नैनोप्रौद्योगिकी
From Wikipedia, the free encyclopedia
नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10−9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है। नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी और वैद्युत अभियाँत्रिकी. अभी यह कहना मुशकिल है कि इन रेखाओं में अनुसन्धान के क्या परिणाम होंगे। नैनोप्रौद्योगिकी को विद्यमान विज्ञान का नैनो स्केल में विस्तारीकरण, या विद्यमान विज्ञान को एक नये आधुनिक शब्ध में पुनराधारित कर रहा है।
नैनोतकनीकी |
पूर्वसन्दर्भ |
क्वांटम सिद्धान्त |
इलेक्ट्ऱॉनिक चिप · मिनिएचराइजेशन |
मूर का नियम · वामनीकरण की बाधाएँ |
क्वांटम सिद्धान्त के अनुप्रयोग · |
नैनोतकनीकी के उपागम |
तल-शीर्ष उपागम · शीर्ष-तल उपागम |
अनुप्रयोग |
नैनोकण · नैनो-ओषधियाँ · नैनो पैमाने पर अभिकलन |
21वीं सदी नैनो सदी बनने जा रही है। आज वस्तुओं के आकार को छोटा और मजबूत बनाने की होड़-सी मची हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में नैनो तकनीक विकसित करने के लिए दुनिया भर में बड़े पैमाने पर शोध हो रहे हैं। अति सूक्ष्म आकार, बेजोड़ मजबूती और टिकाऊपन के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिसिन, ऑटो, बायोसाइंस, पेट्रोलियम, फॉरेंसिक और डिफेंस जैसे तमाम क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी की असीम संभावनाएं बन रही हैं।
नैनोतकनीक में दो प्रमुख पद्वतियों को अपनाया गया है। पहली पद्वति में पदार्थ और उपकरण आणविक घटकों से बनाए जातें हैं जो अणुओं के आणुविक अभिज्ञान के द्वारा स्व-एकत्रण के रसायनिक सिधान्तों पर आधरिथ है। दूसरी पद्वति में नैनो-वस्तुओं का निर्माण बिना अणु-सतह पर नियंत्रण के, बडे सत्त्वों से किया जाता है। नैनोतकनीक में आवेग माध्यम और कोलाइडल् विज्ञान पर नवीकृत रुचि और नयी पीढी के विशलेष्णात्मक उपकरण, जैसे कि परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (AFM) और अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (STM)। इन यन्त्रों के साथ इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन और आणविक किरण एपिटैक्सी जैसे विधिओं के प्रयोग से नैनो-विन्यासों के प्रकलन से इस विज्ञान में उन्नति हुई।
नैनो का अर्थ है ऐसे पदार्थ, जो अति सूक्ष्म आकार वाले तत्वों (मीटर के अरबवें हिस्से) से बने होते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी अणुओं व परमाणुओं की इंजीनियरिंग है, जो भौतिकी, रसायन, बायो इन्फॉर्मेटिक्स व बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है।
इस प्रौद्योगिकी से विनिर्माण, बायो साइंस, मेडिकल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स व रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है, क्योंकि इससे किसी वस्तु को एक हजार गुणा तक मजबूत, हल्का और भरोसेमंद बनाया जा सकता है। छोटे आकार, बेहतर क्षमता और टिकाऊपन के कारण मेडिकल और बायो इंजीनियरिंग में नेनौ टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ रही है। नेनौ टेक्नोलॉजी से इंजन में कम घर्षण होता है, जिससे मशीनों का जीवन बढ़ जाता है। साथ ही ईंधन की खपत भी कम होती है।
नैनो विज्ञान अति सूक्ष्म मशीनें बनाने का विज्ञान है। ऐसी मशीनें, जो इंसान के जिस्म में उतर कर, उसकी धमनियों में चल-फिर कर वहीं रोग का ऑपरेशन कर सकें। ऐसी मशीनें, जो मोबाइल को आपके नाखून से भी छोटा कर दें। जो ऐसी धातु बना दें, जो स्टील से दस गुना हल्की और सौ गुना मजबूत हो। यानी वह धातु, जिससे ऐसे खंभे बनाए जा सकें, जो सिर्फ कुछ इंच के हों, लेकिन पुल का बोझ सह सकें।
आधुनिक उपयोग में नैनोतकनीक के उदाहरण आणुविक ढांचे पर आधारित पोलिमर और सतह विज्ञान पर आधारित कम्प्यूटर चिप का निर्माण है। नैनोतकनीक के अनेक आशाजनक क्षेत्रों, जैसे क्वांटम डोट्स और नैनोंट्यूब्स, के बावज़ूद, वास्तविक वाणिज्यिक उपयोग अम्बार स्तर पर नैनोंकणों का उपयोग में सीमित है, जैसे धूप मलहम, प्रसाधन सामग्री, रक्षात्मक लेप, दवा सुपुर्दगी[2] और दाग प्रतिरोधी कपड़ों।