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बिहु त्योहार
असम का राष्ट्रीय त्योहार। विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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बिहु (असमिया : বিহু) असम का एक प्रसिद्ध त्यौहार है जो तीन अलग-अलग समय पर मनाया जाता है- (१) रोंगाली बिहु या बोहाग बिहु (२) कोंगाली बिहु (३) माघी बिहु । उनमें से एक में अप्रैल में मनाये जाने वाले असमिया नव वर्ष भी शामिल है। बिहु शब्द बिहु नृत्य और बिहू लोक गीत दोनो की और संकेत करते है। रोंगाली बिहु या बोहाग बिहु असम का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बिहु असम के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो सभी असमियों द्वारा बहुतायत में मस्ती के साथ मनाया जाता है बिना उनके जाति, धर्म और विश्वास में भेद किये।


बिहु शब्द दिमासा लोगों की भाषा से ली गई है जो की प्राचीन काल से एक कृषि समुदाय है। उनकी सर्वोच्च देवता ब्राई शिबराई या पिता शिबराई हैं। मौसम की पहली फसल अपनी शांति और समृद्धि की कामना करते हुए ब्राई शिबराई के नाम पर अर्पित किया जाता हैं। तो 'बि' मतलब 'पुछना' और 'शु' मतलब पृथ्वी में 'शांति और समृद्धि' हैं। अत: शब्दै बिशु धीरे-धीरे भाषाई तहजीह को समायोजित करने के लिये बिहु बन गया। अन्य सुझाव यह हैं कि 'बि' मतलब 'पुछ्ना' और 'हु' मतलब 'देना' और वही से बिहु नाम उत्पन्न हुआ। यह " कलागुरु " विष्णु प्रसाद राभा द्वारा कहा गया था। असम में रोंगाली बिहू बहुत सारे परंपराओं से ली जाती हैं जैसे की- बर्मी-चीन, ऑस्ट्रो - एशियाटिक, हिंद-आर्यन- और बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। त्योहार अप्रैल के मध्य में शुरू होता हैं और आम तौर पर एक महीने के लिए जारी रह्ता हैं। यह पारंपरिक नव वर्ष है। इसके अलावा दो और बिहु हैं: अक्टूबर में कोंगाली बिहु (सितम्बर विषुव के साथ जुड़े) और जनवरी में भोगाली बिहु[1] (जनवरी संक्रांति से जुड़े)। अधिकांश अन्य भारतीय त्योहारों की तरह, बिहू (तीनों ही) खेती के साथ जुड़ा हुआ हैं, जैसे की पारंपरिक असमिया समाज मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भरीत हैं। वास्तव में, वैसा ही बहुत सारे उत्सब लगभग उसी वक्त पे पुरे भारतबर्श में मनाया जाता हैं।
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तीन बिहु

असम में एक साल में तीन बिहु मनाया जाता हैं[2] बोहाग (बैसाख, अप्रैल के मध्य), माघ (जनवरी के मध्य में) और काटी (कार्तिक, अक्टूबर के मध्य) के महीनों में। बिहु प्राचीन काल से असम में मनाया जा रहा हैं। प्रत्येक बिहु खेती कैलेंडर में एक विशिष्ट चरण के साथ मेल खाता हैं। सबसे महत्वपूर्ण और तीन बिहू उत्सव में सब्से रंगीन हैं वसंत महोत्सव "बोहाग बिहू" या रोंगाली बिहू जो कि अप्रैल के मध्य में मनाया जाता हैं। यह उत्सब कृषि सीज़न की शुरुआत को भी दर्शाता हैं। बिहु असम कि सभी भागो में और सभी जाति-जनजाति और धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाता हैं। प्रत्यक्षतया यह कहा जा सकता हैं कि बिहु एक धर्मनिरपेक्ष त्योहार हैं जो भीन्न जाति और धर्म के बीच मानवता, शांति और भाईचारा लाता हैं।
असम के मेले
- अम्बुबाशी मेला(पूर्व का महाकाव्य:कामाख्या देवी मंदिर)
- परशुराम मेला
- दोल जात्रा मेला
- अशोकष्टमी मेला
- सड़क पुजा मेला
- राख मेला
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बिहु नृत्य में प्रयुक्त उपकरण

ढोल (ड्रम)
ताल
पेपा (भैंस के सींग से बना एक वाद्य यंत्र)
टोका
बाँहि (बांसुरी)
क्शुतुली
गोगोना
अन्य स्थानों पर बिहु
बिहु विदेशों में भी मनाया जाता हैं। कई बिहु संघों/समितियों विदेशों में भी मौजूद हैं जहाँ बड़े ही उत्साह से यह त्योहार मनाया जाता हैं। लंदन बिहु समिति (एलबीसी), ब्रिटेन उनमें से एक है।[3]
परम्परा
असम के विभिन्न अञ्चलों में भि-न्न भिन्न परम्पराएँ प्रचलित हैं-
बिहु के उपलक्ष में घर-घर जाकर गाने वाला बुहु-दल
माघ बिहु की मेजि ज्वलोरा परम्परा
गरु बिहु में बनोरा चात
बोहाग बिहू मनाने के कई तरीके हैं
बिहू के लिए कई तरह के पीठा-जलपान तैयार किए जाते हैं
बिहू के दिन एक सौ एक प्रकार की सब्जियां खाने की परंपरा है
काटी बिहू के दौरान खेतों में मोमबत्तियां जलाने की परंपरा है
काटी बिहू के दौरान तुलसी के नीचे मोमबत्तियाँ जलाने की परंपरा है
बोहाग बिहू के दौरान खुला बिहू आयोजित किया जाता है
माघ बिहू के दौरान समुदाय में मछली पकड़ने की परंपरा है- बोहाग बिहू के दिन कई अलग-अलग प्रकार की गायों को नदी में नहलाया जाता है
'अंडों की लड़ाई' बिहू के दिनों में खेला जाने वाला एक पारंपरिक खेल है- बिहु नृत्य
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सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
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