चारू मुजुमदार
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चारू मुजुमदार (बंगाली: চারু মজুমদার; 1918–1972) भारत के एक कम्यूनिस्ट थे। धनी पारिवारिक कड़ियों को छोड़कर उन्होंने एक कठिन और सादा क्रान्तिकारी जीवन को चुना। उनका जन्म सिलीगुड़ी के एक खुशहाल ज़मीनदार परिवार में 1918 में हुआ था। आगे के जीवन में उन्होंने हथियारबंद नकसल आन्दोलन में भाग लिया था। चारू ने 1968 के नकसलबारी विद्रोह के ऐतिहासिक महत्व पर लिखा है और उसकी रचनाएँ आज भी लाल क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन करती हैं। [1]