रधानमंत्री को कार्यकाल के बीच निष्काषित करने वाले अंतिम शासक विलियम चतुर्थ थे, जिन्होंने १८३४ में लॉर्ड मेलबॉर्न को निकाला था।[6]

इसके अलावा, अधिराट् का दायित्व है की वे सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक प्रधानमंत्री की नियुक्ति करें(जो परंपरानुसार मुकुट के अन्य मंत्रियों की नियोक्ति तथा निष्काशन के लिये जिम्मेदार होते हैं)। अलिखित संविधान की ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार आम तौरपर प्रधानमंत्री हाउस ऑफ़ कॉमन्स में बहुमत प्राप्त दल के नेट होते हैं। प्रधानमंत्री अपना कार्यभार, शासक के साथ एक व्यक्तिगत मुलाक़ात के बाद करते है।[7]

त्रिशंकु सभा की स्थिति में, अधिराट् के पार अपने विवेक के उपयोग कर, अपने इच्छानुसार सरकार के प्रतिनिधि का चुनाव करने के अधिक अवसर होता है, हालाँकि ऐसे स्थिति में भी रीतिनुसार सदन के सबसे बड़े दल के नेता को ही चुना जाता है।[8][9] १९४५ से आज तक, केवल दो बार ऐसे स्थिति आई थी। पहली बार फऱवरी १९७४ के आम चुनाव के बाद, और २०१० के आम चुनाव के बाद, जब कंज़र्वेटिव पार्टी और लिबरल-डेमोक्रेटिक पार्टी ने गठबंधन बनाया था।

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स

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वेस्टमिंस्टर महल के लॉर्ड्स कक्ष में हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सत्र का परिचालन होते हुए। पीछे ब्रिटिश संप्रभु का शाही सिंघासन दृश्यमान है। इसी सिंघासन पर विद्यमान होकर प्रत्येक वर्ष संप्रभु, सिंघासन से संबोधित करके संसद का उद्घाटन करते हैं।

निर्वाचित हाउस ऑफ कॉमन्स के विपरीत, हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों (आपस में चुने गए 90 वंशानुगत साथियों को छोड़कर और दो पीयर जो पदेन सदस्य हैं) को नियुक्त किया जाता है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्यता ब्रिटिश कुलीनतंत्र के शिष्टजनों से ली गई है और यह लॉर्ड्स आध्यात्मिक और लॉर्ड्स टेम्पोरल से बना है। लॉर्ड्स स्पिरिचुअल चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के 26 बिशप होते हैं। लॉर्ड्स टेम्पोरल में से, अधिकांश वंशानुगत शिष्टजन होते हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री की सलाह पर, या हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की नियुक्ति आयोग की सलाह पर नियुक्त किया जाता है। बहरहाल, उनमें चार ड्यूक सहित कुछ वंशानुगत शिष्टजन भी शामिल होते हैं।

एक समय में आयरलैंड के कुलीनवर्ग के अलावा अन्य सभी वंशानुगत शिष्टजनों के लिए स्वचालित पात्रता थी, लेकिन हाउस ऑफ लॉर्ड्स एक्ट 1999 के तहत, सदस्यता का अधिकार केवल 92 वंशानुगत शिष्टजनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। 2008 के बाद से, उनमें से केवल एक महिला सदस्य (मार की काउंटेस) है; अधिकांश वंशानुगत शिष्टजनों को केवल पुरुषों द्वारा विरासत में लिया जा सकता है।

हाउस ऑफ़ कॉमन्स

हाउस ऑफ़ कॉमन्स, संसद का निम्नसदन है, कॉमन्स एक निर्वाचित निकाय है जिसमें 650 सदस्य होते हैं जिन्हें संसद के सदस्य (सांसद) के रूप में जाना जाता है। सदस्यों को फर्स्ट-पास्ट-दी-पोस्ट की व्यवस्था द्वारा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता है और संसद भंग होने तक अपनी सीट पर बने रहते हैं। इस सदन का विकास इंग्लैंड की हाउस ऑफ कॉमन्स से हुआ, जिसने 13वीं और 14 वीं शताब्दी में विकसित होना शुरू किया था।

हाउस ऑफ कॉमन्स औपचारिक रूप से अपनी समितियों और प्रधान मंत्री के प्रश्नों के माध्यम से सरकार के कार्यों की समीक्षा करते हैं, जब सदस्य प्रधानमंत्री के प्रश्न पूछते हैं; अन्य कैबिनेट मंत्रियों से सवाल करने के लिए सदन अन्य अवसर देता है। प्रश्न, उत्तर देने वाले मंत्री की सरकारी गतिविधियों से संबंधित होना चाहिए, न कि पार्टी के नेता या सांसद के रूप में उनकी गतिविधियों के लिए। परंपरानुसार, यह प्रश्नोत्तर का सिलसिला सत्तारूढ़ दल/गठबंधन और विपक्ष के बीच, बारी-बारी से चलता है। हाउस ऑफ कॉमन्स तकनीकी रूप से मुकुट के मंत्रियों (या सार्वजनिक अधिकारी, या किसी भी अन्य शासनाधीन नागरिक) के अपराधों के लिए महाभियोग चलाने की शक्ति भी रखता है। महाभियोग प्रस्ताव का परिक्षण लॉर्ड्स द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया आजकल अप्रचलित पड़ गई है: हाउस ऑफ कॉमन्स सामान्यतः अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिये सरकार की समीक्षा करता है।

कॉमन्स सभा अधिकांश विधायी मामलों का मुख्य आलोचना पटल होता है। सरकार की समीक्षा के अलावा सामान्यतः महत्वपूर्ण विधेयकों की उत्पत्ति हाउस ऑफ कॉमन्स में ही होती है। विधायी मामलों में कॉमन्स की सर्वोच्चता को पार्लियामेंट अधिनियमों द्वारा आश्वासित किया गया है वित्तीय विधेयक पर कॉमन्स की प्रधानता है, ऐसे विधेयक केवल कॉमन्स में उत्पन्न हो सकते है। केवल हाउस ऑफ कॉमन्स ही कराधान या आपूर्ति से संबंधित विधेयकों की उत्पत्ति कर सकते हैं और लॉर्ड्स, उन्हें दो सत्रों से अधिक टाल नहीं सकता। लॉर्ड्स सदन दो से अधिक संसदीय सत्रों, या एक वर्ष से अधिक समय के लिए अन्य किसी भी सार्वजनिक विधेयक को टाल नहीं सकता। हालाँकि, ये प्रावधान केवल उन सार्वजनिक विधेयकों पर लागू होते हैं जो कॉमन्स सदन में उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, पांच साल से अधिक के संसदीय कार्यकाल का विस्तार करने वाले विधेयक को लॉर्ड्स की सहमति की आवश्यकता होनी अनिवार्य है।

विधायिक शक्तियों का बँटवारा: कॉमन्स की प्रधानता

नियमानुसार विधेयकों को किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, परंतु सामान्यतः महत्वपूर्ण विधेयकों की उत्पत्ति हाउस ऑफ कॉमन्स में ही होती है। दोनों सदनों से स्वीकृत होने के बाद, संप्रभु द्वारा शाही स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही विधेयक अधिनियम में परिवर्तित होकर पुरे देश में लागू होते हैं। बहरहाल, कई मामलों में कॉमन्स सदन को, लोकतांत्रिक रूप से चुने जाने के कारण, विधायिक मामलों में लॉर्ड्स सदन, जोकी प्रधानतः वंशानुगत सामंतों (लॉर्ड्स) द्वारा संरचित होता है, से अधिक हक़दार माना जाता रहा है अतः वर्षो से चली आ रही परम्पराओं और नियमों के तहत इसकी प्रधानता को स्थापित किया गया है। 1911 और 1949 में पारित पार्लियामेंट अधिनियम के तहत, विधायिक मामलों में कॉमन्स की सर्वोच्चता को आश्वासित किया गया है हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स से किसी भी संसदीय विधेयक को अस्वीकार करने की शक्ति को छीन लिया गया और केवल विलंबित किये जाने की शक्ति तक घटा दिया गया था। अतः ब्रिटिश सरकार पूरी तरह से केवल हाउस ऑफ कॉमन्स के प्रति जवाबदेही रखती है और प्रधानमंत्री केवल तब तक पद पर रहते हैं जब तक कि वे बहुमत से कॉमन्स के विश्वास को बनाए रखें।

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तत्कालीन प्रधानमंत्री विलियम पिट, द यंगर कॉमन्स सभा को फ्रांस के संग युद्ध की शुरुआत के प्रति संबोधित करते हुए। एंटन हिकल की पेंटिंग

विधायी मामलों में कॉमन्स की सर्वोच्चता को पार्लियामेंट अधिनियमों द्वारा आश्वासित किया गया है, जिसके तहत महारानी को शाही स्वीकृति के लिए हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सहमति के बिना भी कुछ प्रकार के बिल प्रस्तुत किए जा सकते हैं। लॉर्ड्स सदन एक महीने से अधिक के लिए किसी भी वित्तीय विधेयक (एक बिल, जो हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष के विचार में, केवल राष्ट्रीय कराधान या सार्वजनिक धन से सम्बंधित है) में देरी नहीं कर सकता है। इसके अलावा, लॉर्ड्स सदन दो से अधिक संसदीय सत्रों, या एक वर्ष से अधिक समय के लिए अन्य किसी भी सार्वजनिक विधेयक को टाल नहीं सकता। हालाँकि, ये प्रावधान केवल उन सार्वजनिक विधेयकों पर लागू होते हैं जो कॉमन्स सदन में उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, पांच साल से अधिक के संसदीय कार्यकाल का विस्तार करने वाले विधेयक को लॉर्ड्स की सहमति की आवश्यकता होनी अनिवार्य है।

पार्लियामेंट अधिनियमों के पारित होने से पूवर से प्रचलित प्रथा के तहत, केवल हाउस ऑफ कॉमन्स ही कराधान या आपूर्ति से संबंधित विधेयकों की उत्पत्ति कर सकते हैं। इसके अलावा, हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा पारित आपूर्ति बिल हाउस ऑफ लॉर्ड्स में संशोधन से पूर्णतः प्रतिरक्षा हैं। इसके अलावा, हाउस ऑफ लॉर्ड्स पर किसी भी विधेयक को इस प्रकार संशोधित करने से रोक है ताकि उसमे कराधान या आपूर्ति से संबंधित कोई प्रावधान सम्मिलित किया जा सके, हालाँकि हाउस ऑफ कॉमन्स अक्सर अपने इस विशेषाधिकार को माफ कर लॉर्ड्स को वित्तीय निहितार्थ के साथ संशोधन करने की अनुमति दे देता है। इसके अलावा, सैलिसबरी सभागम के तहत हाउस ऑफ लॉर्ड्स सरकार के चुनावी घोषणापत्र में वादा किए गए कानून का विरोध करने की मांग नहीं करता है। अतः चूंकि हाउस ऑफ लॉर्ड्स की शक्ति को क़ानून और व्यवस्था द्वारा गंभीर रूप से बंद कर दिया गया है, इसलिए हाउस ऑफ़ कॉमन्स स्पष्ट रूप से संसद का अधिक शक्तिशाली कक्ष है।

संसद का राजकीय उद्घाटन

संसद का राजकीय उद्घाटन ब्रिटिश संसद का एक विशेष अनुष्ठान जिसके द्वारा औपचारिक रूप से संसद के सत्र की शुरुआत होती है। इसमें सबसे विशेष घटना, रानी/राजा द्वारा सिंहासन पर से से एक विशेष पूर्वलिखित अभीभाषण होता है। यह एक व्यापक समारोह होता है जिसमें ब्रिटिश इतिहास, संस्कृति और समकालीन राजनीति को आम जनता के सामने पदिखाया जाता है। सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे इस अनुष्ठान का प्रसारण आजकल टेलीविजन के माध्यम से भी होता है। आमतौर पर संसद का उद्घाटन मई या जून में होता है, और परंपरागत रूप से नवंबर में भी होता आया है।[10]

ब्रिटिश संप्रभु का अभिभाषण नए सत्र के पहले दिन, वेस्टमिंस्टर महल के हाउस ऑफ लॉर्ड्स कक्ष में होता है। इस दौरान पूर्ण राजकीय पोषक एवं शाही राजमुकुट पहन कर, लॉर्ड्स कक्ष के राज सिंघासन पर विद्यमान होकर संप्रभु, सरकार और कैबिनेट द्वारा पूर्वलिखित भाषण को संसद के सभी लॉर्ड्स, सांसदों एवं मुकुटिय मंत्रियों के समक्ष पढ़ते हैं। इस अभिभाषण के दौरान, सरकार के अन्य उच्चाधिकारी, राजपरिवार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य एवं, राष्ट्रमंडल व अन्य देशों के प्रतिनिधिगण भी सामान्यतः मौजूद रहते हैं। इस भाषण में आने वाले वर्ष के लिए उनकी सरकार की योजनाओं को रेखांकित किया रहता है।

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संसद और देश के खिलाफ जंग छेड़ने और देशद्रोह के आरोप पर पेशी की दौरान राजा चार्ल्स प्रथम का चित्र, चित्र में राजा की दाढ़ी मूछ और उनके बाल लंबे हैं, क्योंकि उनकी गिरफ़्तारी के बाद, संसद ने उनके शाही नाइ को हटवा दिया था। पेशी में चार्ल्स को सर कलम कर, मृत्युदंड दिया गया था। एडवर्ड बोवर, १६४९[11]

इस अनुष्ठान की एक विशेष रीति होती है: महारानी के दूत, ब्लैक रॉड के मुह पर हाउस ऑफ़ कॉमन्स के दरवाज़ों को बंद कर देना।[12] यह क्रिया, हर उद्घाटन समारोह में दोहराई जाती है। लॉर्ड्स कक्ष में संप्रभु के विद्यमान होने के बाद, महारानी की अनुमति से, लॉर्ड चैम्बरलेन अपनी छड़ी उठा कर, वेस्टमिंस्टर महल के केंद्रीय आंगन में खड़े ब्लैक रॉड (संसद के एक उच्चाधिकारी, जिनका मुख्य काम सदन में व्यवस्था बनाये रखना होता है) को कॉमन्स के सांसदों को लॉर्ड्स कक्ष में उपस्थित होने का आदेश पहुंचाने का संकेत देते हैं। जिसके बाद ब्लैक रॉड कॉमन्स कक्ष की और बढ़ते हैं, उनको आता देख, कॉमन्स कक्ष में "ब्लैक रॉड आ रहा है" की घोषणा की जाती है। तत्पश्चात, महारानी का आदेश ला रहे, ब्लैक रॉड के कॉमन्स कक्ष की चौखट पर पहुँचते ही उनके मुह पर दरवाज़े को ज़ोर से बंद कर दिया जाता है। जिसके बाद ब्लैक रॉड अपनी परंपरागत काली छड़ी को दरवाज़े पर तीन बार पीट कर कॉमन्स में प्रवेश की अनुमति मांगते हैं।[12] कॉमन्स में प्रवेश की बाद, सभापति तक पहुँचने से पहले परंपरागत रूप से दो बार झुक कर नमन करते हैं और महारानी के आदेश की घोषणा करते हुए सभापति से कहते हैं, "सभापति महोदय, महारानी इस सम्माननीय सदन को [क्षणभर रुक के सदन के दोनों पक्षों को प्रणाम कर] महामहिम की उपस्थिति में तुरंत हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में पेश होने का आदेश देती हैं।",[12] इसके बाद ही ब्लैक रॉड के साथ, हाउस ऑफ़ कॉमन्स के सदस्य, सभापति के नेतृत्व में, ब्लैक रॉड के संग लॉर्ड्स कक्ष के तरफ बढ़ते हैं। संप्रभु के दूत के मुह पर दरवाज़ा बंद करने की यह परंपरा प्रतीकात्मक रूप से संसद के अधिकारों और संप्रभु से उसकी स्वतंत्रता को दर्शाता है।[12] सांसदों के पहुँचने के बाद संप्रभु भाषण पढ़ते हैं।

1642 में, राजा चार्ल्स प्रथम ने, संसद की स्वतंत्रता की मांग कर रहे कॉमन्स के पांच सदस्यों को गिरफ्तार करने का असफल प्रयास करते हुए, संसदीय विशेषाधिकार और विधि की अवहेलना कर, हाउस ऑफ कॉमन्स में जबरन प्रवेश किया था। इन पांच में, जिसमें प्रसिद्ध अंग्रेजी देशभक्त और प्रमुख सांसद जॉन हैम्पडेन शामिल थे। राजा के इस कार्रवाई से राजकीय बलों और संसदीय स्वतंत्रता की मांग कर रहे संसदीय बालों के बीच अंग्रेजी गृहयुद्ध छिड़ गयी थी,[13][14] जिसमें संसदीय बालों की जीत हुई थी। युद्ध ने संसद के संवैधानिक अधिकारों की स्थापना की। तत्पश्चात, वैधानिक रूप से संसदीय अधिकार 1688 में गौरवशाली क्रांति एवं बाद में 1689 के अधिकार विधेयक में स्थापित की गई। इस घटना के बाद से, किसी भी ब्रिटिश संप्रभु ने सत्र के दौरान हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रवेश नहीं किया है।

संसदीय संप्रभुता

ब्रिटैन के विधिशास्त्र में संसद की सार्वभौमिकता और संप्रभुता सर्वोच्च मानी गयी है। वास्तविक रूप से यह पूरे ब्रिटिश राष्ट्र में सर्वोच्च है, न केवन विधायी मामलों में, बल्कि हर मामले में। बहरहाल संसद की संप्रभुता पर कई अलग-अलग विचार किए गए हैं। न्यायविद सर विलियम ब्लैकस्टोन के अनुसार, "इसमें सभी संभावित संप्रदायिक, धार्मिक, लौकिक, नागरिक, सैन्य, समुद्री या आपराधिक मामलों से संबंधित कानूनों को बनाने, पुष्टि करने, विस्तार करने, रोकने, निरस्त करने, वापस लेने, पुनर्जीवित करने और समाप्त करने का संप्रभु और अदम्य अधिकार है ... संक्षेप में, यह हर उस चीज़ को कर सकता है जो स्वाभाविक रूप से असंभव नहीं है।” बहरहाल, स्कॉटलैंड और आयरलैंड में इसके बेरोक विधायी अधिकारों पर प्रश्न उठते रहे हैं। मैककॉर्मक बनाम लॉर्ड एडवोकेट के मुक़दमे पर अपना फैसला सुनते हुए न्यायाधीश थॉमस कूपर ने कहा था "संसद की असीमित संप्रभुता का सिद्धांत एक विशिष्टतः अंग्रेजी सिद्धांत है और स्कॉटिश संवैधानिक कानून में इस सिद्धांत का कोई प्रतिपक्ष नहीं है।" इस बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, "यह मानते हुए कि विलय के अधिनियमों ने स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के संसदों को समाप्त कर दिया और उन्हें एक नई संसद द्वारा प्रतिस्थापित किया, मुझे यह देखने में कठिनाई होती है कि क्यों ग्रेट ब्रिटेन की नई संसद को अंग्रेजी संसद की सभी विशिष्ट विशेषताओं को प्राप्त करना चाहिए, लेकिन कोई भी स्कॉटिश [संसदीय विशेषताओ को] नहीं।" बहरहाल संसदीय संप्रभुता पर उन्होंने कोई निर्णायक फैसला नहीं सुनाया। अतः विधिक तौरपर संसदीय संप्रभुता की संवैधानिक प्रश्न अनिर्णीत है।

बहरहाल, यूरोपीय संघ अधिनियम यह कहता है की "यह यूनाइटेड किंगडम की संसद की संप्रभु को मानता है।" इस सन्दर्भ में यह अधिनियम संसदीय संप्रभुता पर कोई योग्यता या परिभाषा नहीं बताता है। इसके अतिरिक्त, संसद पर एक संभावित सीमा स्कॉटिश कानूनी प्रणाली और प्रेस्बिटेरियन संप्रदाय से संबंधित है, जिसके संरक्षण के शर्त पर स्कॉटलैंड ने एकीकृत संसद को मंज़ूरी दी थी।[15] चूंकि इन वादों पर यूनाइटेड किंगडम की संसद की स्थापना की गई थी, इसलिए संभवतः संसद के पास ऐसे कानून बनाने की शक्ति नहीं है जो उन्हें तोड़ दे।

संसद ने स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में की अलग-अलग विधायी प्राधिकरी स्तर की राष्ट्रीय अवक्रमित संसदों और विधानसभाओं को भी स्थापित किया है। बहरहाल, संसद के पास अभी भी उन क्षेत्रों पर अधिकार है लेकिन आमतौर पर उन संस्थानों से सम्बंधित मुद्दों के ऊपर कानून बनाने से पूर्व उनकी स्वीकृति हासिल किया जाता है। इसके अलावा ब्रिटिश साम्राज्य के ज़माने में इसपर, समस्त ब्रिटिश साम्राज्य पर कानून बनाने का सर्वोच्च अधिकार था। जिन्हें संसद ने विभिन्न अधिनियम पारित करके समय समय पर स्वायत्तता प्रदान कर दी थी, इस सन्दर्भ में, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, भारत इत्यादि देशों की राष्ट्रिय सांसदों को इसी प्रकार स्वतंत्रता दिया गया था। तदनुसार, संसद चाहे तो उन अधिनियमों को पूर्ववत कर सकती है, मगर ऐसा कोई अधिनियम, स्वचालित रूप से उन देशों पर लागू नहीं होगा। आज संसद के पास समराज्ञीय संसद का स्तर मौजूद नहीं है।

संसदीय संप्रभुता का एक मान्य परिणाम यह है कि कोई भी संसदीय अधिनियम भविष्य की संसद को बांध नहीं सकता है; यानी संसद के किसी भी अधिनियम को भविष्य की संसद द्वारा संशोधन या निरासन से सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता है। संसद चाहे तो कभी भी किसी भी पुराने अधिनियम को संशोधित, निरस्त अथवा रोक सकता है, चाहे उस अधिनयम में कुछ भी लिखा हो। उदाहरण के लिए, हालांकि विलय के अधिनियम, 1800 में कहा गया है कि ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के राज्यों को "हमेशा के लिए" एकजुट होना है, संसद ने 1922 में दक्षिणी आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम छोड़ने की अनुमति दे दी।

संसदीय विशेषाधिकार

संसद के दोनों सदनों के ऊपर कुछ प्राचीन विशेषाधिकार निहित और संरक्षित हैं। दोनों सदनों द्वारा दावा किया गया सबसे महत्वपूर्ण विशेषाधिकार है बहस में बोलने की स्वतंत्रता: सदन में कही गयी किसी भी बात पर संसद के बाहर किसी भी अदालत या अन्य संस्था में पूछताछ नहीं किया जा सकता है। एक और विशेषाधिकार है गिरफ्तारी से स्वतंत्रता: पूर्वतः, सभी सांसद राजद्रोह, गुंडागर्दी या शांति भंग करने को छोड़कर किसी भी कानूनी अपराध के लिए गिरफ्तारी से प्रतिरक्षा थे लेकिन अब आपराधिक आरोपों को भी इस विशेषाधिकार के दायरे से बाहर कर दिया गया है।[16] यह प्रतिरक्षा संसदीय सत्र के दौरान और सत्र के 40 दिन पहले या बाद तक लागू रहता है। दोनों सदनों के सदस्यों को अब ज्यूरी पर सेवा से विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है।[17]

दोनों सदनों के पास अपने विशेषाधिकार के उल्लंघन को दंडित करने की शक्ति भी है। संसद की अवमानना- उदाहरण के लिए, किसी समिति द्वारा जारी किए गए एक उप-सदस्य की अवज्ञा- को भी दंडित किया जा सकता है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स किसी भी व्यक्ति को किसी भी निश्चित अवधि के लिए कारावास में डाल सकता है, लेकिन हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा कारावास में भेजे गए व्यक्ति को छूट पर मुक्त किया जा सकता है।[18] दोनों सदनों में से किसी के द्वारा भी लगाए गए दंड को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है, यहाँ तक कि मानवाधिकार अधिनियम भी इनपर लागू नहीं होता है।[19]

ये अधिकार किसी विधि या संधि के ज़रिये नहीं आते हैं, हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा संप्रभु से मिले निहित अधिकार के आधार पर इन विशेषाधिकारों का दावा किया जाता है। जबकि हाउस ऑफ कॉमन्स को यह अधिकार हाउस ऑफ लॉर्ड्स से मिलता है, जिसकी पुष्टि, प्रतिवर्ष कॉमन्स के सभापति लॉर्ड्स की स्वीकृति द्वारा किया करते हैं। प्रत्येक नई संसद की शुरुआत में सभापति लॉर्ड्स कक्ष में जाकर निचले सदन के "निस्संदेह" विशेषाधिकारों और अधिकारों की पुष्टि करने के लिए संप्रभु के प्रतिनिधियों से अनुरोध कर यह अधिकार प्राप्त करते हैं। यह परंपरा राजा हेनरी अष्टम के ज़माने से चली आ रही है।

संसद का भवन

नदी के किनारे वेस्टमिंस्टर महल
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सुबह के समय थेम्स नदी के उस पार का नज़ारा
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...और शाम को दाईं तरफ़ पोर्टकुलिस हाउस दिखता हुआ।

ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों की बैठकें, लंदन शहर के वेस्टमिन्स्टर शहर में थेम्स नदी[note 1] के उत्तरी किनारे पर स्थित पैलेस ऑफ वेस्टमिन्स्टर, अर्थात वेस्टमिंस्टर का महल में आयोजित होती है, जिसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट के नाम से भी जाना जाता है। यह सरकारी भवन वाइटहॉल और डाउन स्ट्रीट तथा ऐतिहासिक स्थल वेस्टमिन्स्टर ऐबी के करीब है। यह नाम निम्न दो में से किसी एक संरचना को संदर्भित कर सकता है, द ओल्ड पैलेस, जो एक मध्यकालीन इमारत है जो कि 1834 में ही नष्ट हो गई थी और उसके स्थान पर बनने वाला न्यू पैलेस जो आज भी मौजूद है। लेकिन इसकी मूल शैली और शाही ठाठबाट पूर्ववत बनी हुई है।

इस जगह पर पहला शाही महल ग्यारहवीं शताब्दी में बनाया गया था और 1512 में इस इमारत के नष्ट होने से पहले वेस्टमिन्स्टर ही लंदन के राजा का प्राथमिक लंदन निवास था। इसके बाद से ही यह संसद भवन के रूप में कार्य कर रहा है। 13 वीं शताब्दी से यहां संसद की सभाएं होती हैं और शाही न्याय पीठ एवं वेस्टमिन्स्टर हॉल भी यहीं पर है। पुनः पूरी भव्यता से बनाये गये इस संसद भवन में 1834 में भयानक आग लग गई। इस आग से जो इमारते बच गईं उनमें शामिल हैं वेस्टमिन्स्टर हॉल, द क्लॉइस्टर्स ऑफ सेंट स्टीफन्स, चैपल ऑफ सेंट मैरी अंडरक्राफ्ट और जूअल टॉवर.

महल के पुर्ननिर्माण की प्रतियोगिता में शिल्पकार चार्ल्स बैरी की जीत हुई और इस इमारत के निर्माण में उनकी अभिलम्ब गोथिक शैली को अपनाया गया। पुराने महल (अलग जूअल टॉवर के अपवाद के साथ) के अवशेषों को इनके स्थान पर बड़े एवं भव्य रूप में बनाया गया, जिसमें 1100 कक्ष शामिल हैं। ये कक्ष आंगन की दो श्रृंखलाओं के इर्द गिर्द बनाये गये हैं। इस नये महल का कुछ भाग3.24 हेक्टेयर (8 एकड़) थेम्स पर बनाया गया है, जिसका प्रमुख हिस्से का मुंह 265.8-मीटर (872 फीट) नदी की तरफ है। बैरी की सहायता अगस्तस डब्ल्यू. एन. पुगिन ने की थी जो गोथिक शिल्पकला के एक मुख्य अधिकारी थे। उन्होंने ही महल की साज सज्जा के लिए डिजाइन तैयार किये थे। 1814 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था और तीस साल तक चला। इसके निर्माण में कई बाधाएं आईं, दोनों मुख्य शिल्पकारों की मृत्यु हो गई, तो कभी इसमें बहुत अधिक विलंब और धन लगा। बीसवीं शताब्दी तक भी अंदर की साज सज्जा का काम रूक रूक चलता रहा। लंदन के वायु प्रदुषण के कारण इसके संरक्षण का कार्य तब से चल ही रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब 1941 में इसके कॉमन चैंबर में बमबारी हुई थी तब से यहां पर पुर्ननिर्माण का काम चल रहा है।

यह महल लंदन के राजनीतिक जीवन का केंद्र रहा है। वेस्टमिन्स्टर लंदन की संसद के लिए मेटोम बन चुका है। इसके नाम पर ही सरकार के वेस्टमिन्स्टर तंत्र का नाम पड़ा है। विशेष रूप से क्लाक टॉवर, जो अपनी मुख्य घण्टे के कारण बिग बेन के रूप में जाना जाने लगा है, लंदन का प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्थल और शहर का मुख्य पर्यटन केंद्र है। इसे संसदीय लोकतंत्र का प्रतीक भी कहा जाता है। 1970 से ही पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर उच्चकोटि की इमारत मानी जाती है और 1987 से यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है।

सभी सांसदों की जननी

ब्रिटिश संसदीय प्रणाली को विश्व में संसदीय लोकतांत्रिक प्रणालियों का जननी माना जाता है, सदियों से चली रही नियमों, विधियों, संविधियों, और संधियों से निर्मित हुई इस प्रणाली ने विश्व के अनेक संसदीय लोकतांत्रिक देशों की विधायी व्यवस्था के लिए प्रेरणा रहा है। सामान्यतः "वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली" कहे जाने वाली यह विधायी-व्यवस्था, शासन की एक लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली है, जोकि सैकड़ों वर्षों के काल में, यूनाइटेड किंगडम में विकसित हुई थी। इस व्यवस्था का नाम, पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर से आता है। वर्तमान समय में, विश्व के अन्य कई देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ स्थापित हैं। ब्रिटेन और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के अलावा इससे प्रभावित संसदीय प्रणाली, इजराइल और जापान जैसे गैर-ब्रिटिश शासित देशों में भी देखा जा सकता है।

वेस्टमिंस्टर प्रणाली की सरकारें, विशेष तौर पर राष्ट्रमंडल देशों में देखा जा सकता है। इसकी शुरुआत, सबसे पहले कनाडा प्रान्त में हुई थी, और तत्पश्चात ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी सरकार को इस ही प्रणाली के आधार पर स्थापित किया। आज के समय, विश्व भर में कुल ३३ देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ हैं।

इन्हें भी देखें

  • घटक सदन:

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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