ख़ालसा
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खालसा सिख धर्म के विधिवत् दीक्षाप्राप्त अनुयायियों सामूहिक रूप है। खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ०९ अप्रैल सन १६९९, तिथि अनुसार २५ चैत्र शुक्ल पक्ष दशमी विरोधी, विक्रम सम्वत १७५६ बृहस्पतिवार को बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की। इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया तथा तत्पश्चात् उन पाँच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया।
सिख सतगुरु एवं भक्त |
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सतगुरु नानक देव · सतगुरु अंगद देव |
सतगुरु अमर दास · सतगुरु राम दास · |
सतगुरु अर्जन देव ·सतगुरु हरि गोबिंद · |
सतगुरु हरि राय · सतगुरु हरि कृष्ण |
सतगुरु तेग बहादुर · सतगुरु गोबिंद सिंह |
भक्त रैदास जी भक्त कबीर जी · शेख फरीद |
भक्त नामदेव |
धर्म ग्रंथ |
आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ |
सम्बन्धित विषय |
गुरमत ·विकार ·गुरू |
गुरद्वारा · चंडी ·अमृत |
नितनेम · शब्दकोष |
लंगर · खंडे बाटे की पाहुल |
सतगुरु गोबिंद सिंह ने खालसा महिमा में खालसा को "अकाल पुरख की फ़ौज" पद से नवाजा है। किरपान और केश तो पहले ही सिखों के पास थे, गुरु गोबिंद सिंह ने "खंडे बाटे की पाहुल" तयार कर कच्छा, कड़ा और कंघा भी दिया। इसी दिन खालसे के नाम के पीछे "सिंह" लग गया। भौतिक रूप से खालसे की भिन्नता नजर आने लगी, पर खालसे ने आत्मज्ञान नहीं छोड़ा। उस का प्रचार चलता रहा और आवश्यकता पड़ने पर किरपान भी चलती रही।