पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति विद्या भारती के अन्तर्गत पूर्वोत्तर भारत में कार्यरत एक गैर सरकारी संगठन है। पूर्वोत्तर भारत में जनजातीय बच्चों में ज्ञान की अलख जगाने, जनजाति समाज में आत्मविश्वास की वृद्धि के साथ गुणवत्ता युक्त शिक्षा हेतु विभिन्न प्रांतीय समितियों को अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, त्रिपुरा, असम व मिजोरम में शैक्षिक व आर्थिक सहयोग हेतु पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति[1][2] का गठन सन् 1997 में किया गया। पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्या भारती की विभिन्न प्रांतीय समितियों[3] द्वारा संचालित जनजाति क्षेत्र में 84 औपचारिक विद्यालयों को पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति[4][5][6][7] सहयोग प्रदान करती है।
सिद्धांत | जय विद्या, जय संस्कृति, जय भारतमाता |
---|---|
स्थापना | 1997 |
संस्थापक | विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र |
प्रकार | शैक्षिक संस्थान |
मुख्यालय | 16, विष्णुपथ, राधा गोविंद बरूआ रोड़, गुवाहाटी, असम, भारत |
सेवाएँ | निःशुल्क शिक्षा |
महासचिव |
डॉ. अभिजीत पायेंग |
पैतृक संगठन |
विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र |
जालस्थल | https://vbpjss.co.in |
अन्य सामाजिक संगठन व संस्थाओं को प्रेरित कर शिक्षादान के प्रकल्प से जोड़ना तथा परोपकारी बन्धुओं एवं कोर्पोरेट से आर्थिक सहयोग एकत्रित कर विद्यालयों के निर्माण व निःशुल्क शिक्षा के साथ साथ न्यूनतम खर्च पर छात्रावास चलाने में पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति[8][9][10] सहयोग प्रदान करवाने हेतु सदैव तत्पर रहती है।
एकल विद्यालय
वर्तमान में 540 एकल विद्यालय (एकल संस्कार केन्द्र[11]) कार्बी आंगलोंग व कोकराझार जिले में जनसहयोग से चल रहे हैं। गांवों के जनजाति युवा न्यूनतम मानधन लेकर एकल विद्यालय व संस्कार केन्द्रों के माध्यम से निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। वनबंधु परिषद[12] एक स्वयंसेवी संस्था है जो कि एकल विद्यालय[13] अभियान में विशेष आर्थिक सहयोग प्रदान करती है।[14]
कृष्णचन्द्र गांधी पुरस्कार
कृष्णचंद्र गांधी पुरस्कार वर्ष 2007 से निरंतर पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति द्वारा जनजातीय क्षेत्र में अनुपम सेवायें प्रदान करने वाले एवं शिक्षादान को मूर्त रूप प्रदान करने व करवाने वाले कार्यकर्ता अथवा संस्था को प्रदान किया जाता है। स्वर्गीय कृष्णचंद्र गांधी जी के व्यापक विचार, अथक मेहनत एवं लगन के परिणाम स्वरूप विद्या भारती के प्रथम विद्यालय की स्थापना हुई। स्वर्गीय गांधी जी ने पूर्वोत्तर भारत के जनजाति समाज व वन अंचलो में शिक्षा का प्रचार-प्रसार तीव्र गति से बढ़े, इसके लिए कई योजनाएँ बनाई। इन्हें मूर्त रूप प्रदान करवाने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण 25 वर्ष पूर्वोत्तर में कई बार भ्रमण किया। जनमानस को शिक्षा दान के लिए प्रेरित कर कार्यकर्ताओं व दानदाताओं को जोड़ा। स्वर्गीय कृष्णचंद्र गांधी जी के नाम से अलंकृत यह पुरस्कार कार्यकर्ता का सर्वोच्च सम्मान है एवं अन्य कार्यकर्ताओं को प्रेरणा के साथ साथ ऊर्जा प्रदान करने वाला है।
वर्ष 2007 से प्रारम्भ होकर 2023 तक 18 श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- 2007- श्री न्याग पायेंग, (अरुणाचल प्रदेश)
- 2008- श्री लून्से टिमुंग, कार्बी आंगलोंग (असम)[15]
- 2009- श्री तुलेश्वर नार्जरी, कोकराझार (असम)[15]
- 2010- श्रीमती ड्रिम्सिरन खारकंग गोरे (मेघालय)[15]
- 2011- श्री अर्नब हाजोंग, पश्चिम गारो पहाड़ (मेघालय)
- 2012- श्री प्रवेश चंद्र धर, (त्रिपुरा)
- 2013- श्री पाउतेम्जन न्यूमे, हाफलोंग, (असम)
- 2014- श्रीमती करबीलता देउरी, (असम)
- 2015- श्री मनेश्वर देउरी, (असम)
- 2016- श्रीमती हिगियो अरुनी, (अरुणाचल)[16]
- 2017- श्रीमती फली बोडो, माईबोंग, (असम)[17]
- 2018- डॉ उपेन राभा हकाचम, गुवाहाटी, (असम)[17]
- 2019- श्री श्री चित्तरंजन देवबर्मा, अगरतला, त्रिपुरा[18]
- 2020- श्रीमती दिकी दोमा भूटिया, इम्फाल, मणिपुर[19]
- 2021- श्री ताई तागक, (अरुणाचल प्रदेश)[20]
- 2022- श्री अशोक वार्णेकर एवं श्रीमती अल्का वार्णेकर (संयुक्त), लखीमपुर, (असम)[21]
- 2023- श्री राम पद जमातिया, (त्रिपुरा)[22][23]
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र Archived 2020-10-11 at the वेबैक मशीन का जालस्थल[24]
- पूर्वोत्तर संवाद Archived 2020-07-04 at the वेबैक मशीन (समाचार पोर्टल) का जालस्थल[25]
- विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान का जालस्थल[26]
- वनबंधु परिषद Archived 2020-10-17 at the वेबैक मशीन का जालस्थल[27]
- एकल विद्यालय का जालस्थल[28]
सन्दर्भ
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