तत्सम
कंकतिका / From Wikipedia, the free encyclopedia
तत्सम (तत् + सम = उसके समान) आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले ले लिया गया है। हिन्दी, बांग्ला, कोंकणी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड, मलयालम, सिंहल, पुरातन जावी (Old Javanese/Kawi), थाई आदि में बहुत से शब्द लिखित रूप में संस्कृत से सीधे ले लिए गये हैं, (तब भी उनका उच्चारण में बड़ा परिवर्तन हो सकता है, यथा हिन्दी में अन्तिम अकार का लोप, बांग्ला में अकार का ओकार बनना और लिखित संयुक्त व्यंजनों का प्राकृतीकृत उच्चारण, असमिया में ट/त का भेदनाश, तमिल में समान-वर्ग अक्षरों का भेदाभाव, थाई का अकल्पनीय-विशाल लेखन-उच्चारण भेद, इत्यादि) क्योंकि ये भाषाएँ संस्कृत से ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक कारणों से बहुत प्रभावित हैं, उससे जन्मी हों या न।
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नोट : गुजराती, बंगला, मराठी आदि से हिन्दी में आए शब्द विदेशज की श्रेणी में ही आएंगे।
तत्सम शब्दों में समय और परिस्थियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव (तत् + भव = उससे उत्पन्न) कहते हैं। भारतीय भाषाओं में तत्सम और तद्भव शब्दों का बाहुल्य है। इसके अलावा इन भाषाओं के कुछ शब्द 'देशज' और अन्य कुछ 'विदेशी' हैं
हिन्दी में सभी क्रियापद व सर्वनाम तद्भव हैं। सभी तद्भव शब्दों का तत्सम रूप होना अवश्यम्भावी है।यह एक संस्कृत कि मुख भाषा कि तरह है। संस्कृत कि बोली भी कहते हैं।