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हिन्दको (ہندکو, Hindko) पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के हिन्दकोवी लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में हिन्दकी लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक हिंद-आर्य भाषा है। कुछ भाषावैज्ञानिकों के अनुसार यह पंजाबी की एक पश्चिमी उपभाषा है हालांकि इसपर कुछ विवाद भी रहा है। कुछ पश्तून लोग भी हिन्दको बोलते हैं। पंजाबी के मातृभाषी बहुत हद तक हिन्दको समझ-बोल सकते हैं।[1] दुनिया भर में अनुमानित २०-५० लाख लोग हिन्दको बोलते हैं।[2][3][4]
हिन्द्को भाषा | |||
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ہندکو | |||
बोलने का स्थान | पाकिस्तान | ||
क्षेत्र | ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा, पंजाब | ||
मातृभाषी वक्ता | ३० लाख | ||
भाषा परिवार | |||
लिपि | नस्तालीक़ | ||
भाषा कोड | |||
आइएसओ 639-3 |
इनमें से एक: hnd – दक्षिणी हिन्दको hno – उत्तरी हिन्दको | ||
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बॉलीवुड के कुछ मशहूर अभिनेता हिन्दको-मातृभाषी परिवारों से हैं, मसलन प्राण, दिलीप कुमार और शाहरुख़ ख़ान। राज कपूर, पृथ्वीराज कपूर और उसके परिवार के अन्य सदस्य भी पेशावर में रहे थे और हिन्दको बोलते थे।[5]
हिन्दको शब्द कैसे बना इसके बारे में कई विचार प्रचलित हैं। एशिया और ईरान से हिन्दुस्तान आने वाले आरंभिक लोगों का हिंदुकुश पर्वत को पार करने के बाद इसी बोली के साथ संपर्क स्थापित हुआ। क्यूँकि हिंदुकुश को पार करने के बाद हिन्दुस्तान के रास्ते में कोई ख़ास रुकावट नहीं थी इसी लिए इस बोली को हिन्दुस्तान की बोली या हिन्दको कहा गया।
यूनानी लोगों ने हिन्दुस्तान के लिए इंडीकोस शब्द का प्रयोग किया है और इसी लिए यहाँ की बोली का नाम हिन्दको पडा। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह नाम इसे ईरानीयों ने दिया। सिंध घाटी के पहाड़ों के मध्य या आगे-पीछे यह भाषा बोली जाती थी। फ़ारसी में पहाड़ शब्द के लिए कोह शब्द है और इसी से यह शब्द हिन्दको बना।
हिन्दको एक हिन्द-आर्या बोली है। संसकृत भाषा के व्याकरणकार पाणिनी भी इसी इलाके से संबंध रखते थे। यह भाषा भी पंजाबी के समान प्राक्रित से बनी। आजकल पुराने समय की तरह हिन्दको उन जगहों पर बोली जा रही है जो कि गांधार रहतल का स्थान थे। इसलिए हिन्दको पुरानी गांधार रहतल की भी आम बोलचाल की भाषा थी और यह संसकृत के भी नज़दीक थी।
हिन्दको भाषा को अफ़गानिस्तान के हिन्दकी लग बोलते हैं। पाकिस्तान के सरहदी राज्य का हज़ारे का देश जिसमें मानसहरा, काग़ान, नारान, बालाकोट, ऐबटाबाद हरीपुर, सवाबी, पेशावर, कोहाट, डेरा इसमाईल ख़ान आदि जगहों पर यह बहुसंख्यक लोगों के बीच बोली जाती है। पंजाब के ज़िला अटक में भी लोग अपनी बोली को हिन्दको कहते हैं। पंजाबी बोलने वाले लोगों को हिन्दको समझने में कोई परेशानी नहीं होती और ना ही हिन्दको बोलने वालों को पंजाबी या पोठोहारी समझने में कोई दिक्कत आती है।
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