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गंगरेल बांध (रविशंकर बांध) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
गंगरेल बांध जिसे रविशंकर सागर के नाम से भी जाना जाता है, जिसका नाम छत्तीसगढ़, भारत में स्थित रविशंकर शुक्ल के नाम पर रखा गया है। यह महानदी नदी पर बना है। यह धमतरी जिले में स्थित है, धमतरी से लगभग 17 किमी और रायपुर से लगभग 90 किमी। यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध है। यह बांध साल भर सिंचाई की आपूर्ति करता है, जिससे किसान प्रति वर्ष दो फसलों की कटाई कर सकते हैं और भिलाई स्टील प्लांट के प्रमुख जल आपूर्तिकर्ता हैं। यह बांध 10 मेगावाट की पनबिजली क्षमता की आपूर्ति भी करता है।[2]
गंगरेल बांध | |
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राष्ट्र | भारत |
स्थान | धमतरी जिला |
स्थिति | प्रचालन में |
आरम्भ तिथि | 1979 |
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
प्रकार | तटबंध, भू-भरण |
घेराव | महानदी नदी |
~ऊँचाई | 30.5 मी॰ (100 फीट) |
लम्बाई | 1,830 मी॰ (6,004 फीट) |
बांध आयतन | 1,776,000 मी3 (2,322,920 घन गज) |
उत्प्लव मार्ग क्षमता | 17,230 m3/s (608,472 घन फुट/सेकंड) |
जलाशय | |
बनाता है | Ravishankar Reservoir |
कुल क्षमता | 910,500,000 मी3 (1.190889039×109 घन गज) |
सक्रिय क्षमता | 766,890,000 मी3 (1.003054250×109 घन गज) |
सतह क्षेत्रफ़ल | 95 कि॰मी2 (37 वर्ग मील)[1] |
सामान्य ऊंचाई | 333 मी॰ (1,093 फीट) |
इस परियोजना के मुख्य अभियंता श्री देव राज सिक्का थे। बांध में 14 गेट (स्पिलवे) हैं।[3]
करीब 6 साल तक लगातार काम चलने के बाद 1978 में बांध बनकर तैयार हुआ। 32.150 टीएमसी क्षमता वाले इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र मीलों तक फैला हुआ है।[5]इसमें धमतरी के अलावा बालोद व कांकेर जिले का भी बड़ा हिस्सा शामिल है।
जब बांध अस्तित्व में आया, तब तक 55 गांव इसके जलग्रहण क्षेत्र में समा चुके थे।[6]इनमें ग्राम गंगरेल, चंवर, चापगांव, तुमाखुर्द, बारगरी, कोड़ेगांव, मोंगरागहन, सिंघोला, मुड़पार, कोरलमा, कोकड़ी, तुमाबुजुर्ग, कोलियारी, तिर्रा, चिखली, कोहका, माटेगहन, पटौद, हरफर, भैसमुंडी, तासी, तेलगुड़ा, भिलई, मचांदूर, बरबांधा, सिलतरा, सटियारा समेत अन्य गांवों के लोग ऊपरी क्षेत्रों में आकर बस गए।
गंगरेल बांध में जल भराव होने के बाद 55 गांवों में रहने वाले 5 हजार 347 लोगों की 16 हजार 496.62 एकड़ निजी जमीन व 207.58 एकड़ आबादी जमीन सहित कुल 16 हजार 704.2 एकड़ जमीन डूब गई। इनमें ग्राम बारबरी के मालगुजार त्रयंबक राव जाधव, कोड़ेगांव गांव के भोपाल राव पवार, कोलियारी के पढ़रीराव कृदत्त सहित अन्य मालगुजारों की जमीन भी शामिल थी।
आज भी इस देवी की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। ग्राम लमकेनी में देवी मनकेशरी विराजित थी, जिन्हें बाद में ग्राम कोड़ेगांव में स्थापित किया गया। भिड़ावर में रनवासिन माता, कोरलमा में छिनभंगा माता के मंदिर आसपास के क्षेत्रों में आज भी प्रसिद्ध हैं।[7]
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