कृष्णमृग
बहुसिंगा प्रजाति की इकलौती जीवित जाति / From Wikipedia, the free encyclopedia
कृष्णमृग (Blackbuck) या काला हिरण, जिसे भारतीय ऐंटीलोप (Indian antelope) भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली ऐंटीलोप की एक जीववैज्ञानिक जाति है। यह ऐसे घासभूमियों और हलके वनित क्षेत्रों में मिलता है जहाँ जल सदैव उपलब्ध हो। कंधे पर इसकी ऊँचाई 74 से 84 सेमी (29 से 33 इंच) होती है। नरों का भार 20–57 किलो और मादाओं का 20–33 किलो होता है। नरों के सिर पर 35–75 सेमी (14–30 इंच) लम्बे सींग होते हैं, हालांकि मादाओं पर भी यह कभी-कभी पाए जा सकते हैं। मुख पर काली धारियाँ होती हैं लेकिन ठोड़ी पर और आँखों के इर्दगिर्द श्वेत रंग होता है। नरों के शरीर पर दो रंग दिखते हैं - धड़ और टांगो का बाहरी भाग काला या गाढ़ा भूरा और छाती, पेट व टांगों का अंदरी भाग श्वेत होता है। मादाएँ और बच्चे पूरे भूरे-पीले रंगों के होते हैं। कृष्णमृग ऐंटीलोप जीववैज्ञानिक वंश की एकमात्र जाति है और इसकी दो ऊपजातियाँ मानी जाती हैं।[2][3]
कृष्णमृग Blackbuck काला हिरण | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग: | स्तनधारी (Mammalia) |
गण: | आर्टियोडैकटिला (Artiodactyla) |
अधःगण: | पेकोरा (Pecora) |
कुल: | बोविडाए (Bovidae) |
उपकुल: | ऐंटीलोपिनाए (Antilopinae) |
वंश: | ऐंटीलोप (Antilope) पाल्लास, 1766 |
जाति: | ए. सर्विकापरा (A. cervicapra) |
द्विपद नाम | |
ऍन्टिलोप सर्विकापरा (लिनेअस,1758) | |
उपजाति | |
ऍन्टीलोप सर्विकापरा सँट्रॅलिस |
== विवरण == 20-30 कृष्णमृग एक दैनंदिनी एनलॉप है (मुख्य रूप से दिन के दौरान सक्रिय)। तीन प्रकार के समूह, आम तौर पर छोटी, मादाएं, पुरुष और स्नातक झुंड होते हैं। नर अक्सर संभोग के लिए महिलाओं को जुटाने के लिए एक रणनीति के रूप में लेकिंग नामक तरिके को अपनाते हैं। इनके इलाकें में अन्य नरों को अनुमति नहीं होती है, मादाएं अक्सर इन स्थानों पर भोजन के लिये घूमने आती हैं। पुरुष इस प्रकार उनके साथ संभोग का प्रयास कर सकते हैं। मादाएं आठ महीनों में यौन के लिए परिपक्व हो जाती हैं, लेकिन संभोग दो साल से पहले नहीं करती हैं। नर करीब 1-2 वर्ष मे परिपक्व होते है। संभोग पूरे वर्ष के दौरान होता है। गर्भावस्था आम तौर पर छह महीने लंबी होती है, जिसके बाद एक बछड़ा पैदा होता है। जीवन काल आमतौर पर 10 से 15 साल होती है।
कृष्णमृग घास के मैदानों और थोड़ा जंगलों के क्षेत्रों में पाएँ जाते हैं। पानी की अपनी नियमित आवश्यकता के कारण, वे उन जगहों को पसंद करते हैं जहां पानी पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध हो। यह मृग मूलतः भारत में पाया जाता है, जबकि बांग्लादेश में यह विलुप्त हो गया है। इनके केवल छोटे, बिखरे हुए झुंड आज ही देखे जाते हैं, तथा बड़े झुंड बड़े पैमाने पर संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं। 20 वीं शताब्दी के दौरान, अत्यधिक शिकार, वनों की कटाई और निवास स्थान में गिरावट के चलते काले हिरन की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। ब्लैकबक अर्जेंटीना और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाये जाते हैं। भारत में, 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसूची I के तहत कृष्णमृग का शिकार निषिद्ध है। हिंदू धर्म में कृष्णमृग का बहुत महत्व है; भारतीय और नेपाली ग्रामीणों ने मृग को नुकसान नहीं पहुंचाया।