Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
नाना फडणवीस (जन्म: 12 फरवरी 1742 ई.- मृत्यु: 13 मार्च 1800 ई) वास्तविक नाम - बालाजी जनार्दन भानु। एक अत्यंत चतुर और प्रभावशाली मराठा मंत्री थे , जब पानीपत का तृतीय युद्ध लड़ा जा रहा था उस समय वे पेशवा की सेवा में नियुक्त थे। वह अपनी चतुराई और बुद्धिमत्ता के लिये बहुत प्रसिद्ध थे। 1800 ई. में नाना फडणवीस की मृत्यु हो गई थी। नाना फडणवीस ने रघुनाथराव (राघोवा) की पेशवा बनने की सारी कोशिशें नाकाम कर दी थीं। नाना फडणवीस का टीपू सुल्तान से भी युद्ध हुआ था। उन्होंने मराठा साम्राज्य की शक्ति को एक नेतृत्व के नीचे एकत्र करने का सफल प्रयास किया था [1]।
नाना फडणवीस | |
---|---|
जन्म | फरवरी 12, 1742 वर्तमान सतारा, महाराष्ट्र, भारतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
निधन | मार्च 13, 1800 वर्तमान पुणे, महाराष्ट्र, भारतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
समाधि | ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
धर्म | हिन्दू |
पेशा | मराठा साम्राज्य के दौर में पेशवा के दरबार में प्रमुख मंत्री |
पानीपत के तृतीय युद्ध के बाद 1773 ई. में नारायणराव पेशवा की हत्या करा कर उसके चाचा राघोबा ने जब स्वयं गद्दी हथियाने का प्रयत्न किया, तो नाना ने उसका विरोध किया। नाना फडणवीस ने नारायणराव के मरणोपरान्त उनके पुत्र माधवराव नारायण को 1774 ई. में पेशवा की गद्दी पर बैठाकर राघोवा की चाल विफल कर दी। नाना फडणवीस ,अल्पवयस्क पेशवा के मुख्यमंत्री बने और 1774 से 1800 ई. मृत्युपर्यन्त मराठा राज्य का संचालन करते रहे [2]। अन्य मराठा सरदार, विशेषकर महादजी शिन्दे उसके घुर विरोधी थे।
1775 से 1782 ई. तक उन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध प्रथम मराठा युद्ध का संचालन किया। सालबाई की सन्धि से इस युद्ध की समाप्ति हुई। उक्त संधि के अनुसार राघोबा को पेंशन जारी की गई और मराठों को साष्टी के अतिरिक्त अन्य किसी भूभाग से हाथ नहीं धोना पड़ा। 1784 ई. में ही नाना फडणवीस ने मैसूर के शासक टीपू सुल्तान से युद्ध किया और कुछ ऐसे इलाके पुन: प्राप्त कर लिये, जिन्हें टीपू ने बलपूर्वक अपने अधिकार में ले लिया था। 1789 ई. में टीपू सुल्तान के विरुद्ध उन्होंने अंग्रेज़ों और निज़ाम का साथ दिया तथा तृतीय मैसूर युद्ध में भी भाग लिया। जिसके फलस्वरूप मराठों को टीपू के राज्य का एक भूभाग प्राप्त हुआ।
1794 ई. में महादजी शिन्दे की मृत्यु हो जाने के बाद नाना फडणवीस ने निर्विरोध मराठा राज का संचालन किया। 1795 ई. में उन्होंने मराठा संघ की सम्मिलित सेनाओं का ,निज़ाम के विरुद्ध ,संचालन किया और खर्दा के युद्ध में निज़ाम की पराजय हुई। फलस्वरूप निज़ाम को अपने राज्य के कई महत्त्वपूर्ण भूभाग मराठों को देने पड़े।
1796 ई. में नाना फडणवीस के कठोर नियंत्रण से तंग आकर माधवराव नारायण पेशवा ने आत्महत्या कर ली। तदउपरान्त राघोवा का पुत्र बाजीराव द्वितीय पेशवा बना, जो प्रारम्भ से ही नाना फडणवीस का प्रबल विरोधी था। इस प्रकार ब्राह्मण पेशवा और उनके ब्राह्मण मुख्यमंत्री में प्रतिद्वन्द्विता बढ़ती गई। परस्पर षड़यंत्र से मराठे २ गुटों में विभाजित हो गए , जिससे पेशवा की स्थिति और भी कमज़ोर हो गई। इसके बावजूद नाना फडणवीस आजीवन मराठा संघ को एक सूत्र में बांधे रखने में समर्थ रहे।
13 मार्च, 1800 ई. में नाना फडणवीस की मृत्यु हो गई और इसके साथ ही मराठा साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.