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टीपू सुल्तान
(1750-1799) / From Wikipedia, the free encyclopedia
टीपू सुल्तान (सुल्तान फतेह अली साहब टीपू; 1 दिसंबर 1751 - 4 मई 1799), जिन्हें आमतौर पर शेर-ए-मैसूर या "मैसूर का शेर" कहा जाता है। दक्षिण में स्थित मैसूर साम्राज्य का भारतीय मुस्लिम शासक थे। वह रॉकेट तोपखाने के अग्रणी थे। उन्होंने अपने शासन के दौरान कई प्रशासनिक नवाचारों की शुरुआत की, जिसमें एक नई सिक्का प्रणाली और कैलेंडर, और एक नई भूमि राजस्व प्रणाली शामिल थी, जिसने मैसूर रेशम उद्योग के विकास की शुरुआत की। टीपू चन्नापटना खिलौने पेश करने में भी अग्रणी थे। उन्होंने लौह-आवरण वाले मैसूरियन रॉकेटों का विस्तार किया और सैन्य मैनुअल फतुल मुजाहिदीन को चालू किया, उन्होंने एंग्लो-मैसूर युद्धों के दौरान ब्रिटिश सेनाओं और उनके सहयोगियों की प्रगति के खिलाफ रॉकेट तैनात किए, जिसमें पोलिलुर की लड़ाई और श्रीरंगपट्टनम की घेराबंदी भी शामिल थी।[1]
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टीपू सुल्तान | |
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बादशाह नसीब अद-दौला /टीपू सुल्तान | |
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Sultan of Mysore | |
शासनावधि | 10 दिसम्बर 1782 – 4 May 1799 |
राज्याभिषेक | 29 दिसम्बर 1782 |
उत्तरवर्ती | Krishnaraja Wodeyar III (as Woodeyar ruler) |
जन्म | 20 नवम्बर 1750 देवनाहल्ली, present-day Bangalore, Karnataka |
निधन | 4 मई 1799(1799-05-04) (उम्र 48) Srirangapatna, present-day Mandya, Karnataka |
समाधि | |
घराना | मैसूर |
पिता | हैदर अली |
माता | फातिमा शेखर उन निशा |
धर्म | इस्लाम |
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/2/29/Tipu_Sultan%2C_Indian_warrior_Emperor_of_Mysore.gif/640px-Tipu_Sultan%2C_Indian_warrior_Emperor_of_Mysore.gif)
उनके पिता का नाम हैदर अली और माँ का फकरुन्निसाँ था। उनके पिता मैसूर साम्राज्य के एक सैनिक थे लेकिन अपनी ताकत के बल पर वो 1761 में मैसूर के शासक बने।
उनकी वीरता से प्रभवित होकर उनके पिता हैदर अली ने ही उन्हें शेर-ए-मैसूर के खिताब से नवाजा था। अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए 4 मई 1799 को टीपू सुल्तान वीरगति को प्राप्त हो गए।