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जलियाँवाला बाग हत्याकांड
13 अप्रैल 1919 में भारत के ब्रिटिश शासन में मौलिक घटना / From Wikipedia, the free encyclopedia
जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे[2] और २००० से अधिक घायल हुए।[3][4] अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1500 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड | |
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![]() जलियाँवाला बाग की और जाने वाला एक संकीर्ण मार्ग | |
भारत में अमृतसर की स्थिति | |
स्थान | अमृतसर, भारत |
निर्देशांक | 31.64286°N 74.85808°E / 31.64286; 74.85808 |
तिथि |
13 अप्रैल 1919; 105 वर्ष पूर्व (1919-04-13) 17:37 (IST) |
लक्ष्य | बाग में एकत्र अहिंसक प्रदर्शनकारी, यात्री |
हमले का प्रकार | हत्याकांड |
हथियार | गन |
मृत्यु | 379–1500+[1] |
घायल | ~ १,१०० |
अपराधी | ब्रिटिश भारतीय दल |
भागीदार संख्या | ५० |
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यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी।[5][6]
१९९७ में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। २०१३ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।"[7]