ज़ोजिला दर्रा
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ज़ोजिला या ज़ोजि दर्रा हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। 'ला' और 'दर्रा' शब्दों का अर्थ एक ही हैं। ज़ोजी ला एक उच्च पर्वतीय दर्रा है जो भारतीय लद्दाख क्षेत्र के हिमालय में स्थित है। कारगिल जिले में स्थित यह दर्रा कश्मीर घाटी को अपने पश्चिम में द्रास और सुरू घाटियों से जोड़ता है और इसके आगे पूर्व में सिंधु घाटी को जोड़ता है। ज़ोजिला दर्रा को अक्सर लद्दाख के प्रवेश द्वार के रूप में नामित किया जाता है।
ज़ोजि ला | |
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ज़ोजिला | |
ऊँचाई | 3,528 m (11,575 ft) |
चक्रमण | श्रीनगर लेह राजमार्ग |
स्थान | लद्दाख |
पर्वतमाला | हिमालय |
निर्देशांक | 34°16′44″N 75°28′19″E |
हिमालय पर्वत श्रृंखला के पश्चिमी भाग में राष्ट्रीय राजमार्ग 1 श्रीनगर और लेह के बीच इस दर्रे को पार करता है। चूंकि हर साल सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के कारण वाहन का आवागमन रुक जाता है, इसलिए सारे साल आवागमन बनाये रखने के लिए सभी मौसमी ज़ोजी-ला टनल का निर्माण किया जा रहा है।
ज़ोजी ला का अर्थ है "बर्फानी तूफान का दर्रा"। [1]
इसे कभी-कभी "ज़ोजिला दर्रा" के नाम से भी जाना जाता है जो एक गलत नाम है और निरर्थक है क्योंकि "ला" शब्द का अर्थ ही एक पहाड़ी दर्रा है जैसा की तिब्बती, लद्दाखी और हिमालयी क्षेत्र में बोली जाने वाली कई भाषाओं में बोला जाता हैं। अन्य उदाहरण सिक्किम-तिब्बत सीमा पर नाथू ला, लेह-मनाली राजमार्ग पर बरलाचा ला, खारदुंग ला, फोटू ला, नमिका ला और पेंसी ला, जैसे कुछ और नाम हैं।
ज़ोजी ला जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी श्रीनगर से लगभग 100 किमी और सोनमर्ग से 15 किमी की दुरी पर है। यह लद्दाख और कश्मीर घाटी के बीच एक महत्वपूर्ण मार्ग प्रदान करता है। यह दर्रा लगभग 3,528 मीटर (11,575 फीट) की ऊंचाई पर है, और श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर फोटू ला के बाद यह दूसरा सबसे ऊंचा दर्रा है। इसे हर साल सर्दियों के दौरान बंद कर दिया जाता है, हालांकि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सर्दियों में यातायात को अधिक अवधि तक बढ़ाने के लिए काम करती है। बीआरओ की बीकन फोर्स यूनिट सर्दियों के दौरान सड़क की सफाई और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। सर्दियों में दर्रा के माध्यम से गाड़ी चलाने का मतलब दोनों तरफ बर्फ की मोटी दीवारों के बीच गाड़ी चलना है।
1947-1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, लद्दाख पर कब्जा करने के अपने अभियान में 1948 में पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा ज़ोजी ला को जब्त कर लिया गया था। लेकिन भारतीय सेना द्वारा एक नवंबर को ऑपरेशन बाईसन नाम के हमले से इसे वापस छीन लिया गया, जिसमें मुख्य रूप से टैंकों के आश्चर्यजनक उपयोग के कारण सफलता हासिल की, उस समय इस उच्चतम ऊंचाई पर टैंकों द्वारा युद्ध का संचालन दुनिया में आशचर्य जनक था। [2]
ज़ोजी ला सुरंग परियोजना को जनवरी 2018 में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था और इसके निर्माण की शुरुआत मई 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। [3] 14 किमी लंबी इस सुरंग Zoji La को पार करने के समय को 3 घंटे से कम करके सिर्फ 15 मिनट कर दी जाएगी। सुरंग की शुरुआती लागत 930 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। जब यह पूरी हो जाएगी, तो यह एशिया में सबसे लंबी दोनों तरफ चलने वाली सुरंग होगी। [4][5]
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