![cover image](https://wikiwandv2-19431.kxcdn.com/_next/image?url=https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/5/50/Jacques-Louis_David_-_The_Emperor_Napoleon_in_His_Study_at_the_Tuileries_-_Google_Art_Project.jpg/640px-Jacques-Louis_David_-_The_Emperor_Napoleon_in_His_Study_at_the_Tuileries_-_Google_Art_Project.jpg&w=640&q=50)
नेपोलियन बोनापार्ट
फ्रांस देश के भूतपूर्व सम्राट / From Wikipedia, the free encyclopedia
नेपोलियन बोनापार्ट (15 अगस्त 1769 - 5 मई 1821) (जन्म नाम नेपोलियोनि दि बोनापार्टे) फ्रान्स की क्रान्ति में सेनापति, 11 नवम्बर 1799 से 18 मई 1804 तक प्रथम कांसल के रूप में शासक और 18 मई 1804 से 6 अप्रैल 1814 तक नेपोलियन के नाम से सम्राट रहा। वह पुनः 20 मार्च से 22 जून 1815 में सम्राट बना। वह यूरोप के अन्य कई क्षेत्रों का भी शासक था।
नेपोलियन बोनापार्ट | |||||
---|---|---|---|---|---|
![]() | |||||
फ्रांस के सम्राट | |||||
शासनावधि | 17 मई 1804 – 6 अप्रैल 1814 20 मार्च 1815 – 22 जुन 1815 | ||||
राज्याभिषेक | 2 दिसंबर 1804 | ||||
पूर्ववर्ती | स्वयं प्रथम वाणिज्य-दूत | ||||
उत्तरवर्ती | फ्रांस के लुई XVIII | ||||
इटली के राजा | |||||
Reign | १७ मार्च १८०५ – ११ अप्रैल १८१४ | ||||
राज्याभिषेक | २८ मई १८०५ | ||||
पूर्ववर्ती | स्वयं-इटली के राष्ट्रपति | ||||
उत्तरवर्ती | विक्टर इम्मान्युल द्वितीय | ||||
जन्म | नेपोलियन बोनापार्ट १५ अगस्त १७६९ अज़ाशियो | ||||
निधन | 5 मई १८२१(१८२१-05-05) (उम्र 51) लांगवुड, सेंट हेलेना | ||||
समाधि | लेस इनव्हालिडेस् | ||||
जीवनसंगी | जोसेफीनब्युहनेंस और मेरी लुईस | ||||
संतान | नेपोलियन द्वितीय | ||||
| |||||
घराना | बोनापार्ट कुल | ||||
पिता | कार्लो बोनापार्ट | ||||
माता | लेटीजिए रमोलिनो | ||||
धर्म | रोमन कैथोलिकता | ||||
हस्ताक्षर | ![]() |
इतिहास में नेपोलियन विश्व के सबसे महान सेनापतियों में गिना जाता है। उसने फ्रांस में एक नयी विधि संहिता लागू की जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है।
वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक था। उसके सामने कोई रुक नहीं पा रहा था। जब तक कि उसने 1812 में रूस पर आक्रमण नहीं किया, जहां सर्दी और वातावरण से उसकी सेना को बहुत क्षति पहुँची। 18 जून 1815 वॉटरलू के युद्ध में पराजय के पश्चात अंग्रज़ों ने उसे अन्ध महासागर के दूर द्वीप सेंट हेलेना में बन्दी बना दिया। छः वर्षों के अन्त में वहाँ उसकी मृत्यु हो गई। इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेज़ों ने उसे संखिया (आर्सीनिक) का विष देकर मार डाला।