गुरुग्राम

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गुरुग्राम (पूर्व नाम : गुड़गाँव), हरियाणा का एक नगर है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के नए बाजाr मे सटा हुआ है हुआ है। यह दिल्ली से ३२ किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। २०११ में ८,७९,९९६ की जनसंख्या के साथ यह फरीदाबाद के बाद हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। गुरुग्राम दिल्ली के प्रमुख सैटेलाइट नगरों में से एक है, और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। चण्डीगढ़ और मुम्बई के बाद यह भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पर-कैपिटा इनकम वाला नगर है।[1]

सामान्य तथ्य गुरुग्राम Gurugramगुड़गाँव, देश ...
गुरुग्राम
Gurugram
गुड़गाँव
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गुरुग्राम नगर का दृश्य
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गुरुग्राम
गुरुग्राम
हरियाणा में स्थिति
निर्देशांक: 28.456°N 77.029°E / 28.456; 77.029
देश भारत
राज्यहरियाणा
ज़िलागुरुग्राम ज़िला
जनसंख्या (2011)
  कुल8,76,969
भाषा
  प्रचलितहरियाणवी, पंजाबी, हिन्दी
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
पिनकोड122xxx
दूरभाष कोड0124
वाहन पंजीकरणHR-26 (नगर)
HR-55 (वाणिज्यिक)
HR-72 (सोहना)
HR-76 पटौदी (गुड़गाँव)
वेबसाइटgurugram.gov.in
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लोकमान्यता अनुसार महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली )के राजा युधिष्ठिर ने यह ग्राम अपने गुरु द्रोणाचार्य को दिया था।[2] उनके नाम पर ही इसे गुरुग्राम कहा जाने लगा, जो कालांतर में बदलकर गुड़गांव हो गया। महान गुरु भक्त एकलव्य का गुड़गांव से गहरा संबंध है। इस स्थान पर ही गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा मांगा था। मुगल काल मे यह आगरा सूबे में, जबकि ब्रिटिश काल मे दिल्ली जिले का भाग था। १९५० के दशक तक गुरुग्राम एक छोटा सा गांव था, जहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। आस-पास के क्षेत्रों के मुकाबले यहां की मिट्टी खराब गुणवत्ता की थी, और इस कारण यहां भूमि की दरें काफी कम थी। इसका लाभ उठाकर कई कम्पनियों ने ८० और ९० के दशक में यहां औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करना शुरू किया।[3][4]

इतिहास

प्राचीन इतिहास

महाभारत के अनुसार, इस क्षेत्र को पांडव राजा युधिष्ठिर द्वारा उनके गुरु द्रोणाचार्य को गुरुदक्षिणा में दिया गया था। कालांतर में यह मौर्य साम्राज्य के अधीन आया, और फिर अगले वर्षों में पहलवी और कुषाण साम्राज्यों के बाद यादव (Yadav) शासकों के हाथों में आ गया, जब उन्होंने यमुना और सतलुज के बीच के क्षेत्र में कुषाणों को परास्त कर दिया। यादवों के बाद यहां क्षत्रप राजा रुद्रदमन प्रथम का, और फिर बाद में गुप्त राजवंश, और हूणों का राज रहा, जिन्हें मंदसौर के यशोधर्मन और फिर कन्नौज के यशोवर्मन द्वारा उखाड़ फेंका गया था। उनके बाद इस क्षेत्र पर हर्ष (५९०-४६७ ईसा पूर्व) और गुर्जर-प्रतिहार राजवंश (७ वीं शताब्दी के मध्य से ११ वीं शताब्दी) का शासन रहा। ७५६ में प्रतिहारों को हटाकर तोमर वंश ने अपना राज्य स्थापित किया, जिन्हें ११५६ में चौहान वंश के राजा विसालेदेव चौहान ने पराजित कर दिया था। ११८२ में चौहान वंश का विस्तार गुरुग्राम, नूह, भिवानी और रेवाड़ी तक था।

११९२ में पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद, यह क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अधीन आ गया। १२०६ में दिल्ली के सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक ने मेवात पर आक्रमण करने के कारण पृथ्वीराज के बेटे हेमराज को पराजित कर मार डाला था। लगभग उसी समय मे सय्यद वाजी-उद-दीन ने मेव हिंदुओं पर आक्रमण किया, लेकिन उन्होंने उसे पराजित कर मार डाला, इसके बाद ऐबक के भतीजे मिरान हुसैन जांग ने उन पर पुनः आक्रमण किया और सफल रहा। १२४९ में बलबन ने विद्रोह करने पर २००० मेव लोगों की हत्या कर दी। १२५७-५८ में मेव विद्रोहियों ने दोबारा बलबन की सेना से बड़ी संख्या में ऊंट चुरा लिए। इससे क्षुब्ध होकर बलबन ने १२६० में उनके क्षेत्र पर आक्रमण कर २५० मेव कैदियों को तो तुरन्त मार दिया, और फिर केवल पुरुषों को जीवित छोड़कर १२,००० महिलाओं और बच्चों की हत्या कर दी।

१३९८ में तैमूरलंग के भारत पर आक्रमण के समय इस क्षेत्र में 'बहादुर नाहर' के नाम से प्रसिद्ध संबर पाल नामक राजा का शासन था। उसने ही नूह के कोटला गांव में कोटला झील के पास कोटला बहादुर नाहर नामक किले का निर्माण किया था। संबर पाल ने तैमूर के आक्रमण करने पर उसके समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, और इस्लाम अपनाकर नाम 'राजा नाहर खान' के साथ राज जारी रखा। १४२१ में दिल्ली के सय्यद राजवंश के सुल्तान ख़िज्र खाँ ने बहादुर नाहर के पुत्र जलाल खान को मेवात और कोट्टला किले में पराजित किया। १४२५ में फिर बहादुर नाहर के पोते जलाल खान और अब्दुल कादिर दिल्ली सल्तनत के विद्रोह में उठ खड़े हुए, और उन्हें तत्कालीन सुल्तान मुबारक शाह (१४२१- १४३४) द्वारा पराजित किया गया, जिन्होंने उनके राज्य पर कब्जा कर लिया और कादिर को मार डाला। जलाल ने हालांकि दिल्ली सल्तनत के विरुद्ध मूल विद्रोह जारी रखा। १५२७ में संबर पाल के वंशज हसन खां मेवाती ने राजपूत राजा राणा सांगा की ओर से खानवा के युद्ध में शामिल हुआ, जहां उसे बाबर द्वारा पराजित कर दिया गया, और उसके बेटे 'नाहर खान द्वितीय' ने मुगलों के संरक्षण में इस क्षेत्र पर शासन जारी रखा।

अकबर के शासनकाल के दौरान, गुरुग्राम दिल्ली और आगरा के सूबों का हिस्सा था। जैसे जैसे मुग़ल साम्राज्य की शक्तियां क्षीण होना प्रारम्भ हुई, यह क्षेत्र कई स्थानीय शासकों के मध्य बंट गया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद गुरुग्राम जिले के उत्तर में स्थित बहादुरगढ़ और फर्रुखनगर बलूच नवाबों के अधीन थे, जिन्हें १७१३ में मुगल बादशाह फर्रुख़ सियर द्वारा इन्हें जागीर बना दिया गया था, मध्य में स्थित बादशाहपुर के आस पास का क्षेत्र हिंदू बड़गुजर राजपूत राजा हाथी सिंह के शासनाधीन, और दक्षिणी भाग (नूह सहित) भरतपुर राज्य के महाराजा सूरज मल के अधीन थे। १८ वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मराठा साम्राज्य के शासनकाल के दौरान इस क्षेत्र पर अनेक फ्रेंच जनरलों द्वारा विजय प्राप्त की गई और उन्होंने फरुखनगर को जॉर्ज थॉमस और झारसा (बादशापुर) जो बेगम सुमेरो, और नूह समेत दक्षिण क्षेत्र को भरतपुर के राजा और उनके रिश्तेदारों के अधीन रखा, जिनमें से एक नाहर सिंह भी था।

ब्रिटिश राज

१८०३ में सिंधिया के साथ सुरजी अर्जुनंग संधि के माध्यम से यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन आया, और इसे दिल्ली जिले का एक परगना बनाया गया। १८५७ के विद्रोह के बाद, दिल्ली जिले को उत्तर-पश्चिमी प्रांत से पंजाब प्रांत में स्थानांतरित कर दिया गया। १८६१ में दिल्ली जिले को पांच तहसीलों में पुन: व्यवस्थित किया गया था: गुड़गांव, फिरोजपुर झिरका, नूह, पलवल और रेवाड़ी। १९४७ में गुड़गांव भारतीय पंजाब के नग्गर के रूप में स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया। १९६६ में यह नगर नव निर्मित राज्य हरियाणा के अंतर्गत आया था।[5]

सन १९५० में एक द्वितीय श्रेणी की नगरपालिका के रूप में गुरुग्राम नगरपालिका की स्थापना हुई थी, और २ वर्ष बाद इसमें सिविल लाइन्स, न्यू लाइन्स, पुलिस कॉलोनी, मड-हट्स, मॉडल टाउन और मरला कॉलोनी को नगर क्षेत्र में शामिल किया गया। १९६९ में इसे प्रथम श्रेणी की नगरपालिका का दर्जा दिया गया। २००८ में गुरुग्राम को नगर निगम घोषित किया गया।[6]

भूगोल

गुरुग्राम नगर हरियाणा राज्य के गुरुग्राम जिले में स्थित है। यह नगर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के ३० किमी दक्षिण में द्वारका से करीब १० किलोमीटर की दूरी पर, और राज्य की राजधानी चंडीगढ़ के २६८ किमी दक्षिण में स्थित है। नगर का कुल क्षेत्रफल ७३८.८ वर्ग किलोमीटर है,[7] और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई २१७ मीटर है।[8]

जलवायु

गुरुग्राम में मानसून-प्रभावित मानसून से प्रभावित समग्र जलवायु का अनुभव करता है, और कोपेन जलवायु वर्गीकरण के अनुसार इसकी जलवायु उप-उष्णकटिबंधीय ("सीडब्लूए") है।[9] नगर में प्रमुखतः चार अलग-अलग मौसम देखे जा सकते हैं - वसंत (फरवरी-मार्च), गर्मी (अप्रैल-अगस्त), पतझड़ (सितंबर-अक्टूबर) और सर्दी (नवंबर-जनवरी); हालांकि गर्मी की आखिरी महीने मानसून के नाम रहते हैं। अप्रैल से लेकर अक्टूबर के मध्य तक चलने वाला ग्रीष्मकालइन मौसम आमतौर पर गर्म और आर्द्र होता है, और जून में औसत दैनिक उच्च तापमान ४० डिग्री सेल्सियस (१०४ डिग्री फ़ारेनहाइट) रहता है। इस मौसम में तापमान अक्सर ४३ डिग्री सेल्सियस (१०९ डिग्री फारेनहाइट) के पार चला जाता है। सर्दियां ठंड और धूमिल होती हैं, जिनमें केवल कुछ ही दिन अच्छी धूप निकलती है, और दिसंबर में दैनिक औसत ३ डिग्री सेल्सियस (३७ डिग्री फ़ारेनहाइट) रहता है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण सर्दियों में कुछ बारिश होती है, जिससे ठंड में भी बढ़ोतरी होती है। वसंत और शरद ऋतु में कम आर्द्रता वाला हल्का और सुखद मौसम होता है। मनसून आमतौर पर जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू होता है, और अगस्त तक रहता है। मनसून के दौरान तूफान असामान्य नहीं हैं। औसत वार्षिक वर्षा लगभग ७१४ मिलीमीटर (२८.१ इंच) तक होती है।[9]

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स्थापत्य

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एस्सेल टावर, गुरुग्राम

गुरुग्राम में विशिष्ट समय अवधियों में विभिन्न शैलियों की विस्तृत श्रृंखला में बनी वास्तुशिल्प के रूप से उल्लेखनीय कई इमारतें स्थित हैं। गुरुग्राम की कई गगनचुंबी इमारतों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, और यह शहर आधुनिक नियोजन के साथ कई लंबी इमारतों का घर रहा है। गुरुग्राम में लगभग १,१०० आवासीय गगनचुम्बी इमारतें हैं।[10] गुरुग्राम में किसी कॉन्डोमिनियम में ९३-वर्ग मीटर (१,००० वर्ग फीट) के दो बेडरूम के अपार्टमेंट की औसत कीमत कम से कम १ करोड़ रुपये है।[10]

क्षेत्र

गुरुग्राम नगर में ३६ वार्ड हैं, और प्रत्येक वार्ड आगे ब्लॉकों में बांटा गया है। नगर को गैर-आधिकारिक तौर पर ४ भागों में बांटा जा सकता है। पहला पुराना गुड़गांव नगर; दूसरा हुडा (हरियाणा अर्बन डेवेलपमेंट अथॉरिटी) द्वारा व्यवस्थित क्षेत्र; तीसरा सेक्टर १ से ५७ तक का क्षेत्र, जिसे मुख्यतः प्राइवेट बिल्डरों ने बसाया था; और चौथा सेक्टर ५८ से ११५ तक का क्षेत्र, जो नगर की आधिकारिक सीमाओं से बाहर स्थित है।[11] शहर में आवास के प्रकारों में मुख्य रूप से संलग्न आवास शामिल हैं, हालांकि अपार्टमेंट, कॉन्डोमिनियम और उच्च वृद्धि आवासीय टावरों सहित बड़ी संख्या में संलग्न बहु-आवासीय इकाइयां धीरे धीरे लोकप्रिय हो रही हैं। शहर में चार राजकीय शिक्षण संस्थान हैं जिनमें रेलवे रोड स्थित द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय, सेक्टर ९ स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सेक्टर १४ स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय एवं सेक्टर ४० स्थित लॉ कॉलेज शामिल है।

उद्यान

गुरुग्राम में कई उद्यान हैं, जिनमें से अधिकतर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अनुरक्षित हैं। नगर के उद्यानों में सेक्टर २९ में स्थित लैज़र वैली पार्क, जो १५ हेक्टेयर (३६ एकड़) से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है; सेक्टर ५२ में स्थित ताऊ देवी लाल जैव विविधता बॉटनिकल गार्डन; सेक्टर १४ में स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस पार्क, जिसे हुडा गार्डन के नाम से भी जाना जाता है; सेक्टर २३ में स्थित ताऊ देवी लाल पार्क; और एमजी रोड पर स्थित अरावली जैव विविधता पार्क प्रमुख हैं। हालांकि, गुरुग्राम के अधिकांश पार्क छोटे और अव्यवस्थित हैं।[12]

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गुरुग्राम नगर का दृश्य।

जनसांख्यिकी

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२०११ की भारत की जनगणना के अनुसार गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या ८,७६,९६९ है, और नगर के चारों तरफ स्थित कुछ कॉलोनियों को जोड़कर यह संख्या ८,८६,५१९ हो जाती है।[14] नगर में पुरुषों की संख्या ४,७५,०३२ है, जबकि महिलाओं की संख्या ४,०१,९३७ है, और इस प्रकार गुरुग्राम का लिंगानुपात ८४६ महिलाएं प्रति १००० पुरुष है। फरीदाबाद के बाद यह हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है।

गुरुग्राम के जनगणना आंकड़े

१९०१ में गुरुग्राम एक छोटा सा गांव था, और इसकी जनसंख्या ४,७६५ थी। अगले ५ दशकों में नगर में जनसंख्या विस्तार काफी धीमा रहा, और १९११, २१, ३१, तथा ४१ में नगर की जनसंख्या क्रमशः ५,४६१, ५,१०७, ७,२०८ और ९,९३५ थी। १९५१ में आख़िरकार इसकी जनसंख्या १० हज़ार का आंकड़ा पार कर १८,६१३ पहुंच पाई। ५० के दशक में नगरपालिका की स्थापना, और नगर क्षेत्र के विस्तार के कारण १९६१ की जनगणना में गुरुग्राम की जनसंख्या दो गुना से भी अधिक बढ़कर ३७,८६८ हो गई। १९७१ में जनसंख्या ५७,१५१ थी, और १९८१ में यह बढ़कर ८९,११५ हो गई। ८०-९० के दशक में एक औद्योगिक नगर के रूप में गुरुग्राम का रूपांतरण होने लगा, और १९९१ की जनगणना में इसकी जनसंख्या १ लाख के पार पहुंच गई।

२००१ की जनगणना में नगर की जनसंख्या २,०१,३२२ थी, और २०११ में यह लगभग ४ गुना बढ़कर ८,८६,५१९ गई। इस जनसंख्या वृद्धि, और नगर की तीव्र विकास दर को देखते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा अपने अपने शोधों में इसकी प्रस्तावित जनसंख्या का अलग अलग विवरण दिया गया है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर में गुरुग्राम की २०१८ की जनसंख्या लगभग २५ बताई गई है,[15] और एक अन्य खबर में २०२० तक इसके ३० लाख तक पहुंचने की बात कही है।[16] इसी तरह सीआईआई हरयाणा और प्राइस वाटरहाउस कूपर्स के एक संयुक्त अध्ययन में २०३१ तक इसकी जनसंख्या ५७ लाख हो जाने की बात कही है,[17] जबकि डायरेक्टरेट ऑफ़ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने इसके ६९ लाख तक बढ़ जाने की बात कही है।[18]

० से ६ साल तक की उम्र के बच्चों की संख्या १,११,८०१ है, जो नगर की कुल जनसंख्या का १२.७५% है।[14] इसके अतिरिक्त नगर की साक्षरता दर ८७.५२% है, जो कि राज्य की साक्षरता दर (६७.९१%) से अधिक है।[14] पुरुषों में साक्षरता दर ९०.९३% जबकि महिलाओं में साक्षरता दर ८३.५०% है।[13]:369 नगर में कुल ३०,८८८ झुग्गियां हैं, जिनमें १,४४,९०५ लोग रहते हैं, और ये नगर की कुल जनसंख्या का १६.३३% हैं।[14]

प्रशासन

नगर में प्रशासन का मुख्य दायित्व गुरुग्राम नगर निगम के पास है। इसके अतिरिक्त हाल ही में हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम मेट्रोपोलिटन डेवेलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) की भी स्थापना की है।[19]

मण्डल तथा जिला

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हरियाणा में गुरुग्राम जिले की स्थिति

गुरुग्राम हरियाणा के गुरुग्राम जिले और गुरुग्राम मण्डल का प्रशासनिक मुख्यालय है।

गुरुग्राम मण्डल हरियाणा के ६ मण्डलों में से एक है, और इसमें गुरुग्राम के अलावा महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी जिले भी आते हैं। पहले फरीदाबाद, पलवल और मेवात जिले भी गुरुग्राम मण्डल का ही भाग थे, परन्तु हरियाणा सरकार ने जनवरी २०१७ में फरीदाबाद मण्डल का गठन कर इन जिलों को वहां स्थानांतरित कर दिया।[20]

गुरुग्राम जिला हरियाणा के २२ जिलों में से एक है। २०११ की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या १५,१४,०८५ है। प्रशासनिक कार्यों से जिले को ५ तहसीलों (गुड़गांव, सोहना, मानेसर, फर्रुख नगर, पटौदी), ४ उप-तहसीलों (वज़ीराबाद, बादशाहपुर, कादीपुर, हरसरू), और ४ विकास खण्डों (गुड़गांव, सोहना, फर्रुख नगर, पटौदी) में बांटा गया है।

संस्कृति

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किंगडम ऑफ ड्रीम्स

मनोरंजन तथा प्रदर्शन कला

नगर में उल्लेखनीय प्रदर्शन कला स्थलों में सेक्टर ४४ में स्थित एपिसेंटर और इफको चौक के पास स्थित किंगडम ऑफ ड्रीम्स और नौटंकी महल प्रमुख हैं। बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव का जन्म गुरुग्राम में हुआ था।

भाषाएं तथा बोलियां

गुड़गांव में बोली जाने वाली मुख्य भाषा हिंदी है, हालांकि आबादी का एक प्रमुख वर्ग अंग्रेजी को समझता और बोलता है। हिंदी में इस्तेमाल की जाने वाली बोली दिल्ली के समान है, और इसे भाषिक तौर पर तटस्थ माना जाता है, हालांकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के क्षेत्रीय प्रभाव भाषा उच्चारण में स्पष्ट देखे जा सकते हैं। अंग्रेजी को भारतीय उच्चारण में मुख्य रूप से उत्तर भारतीय प्रभाव के साथ बोला जाता है। चूंकि गुड़गांव में बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर हैं, इसलिए कर्मचारियों को मूल अंग्रेजी बोलने तथा समझने योग्य होने के लिए आमतौर पर तटस्थ उच्चारण में औपचारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। हरियाणवी, मेवाती और पंजाबी शहर में बोली जाने वाली अन्य लोकप्रिय भाषाएं हैं।[21][22]

धर्म तथा सम्प्रदाय

अधिक जानकारी गुरुग्राम के धार्मिक आंकड़े (२०११) ...
गुरुग्राम के धार्मिक आंकड़े (२०११)[14]
धर्म अनुयायी
हिन्दू धर्म
 
91.88%
इस्लाम
 
4.57%
सिख धर्म
 
1.60%
अन्य
 
1.16%
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हिंदू धर्म नगर का प्रमुख धर्म है। इसके अतिरिक्त गुड़गांव में सिख धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, ईसाई धर्म और बहाई के अनुयायी भी रहते हैं। गुड़गांव में सभी प्रमुख धर्मों के लिए पूजा के कई स्थल उपस्थित हैं, जिनमें मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद और चर्च शामिल हैं।

नगर की कुल जनसंख्या में से ९१.८८ प्रतिशत लोग हिन्दू धर्म का जबकि ४.५७ प्रतिशत लोग इस्लाम का अनुसरण करते हैं। इसके अत्रिरक्त नगर में १.६० प्रतिशत लोग सिख धर्म का, ०.९५ प्रतिशत लोग ईसाई धर्म का, ०.७९ प्रतिशत लोग जैन धर्म का तथा ०.०९ प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हैं। इसके अतिरिक्त नगर की कुल जनसंख्या में से ०.१३ प्रतिशत लोग या तो आस्तिक हैं, या किसी भी धर्म से ताल्लुक नहीं रखते।

पुराने नगर में शीतला माता को समर्पित एक मंदिर प्रसिद्ध मंदिर है। शीतला माता गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी थी।[23] इस मंदिर में प्रतिवर्ष नियमित रूप से मेले का आयोजन होता है, और हर साल इस मेले में शीतला माता का आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

खेल

गुरूग्राम में दो प्रमुख खेल स्टेडियम हैं: सेक्टर ३८ में स्थित ताऊ देवी लाल स्टेडियम, जिसमें क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबाल और एथलेटिक्स के मैदानों के साथ-साथ एक खेल छात्रावास भी है, और नेहरू स्टेडियम, जो फुटबॉल और एथलेटिक्स के लिए डिजाइन किया गया है। एमिटी यूनाइटेड एफसी का घरेलू मैदान ताऊ देवी लाल स्टेडियम है। गुड़गांव जिले में कुल नौ गोल्फ कोर्स हैं, और इसे "भारत के गोल्फिंग प्रदेश का दिल" कहा जाता है।[24] प्रसिद्ध घरेलू क्रिकेट खिलाड़ी जोगिंदर राव गुड़गांव से थे।

आवागमन

इन्दिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र के समीप स्थित है, और दिल्ली से दिल्ली गुरुग्राम द्रुतगामी मार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है। मेट्रो गुरुग्राम में यातायात का सबसे प्रचलित साधन है। दिल्ली मेटो की येलो लाइन के द्वारा दिल्ली मेट्रो नेटवर्क से जुड़ा है। इसके अतिरिक्त भी नगर में कई अन्य मेट्रो रूट प्रस्तावित हैं जिसमें रैपिड मेट्रो गुरुग्राम प्रमुख है।[25] मोनो रेल भी गुरुग्राम में यातायात का एक अच्छा विकल्प उपलब्ध कराती है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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