काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। / From Wikipedia, the free encyclopedia
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसे प्रायः बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना महामना मदन मोहन मालवीय जी द्वारा सन् 1916 में बसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी। . इस विश्वविद्यालय के मूल में एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी। विश्वविद्यालय को "राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान" का दर्जा प्राप्त है। सं १९३९ में हैदराबाद के सातवें निज़ाम "मीर उस्मान अली खान" ने इस िश्वविद्यालय को एक लाख रूपए का योगदान दिया ।[1][2] दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह ने विश्वविद्यालय की स्थापना में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था दान देकर की। [उद्धरण चाहिए]
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय | |
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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का सिंह द्वार | |
आदर्श वाक्य: | विद्ययाऽमृतमश्नुते अर्थ : विद्या से अमृत की प्राप्ति होती है। |
स्थापित | 1916 |
प्रकार: | केन्द्रीय विश्वविद्यालय |
विद्यार्थी संख्या: | 30698 |
अवस्थिति: | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
परिसर: | नगरीय |
उपनाम: | बी एच यू (BHU) |
सम्बन्धन: | यूजीसी |
जालपृष्ठ: | , |
समृप्रति इस विश्वविद्यालय के दो परिसर हैं। मुख्य परिसर (1300 एकड़) वाराणसी में स्थित है जिसकी भूमि काशी नरेश ने दान की थी। मुख्य परिसर में 6 संस्थान्, 14 संकाय और लगभग 140 विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर मिर्जापुर जनपद में बरकछा नामक जगह (2700 एकड़) पर स्थित है। 75 छात्रावासों के साथ यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है जिसमें 30,000 से ज्यादा छात्र अध्ययनरत हैं जिनमें लगभग 34 देशों से आये हुए छात्र भी शामिल हैं।
मुख्य परिसर के प्रांगण में भगवान विश्वनाथ का एक विशाल मन्दिर भी है। सर सुंदरलाल चिकित्सालय, गोशाला, प्रेस, बुक-डिपो एवं प्रकाशन, टाउन कमेटी (स्वास्थ्य), पी॰ डब्ल्यू॰ डी॰, स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया की शाखा, पर्वतारोहण केंद्र, एन.सी.सी. प्रशिक्षण केन्द्र, "हिन्दू यूनिवर्सिटी" नामक डाकखाना एवं सेवायोजन कार्यालय भी विश्वविद्यालय तथा जनसामान्य की सुविधा के लिए इसमें संचालित हैं। श्री सुन्दरलाल, मदनमोहन मालवीय, एस. राधाकृष्णन् (भूतपूर्व राष्ट्रपति), अमरनाथ झा, आचार्य नरेन्द्रदेव, रामस्वामी अय्यर, त्रिगुण सेन (भूतपूर्व केन्द्रीय शिक्षामन्त्री) जैसे मूर्धन्य विद्वान यहाँ के कुलपति रह चुके हैं।
वर्ष 2015-16 विश्वविद्यालय की स्थापना का शताब्दी वर्ष था जिसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, उत्सवों व प्रतियोगिताओं एवं 25 दिसम्बर को महामना मालवीय जी की जयंती-उत्सव का आयोजन कर मनाया गया।